बिहार के चुनावी रण का दूसरा चरण NDA के लिए बेहद चुनौतीपूर्ण !
पिछले लोकसभा चुनाव 2014 से मौजूदा लोकसभा चुनाव 2019 में बिहार का राजनीतिक परिदृश्य बदला हुआ है. इस लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण में राज्य की पांच लोकसभा सीटों के लिए गुरुवार यानी 18 अप्रैल को वोट डाले जाएंगे
पटना:
पिछले लोकसभा चुनाव 2014 से मौजूदा लोकसभा चुनाव 2019 में बिहार का राजनीतिक परिदृश्य बदला हुआ है. इस लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण में राज्य की पांच लोकसभा सीटों के लिए गुरुवार यानी 18 अप्रैल को वोट डाले जाएंगे. इस चरण में न केवल राष्ट्रीय जनतािंत्रक गठबंधन (राजग) में फिर से शामिल जनता दल (युनाइटेड) की असली परीक्षा होनी है, बल्कि इन सीटों पर राजग की प्रतिष्ठा भी दांव पर है.
बिहार की जिन पांच सीटों -किशनगंज, कटिहार, पूर्णिया, बांका और भागलपुर- के लिए 18 अप्रैल को मतदान होना है, उन सभी सीटों पर पिछले चुनाव में नरेंद्र मोदी की आंधी के बाद भी राजग को हार का मुंह देखना पड़ा था. इस बार इन सभी पांच सीटों पर राजग की ओर से जद (यू) के प्रत्याशी चुनाव मैदान में हैं.
उल्लेखनीय है कि पिछले लोकसभा चुनाव में जद (यू) महागठबंधन में शामिल थी. जबकि इस बार जद (यू) राजग का हिस्सा है. पिछले चुनाव में जद (यू) ने पूर्णिया सीट पर कब्जा जमाया था, जबकि भागलपुर और बांका पर राष्ट्रीय जनता दल (राजद) को जीत मिली थी, तथा कांग्रेस ने किशनगंज और राकांपा ने कटिहार सीट पर कब्जा जमाया था.
कटिहार के मौजूदा सांसद तारिक अनवर इस चुनाव में एकबार फिर मैदान में हैं, लेकिन इस वह राकांपा नहीं, बल्कि कांग्रेस के उम्मीदवार हैं. अनवर कुछ महीने पहले राकांपा छोड़ कांग्रेस में शामिल हो गए थे. इसके अलावा पूर्णिया और किशनगंज सीटों पर भी कांग्रेस के प्रत्याशी राजग को टक्कर दे रहे हैं.
बाकी दो सीटों भागलपुर और बांका राजद के हिस्से गई है, और राजद ने भागलपुर से मौजूदा सांसद बुलो मंडल को और बांका से जयप्रकाश नारायण यादव को मैदान में उतारा है.
पूर्णिया निवासी पत्रकार गिरिन्द्र नाथ झा कहते हैं कि कोसी और सीमांचल की इन पांच लोकसभा सीटों पर वोटों का रुझान आने वाले पांच चरणों के मतदान के रुझान पर भी असर डालेगा. उन्होंने कहा, "ये पांच लोकसभा सीटें राजग और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के आधार और जनाधार को भी सामने लाएंगी."
मुस्लिम बहुल किशनगंज से कांग्रेस ने इस चुनाव में मोहम्मद जावेद को मैदान में उतारा है, जबकि जद (यू) ने सैयद महमूद अशरफ पर दांव लगाया है. 70 प्रतिशत मुस्लिम मतदाताओं वाले इस क्षेत्र में मुख्य मुकाबला राजग और महागठबंधन के बीच माना जा रहा है, परंतु असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी मजलिसे इत्तेहादुल मुस्लमीन (एमआईएम) ने अख्तरुल ईमान को अपना उम्मीदवार बनाकर चुनाव को दिलचस्प बना दिया है.
बांका से राजद के जयप्रकाश नारायण और जद (यू) के गिरिधारी यादव के बीच सीधा मुकाबला माना जा रहा है, परंतु यहां भाजपा से टिकट नहीं मिलने से नाराज पुतुल कुमारी ने चुनाव मैदान में उतरकर मुकाबले को त्रिकोणीय बना दिया है.
भागलपुर में भी राजद के मौजूदा सांसद बुलो मंडल और जद (यू) के उम्मीदवार अजय मंडल आमने-सामने हैं. जबकि कटिहार में जद (यू) के दुलालचंद गोस्वामी का मुकाबला पांच बार सांसद रह चुके कांग्रेस के तारिक अनवर से है. तारिक अनवर कटिहार के मौजूदा सांसद हैं और वह राकांपा छोड़ कांग्रेस में आए हैं.
पूर्णिया में बीजेपी को छोड़कर कांग्रेस में आए उदय सिंह का मुकाबला जद (यू) के संतोष कुशवाहा से है.
पूर्णिया के गोरेलाल मेहता कॉलेज, बनमनखी के प्रोफेसर और सीमांचल की राजनीति के जानकार चंद्रेश्वर कुमार मिश्र बताते हैं कि इस चरण में गठबंधन में शामिल दलों के ऊपर वोट शिफ्टिंग की जिम्मेदारी है.
उन्होंने कहा, "राजग में शामिल भाजपा और लोजपा अगर अपने वोट बैंक को जद (यू) प्रत्याशियों के लिए शिफ्ट कराने में सफल रहे तो इन सभी सीटों पर उलटफेर से इंकार नहीं किया जा सकता है."
मिश्र हालांकि यह भी मानते हैं कि राजग के लिए दूसरे चरण का मतदान चुनौतीपूर्ण है. बहरहाल, राजग और विपक्षी दलों के महागठबंधन के प्रत्याशियों से लेकर स्टार प्रचारक मतदाताओं को अपनी ओर आकर्षित करने के लिए जी-तोड़ मेहनत कर रहे हैं. स्टार प्रचारक लगातार इन क्षेत्रों में मतदाताओं को रिझाने में जुटे हुए हैं.
बिहार में लोकसभा चुनाव के सभी सात चरणों में मतदान होना है. पहले चरण में बिहार की चार सीटों के लिए 11 अप्रैल को मतदान संपन्न हो चुका है.
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