यूपीए सरकार में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के पूर्व बिजनेस पार्टनर को मिला डिफेंस का ऑफसेट कॉन्ट्रेक्ट!
यूलरिक मैकनाइट ने साल 2011 में फ्रांस की रक्षा सामानों की आपूर्ति करने वाली कंपनी नेवल ग्रुप से स्कॉर्पियन सबमरीन को लेकर ऑफसेट कॉन्ट्रैक्ट हासिल किया था.
नई दिल्ली:
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के बिजनेस पार्टनर रहे यूलरिक मैकनाइट को यूपीए सरकार के दौरान ऑफसेट्स डिफेंस कॉन्ट्रैक्ट के जरिए फायदा पहुंचाने का मामला सामने आया है. मैकनाइट राहुल गांधी की ब्रिटिश कंपनी बैकोप्स यूके के को-प्रमोटर (Co-promoter) थे. बैकॉप्स यूके में यूलरिक मैकनाइट की हिस्सेदारी 35 फीसदी, जबकि राहुल गांधी की 65 फीसदी थी.
बैकोप्स यूके कंपनी साल 2003 में शुरू हुई थी और 2009 में इसे खत्म (dissolved) कर दिया गया. यूलरिक मैकनाइट ने साल 2011 में फ्रांस की रक्षा सामानों की आपूर्ति करने वाली कंपनी नेवल ग्रुप से स्कॉर्पियन सबमरीन को लेकर ऑफसेट कॉन्ट्रैक्ट हासिल किया था. यह मामला तब सामने आया है, जब राहुल गांधी की नागरिकता को लेकर कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी के बीच घमासान छिड़ा हुआ है.
राहुल गांधी ने दिया जवाब
बीजेपी के अध्यक्ष अमित शाह ने भी यह मुद्दा उठाया है. उन्होंने तंज कसते हुए लिखा, ''राहुल गांधी के 'मिडास टच' के साथ कोई भी सौदा बहुत ज्यादा नहीं है. जब वह सत्ता में थे, उनके कारोबारी साझेदार फायदा उठा रहे थे. इससे फर्क नहीं पड़ता कि भारत को इसका परिणाम भुगतना पड़े'.
वहीं, राहुल गांधी ने इसके जवाब में कहा, "सबकुछ सार्वजनिक है और मैंने कुछ गलत नहीं किया है. आप जो चाहे जांच कर लो, कोई कार्रवाई कर लो, मुझे कोई दिक्कत नहीं है क्योंकि मुझे पता है मैंने कुछ गलत नहीं किया है." हालांकि, राहुल ने इसके आगे ये भी जोड़ दिया कि राफेल की जांच भी होनी चाहिेए.
2004 के लोकसभा चुनाव में राहुल गांधी ने चुनावी हलफनामे में बैकोप्स यूरोप की चल संपत्ति का जिक्र किया था. चल संपत्ति में बैकोप्स यूरोप के तीन बैंक अकाउंट में जमा धनराशि का भी जिक्र था. फरवरी 2009 में कंपनी बंद कर दी गई थी. इसके अलावा राहुल गांधी बैकोप्स कंपनी के नाम की दूसरी कंपनी यानी बैकोप्स सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड से भी जुड़े रहे. इस कंपनी में उनकी बहन प्रियंका गांधी वाड्रा भी सह-निदेशक के पद पर रहीं.
राहुल गांधी ने अपने साल 2004 के चुनावी हलफनामे में घोषित किया था कि भारतीय कंपनी बैकोप्स सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड में उनकी 83 फीसदी हिस्सेदारी है. राहुल गांधी ने अपने चुनावी हलफनामे में यह भी बताया था कि उन्होंने इस कंपनी में दो लाख 50 हजार रुपये का निवेश किया है. यह कंपनी साल 2002 में बनाई गई थी, लेकिन बाद में इसको भी बंद कर दिया गया. इस कंपनी ने अपना अंतिम रिटर्न जून 2010 में दाखिल किया.
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