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शिव साधना से मिलेगी सत्ता, क्या केदारनाथ की शरण में पीएम मोदी के जाने की यही वजह है

23 मई के नतीजों और अंतिम दौर की वोटिंग से पहले पीएम मोदी भगवान शिव की साधना के लिए केदारनाथ पहुंचे हैं. यहां उन्होंने बाबा केदार के मंदिर में पूजा की.

Updated on: 18 May 2019, 12:00 PM

नई दिल्ली:

देश में पिछले एक महीने से चल रहे लोकतंत्र के महायज्ञ को समाप्त होने में अब कुछ ही घंटों का समय बचा है. चुनाव नतीजे अब भगवान भरोसे है. पिछले एक महीने के बज रहा चुनावी बिगुल अब शांत हो चुका है और अब इस यज्ञ के आखिरी पड़ाव से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का शिव साधक रूप देखने को मिल रहा है. 23 मई के नतीजों और अंतिम दौर की वोटिंग से पहले पीएम मोदी भगवान शिव की साधना के लिए केदारनाथ पहुंचे हैं. यहां उन्होंने बाबा केदार के मंदिर में पूजा की.

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शनिवार तड़के जॉलीग्रांट हवाईअड्डे पर पहुंचे. जहां से वो हैलीकॉप्टर के जरिए केदारनाथ की शरण में नतमस्तक होने के लिए रवाना हुए. जब पीएम मोदी केदारनाथ पहुंचे तो उन्होंने एक साधक का रूप देखने को मिला. मोदी ने केदारनाथ मंदिर के भीतर काफी देर तक साधना की. इसके बाद पुजारी ने उन्हें रुद्राक्ष की माला पहनाई और माथे पर चंदन लगाया. पुजारी ने उन्हें शॉल भी पहनाई. पीएम मोदी ने मंदिर में दर्शन करने के अतिरिक्त उस क्षेत्र में चल रहे पुनर्निर्माण कार्यो की समीक्षा भी की.

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आखिर, चुनाव नतीजों से ठीक पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के केदारनाथ धाम जाने का मकसद क्या है. यह जानने से पहले आप एक बार केदारनाथ धाम के बारे में भी जान लीजिए. उत्तराखंड में हिमालय पर्वत की गोद में केदारनाथ मंदिर 12 ज्योतिर्लिंग में सम्मिलित होने के साथ चार धाम और पंच केदार में से भी एक है. कत्यूरी शैली से बने इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि इसका निर्माण पांडव वंश के जनमेजय ने कराया था. यहां स्थित स्वयम्भू शिवलिंग अति प्राचीन है. आदि शंकराचार्य ने इस मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया. इस मंदिर की आयु के बारे में कोई ऐतिहासिक प्रमाण नहीं है, पर एक हजार सालों से केदारनाथ एक महत्वपूर्ण तीर्थयात्रा रहा है. मान्यता है कि यहां भगवान शिव के नाम का उच्चारण करने मात्र से सभी मन्नतें पूरी हो जाती हैं और अब अपनी मुरादों को लेकर मोदी बाबा केदार के दर पर पहुंचे हैं.

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वैसे तो प्रधानमंत्री बनने से पहले नरेंद्र मोदी ने योग और अध्यात्म की इस सरजमीं पर हिमालय की कंदराओं में 33 साल पहले साधना की थी. तब वह रोजाना दो किलोमीटर नंगे पांव पैदल चलकर बाबा केदार के दर्शनों को जाते थे. हालांकि, कुछ समय बाद वह यहां से वापस चले गए. लेकिन देश की कमान मिलने के बाद भी नरेंद्र मोदी केदारनाथ आते रहे हैं. बतौर प्रधानमंत्री पहली बार मोदी 3 मई 2017 को केदारनाथ गए थे. 2017 में मोदी ने शिव साधना की तो गुजरात और गोवा में फिर बीजेपी को सत्ता मिल गई. शिव साधना से सत्ता मिलती है, ये बात तो अब पक्का है. इसी की उम्मीद रखते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक बार फिर शिव शक्ति से सत्ता पर काबिज होना चाहते हैं. अब चुनाव से पहले केदारनाथ में मोदी ने भगवान शिव की पूजा कर दोबारा प्रधानमंत्री बनने का मन्नत ही मांगी होगी.

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