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याेगी आदित्‍यनाथ बोले- हमारे लिए अब आसान होगा SP-BSP के गठबंधन को निपटना

योगी आदित्यनाथ ने कहा कि वे पूरे विश्वास से कह सकते हैं कि जनता जानती है कि सपा-बसपा गठबंधन का मतलब जातिवादी, भ्रष्टाचारी, गुंडों को सत्ता देना

Updated on: 13 Jan 2019, 01:26 PM

लखनऊ:

योगी आदित्यनाथ ने कहा कि वे पूरे विश्वास से कह सकते हैं कि जनता जानती है कि सपा-बसपा गठबंधन का मतलब जातिवादी, भ्रष्टाचारी, गुंडों को सत्ता देना और जनता को उनके भाग्य के भरोसे पर छोड़ देने जैसा है. गौरतलब है कि सपा और बसपा का गठबंधन हो गया है. दोनों ने चार सीटें छोड़ी हैं जिसमें अमेठी और रायबरेली कांग्रेस के लिए छोड़ी हैं और बाकी बची दो सीटें अन्य सहयोगी दलों के लिए हैं जिसमे रालोद भी है, लेकिन वह तैयार नहीं है. वह पांच सीटों पर अपना दावा ठोक रही है.

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कुंभ मेला पर एक निजी चैनल द्वारा आयोजित सम्मेलन में मायावती और अखिलेश यादव के गठबंधन पर सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा कि दोनों पार्टियां एक हो गई हैं तो अब राजनीतिक रूप से इन दोनों पार्टियों को निपटाना उनके लिए आसान हो गया है. बोले, 1993 से 1995 तक इन दोनों दलों की संयुक्त सरकार राज्य में थी, इस दौरान कानून-व्यवस्था और अराजकता की क्या स्थिति थी ये राज्य की जनता जानती है.

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दोनों पार्टियां राज्य में पूर्ण बहुमत से अलग अलग सरकारें बना चुकी हैं, इस दौरान इन सरकारों ने जातीय आधार पर समाज को बांटा, जातीय जहर घोला और प्रदेश को दंगों की आग में झोंका. योगी ने कहा कि राज्य की जनता इनकी करतूतों को जानती है. सीएम ने कहा कि यही वो दौर था जब गुंडों और बदमाशों और भ्रष्टाचार का बोलबाला था.

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योगी आदित्यनाथ ने कहा कि वे पूरे विश्वास से कह सकते हैं कि राज्य की जनता जानती है कि सपा-बसपा गठबंधन का मतलब जातिवादी, भ्रष्टाचारी, गुंडों को सत्ता और जनता को उनके भाग्य के भरोसे पर छोड़ देने जैसा है. एक तरफ बीजेपी की विकास और लोक कल्याणकारी योजनाएं हैं तो दूसरी तरफ सपा-बसपा की सरकारों के समय में होने वाली अराजकता, गुंडागर्दी, लूट खसोट और दंगे हैं. योगी ने कहा कि जनता इस गठबंधन का फैसला खुद करेगी.

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आदित्यनाथ ने कहा कि आखिर सपा-बसपा ने कौन ऐसा काम किया है जो इनके गठबंधन को जनता वोट देगी. बसपा के समय में दो तीन जिले और सपा के समय में पांच जिलों को ही बिजली मिलती थी. उन्होंने कहा कि इनके समय में हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट ने नियुक्तियों पर रोक लगा रखी थी, क्योंकि अदालतों को भी लगता था कि ये पार्टियां जाति विशेष के लोगों को पैसे लेकर नौकरी देंगी.