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प्रज्ञा ने चुनाव प्रचार पर रोक की अवधि घटाने की अपील की

भोपाल से भारतीय जनता पार्टी की उम्मीदवार साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर ने गुरुवार को निर्वाचन आयोग को पुनर्विचार के लिए आवेदन देकर प्रचार पर रोक की अवधि 72 घंटे से घटाकर 12 घंटे किए जाने का आग्रह किया। आयोग ने आदर्श आचार संहिता उल्लंघन की शिकायत पर प्रज्ञा को चुनाव प्रचार करने से 72 घंटे के लिए प्रतिबंधित किया है। प्रज्ञा ठाकुर की ओर से दिए गए आवेदन में कहा गया है,

Updated on: 02 May 2019, 05:55 PM

भोपाल:

भोपाल से भारतीय जनता पार्टी की उम्मीदवार साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर ने गुरुवार को निर्वाचन आयोग को पुनर्विचार के लिए आवेदन देकर प्रचार पर रोक की अवधि 72 घंटे से घटाकर 12 घंटे किए जाने का आग्रह किया. आयोग ने आदर्श आचार संहिता उल्लंघन की शिकायत पर प्रज्ञा को चुनाव प्रचार करने से 72 घंटे के लिए प्रतिबंधित किया है. प्रज्ञा ठाकुर की ओर से दिए गए आवेदन में कहा गया है, "मैंने हेमंत करकरे को लेकर जो कुछ भी कहा, उसके लिए क्षमा याचना भी की और अपना कथन वापस ले लिया. मैं आयोग को यह भी विश्वास दिलाती हूं कि भविष्य में मेरे द्वारा ऐसा कोई कथन या कृत्य नहीं किया जाएगा, जिस कारण आदर्श आचार संहिता या निर्वाचन विधि या केंद्र और राज्य के किसी भी विधि का उल्लंघन हो. साथ ही यह विश्वास दिलाती हूं कि भविष्य में मेरे द्वारा आयोग को कोई शिकायत नहीं मिलेगी."

प्रज्ञा ने इस आवेदन में नौ साल कारावास की अवधि मे मिली यातनाओं का भी जिक्र किया. साथ ही अपने बयान पर खेद जताने पर आयोग द्वारा ध्यान न दिए जाने की बात कही है.

भाजपा उम्मीदवार ने आयोग से प्रचार के लिए बहुत कम समय होने का हवाला देते हुए कहा, "भोपाल में 12 मई को मतदान हेाना है, 10 मई को प्रचार थम जाएगा. प्रचार पर लगाई गई रोक की अवधि को 72 घंटे से घटाकर 12 घंटे किया जाए."

गौरतलब है कि आयोग ने प्रज्ञा ठाकुर के चुनाव प्रचार पर गुरुवार सुबह छह बजे से 72 घंटे तक प्रचार करने पर रोक लगाई है. इससे पहले प्रज्ञा को चुनाव आयोग द्वारा दो नोटिस जारी किए जा चुके हैं. एक नोटिस टीवी साक्षात्कार के दौरान उनके बयान को लेकर जारी किया गया था और दूसरा नोटिस पूर्व एटीएस प्रमुख हेमंत करकरे के खिलाफ बयान देने को लेकर दिया गया था.

प्रज्ञा ने एक टीवी चैनल को दिए साक्षात्कार में कहा था कि वह उन लोगों में शामिल हैं, जिन्होंने 6 दिसंबर, 1992 को अयोध्या में बाबरी मस्जिद को ध्वस्त किया था और उनको इस कार्य के लिए गर्व है.

प्रज्ञा ने चैनल से कहा था, "हमने देश से एक कलंक को मिटाया. हम ढांचा को गिराने गए. मुझे काफी गर्व है कि ईश्वर ने मुझे यह मौका दिया और मैं इस कार्य को कर सकी. हम विश्वास दिलाते हैं कि उस स्थल पर राममंदिर का निर्माण होगा."

प्रज्ञा ठाकुर ने कहा था कि उन्होंने करकरे को श्राप दिया था, इसलिए वह मुंबई में 26 नवंबर, 2008 को हुए हमले में आतंकियों के हाथों मारे गए.

इस बयान की तीखी निंदा होने पर प्रज्ञा ने माफी मांग ली थी. भाजपा ने उनके इस बयान से खुद को अलग कर लिया. प्रज्ञा के खिलाफ पूर्व में आचार संहिता उल्लंघन का मामला एक थाने में दर्ज किया जा चुका है.

प्रज्ञा ठाकुर मालेगांव बम विस्फोट मामले में आरोपी हैं. वर्ष 2006 में हुई इस घटना में छह लोग मारे गए थे और करीब 100 लोग घायल हो गए थे. वह इस समय जमानत पर हैं और मालेगांव की घटना में मारे गए लोगों में से एक के पिता ने उनकी उम्मीदवारी को अदालत में चुनौती दी है.