घुसपैठिए पर बोले मोहन भागवत, डीएनए एक है तो परमिशन लेकर क्यों नहीं आते?

घुसपैठिए पर बोले मोहन भागवत, डीएनए एक है तो परमिशन लेकर क्यों नहीं आते?

घुसपैठिए पर बोले मोहन भागवत, डीएनए एक है तो परमिशन लेकर क्यों नहीं आते?

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IANS
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घुसपैठिए पर बोले मोहन भागवत, डीएनए एक है तो परमिशन लेकर क्यों नहीं आते?

(source : IANS) ( Photo Credit : IANS)

नई दिल्ली, 28 अगस्त (आईएएनएस)। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने धर्मांतरण और अवैध घुसपैठिए पर बयान दिया। उन्होंने मुसलमानों सहित भारतीय नागरिकों के लिए रोजगार के अवसरों को प्राथमिकता देने की वकालत की।

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नई दिल्ली के विज्ञान भवन में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के 100 वर्ष पूरे होने पर आयोजित व्याख्यानमाला कार्यक्रम 100 वर्ष की संघ यात्रा: नए क्षितिज में मोहन भागवत ने घुसपैठिए पर कहा कि ये बात ठीक है कि हमारा डीएनए एक है, लेकिन व्यवस्थाएं भी होनी चाहिए। देश एक व्यवस्था है, उसकी सीमाएं होती हैं। आप पूछते हो कि घुसपैठ को रोकना ठीक है क्या? मैं कहता हूं कि अगर डीएनए एक है तो क्या परमिशन लेकर आना गलत है? अगर परमिशन नहीं मिलती है तो नहीं आना चाहिए।

उन्होंने कहा कि नियम-कानून का उल्लंघन कर देश में घुस जाना अपने आप में गलत बात है। आने पर उपद्रव होता, ये उनको पता, इसलिए घुसपैठ को रोकना चाहिए। सरकार कुछ प्रयास कर रही है, धीरे-धीरे आगे बढ़ रही है।

भागवत ने कहा कि ये समाज के हाथ में है कि हम अपने देश में रोजगार अपने देश के लोगों को दें। देश में मुसलमान नागरिक भी हैं। उन्हें भी रोजगार की जरूरत है। मुसलमान को रोजगार देना है तो उन्हें दीजिए। जो बाहर से आया है उन्हें क्यों दे रहे हो? उनके देश की व्यवस्था उन्हें करनी चाहिए।

उन्होंने कहा कि क्या बदला है? सिर्फ पूजा बदली है, लेकिन लोगों के मन में डर भर दिया गया है। अगर हिंदुओं के साथ जाओगे तो तुम्हारा इस्लाम चला जाएगा, ये गलत बात है। डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम ने एक इंटरव्यू में कहा था कि धर्म बदलने से कौम नहीं बदलता है। हमारी पहचान एक ही है कि हम भारतीय हैं, हिंदू हैं या अन्य। सिर्फ पूजा बदलती है। हम संगठित हैं और साथ चलेंगे।

उन्होंने कहा कि पहले दिन इस्लाम जब भारत में आया उस दिन से इस्लाम यहां पर है और आगे भी रहेगा। ये मैंने पिछली बार भी कहा था। इस्लाम नहीं रहेगा ये सोचने वाला हिंदू सोच का नहीं है। हिंदू सोच ऐसी नहीं है। दोनों जगह ये विश्वास बनेगा तब ये संघर्ष खत्म होगा। पहले ये मानना होगा कि हम सब एक हैं। सबसे ऊपर हमारा राष्ट्र है।

--आईएएनएस

डीकेपी/

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