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Lok Sabha Election 2019 : एक महीने से ज्यादा के चुनावी समर में लागू होंगे ये नए नियम, जरूर पढ़ें ये खबर

चुनाव आयोग ने रविवार को लोकसभा चुनाव 2019 (Lok sabha Election 2019) के कार्यक्रमों की घोषणा कर दी.

Updated on: 11 Mar 2019, 11:31 AM

नई दिल्ली:

चुनाव आयोग ने रविवार को लोकसभा चुनाव 2019 (Lok sabha Election 2019) के कार्यक्रमों की घोषणा कर दी. देश में 11 अप्रैल से शुरू होने वाला चुनावी समर एक महीने से अधिक समय तक चलेगा. साथ ही चुनाव आयोग ने आंध्र प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, ओडिशा और सिक्किम के विधानसभा चुनाव का भी ऐलान कर दिया है. इसके तहत 11 अप्रैल से 19 मई तक सात चरणों में वोटिंग होगी और 23 मई को मतगणना होगी.

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बता दें कि साल 2014 में 16वीं लोकसभा का चुनाव नौ चरण में हुआ था. इस बार के लोकसभा चुनाव में कई नियम और प्रावधान पहली बार लागू होंगे. इस बार उम्मीदवारों को विज्ञापन देकर अपना आपराधिक रिकॉर्ड बताना होगा. इसके साथ ही उन्हें सोशल मीडिया अकांउट की भी जानकारी देनी होगी. इस लोकसभा चुनाव में जहां बीजेपी फिर सत्ता में वापसी के लिए हरसंभव प्रयास करेगी, वहीं विपक्ष का महागठबंधन भी बीजेपी को सत्ता से बेदखल करने के लिए जुटा हुआ है.

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लोकसभा चुनाव 2019 में ये होगा नया

    • चुनाव आयोग ने चुनाव अभियान में सोशल मीडिया के बढ़ते इस्तेमाल को देखते हुए इसके दुरुपयोग से फर्जी खबरों और गलत जानकारियों के प्रसार-प्रसार को रोकने के लिए सख्त प्रावधान किए हैं.
    • इस बार सभी उम्मीदवारों को अपने सोशल मीडिया अकांउट की जानकारी आयोग को देनी होगी. इससे पहले पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में भी यह व्यवस्था की गई थी.
    • लोकसभा चुनाव के उम्मीदवारों को अपने आपराधिक रिकॉर्ड का कम से कम तीन बार अखबार और टीवी पर विज्ञापन देने होंगे. इस संबंध में निर्देश 10 अक्टूबर 2018 को जारी किए गए थे, लेकिन इस लोकसभा चुनाव में पहली बार इस नियम का इस्तेमाल किया जाएगा.
    • राजनीतिक दलों को भी अपने उम्मीदवारों के आपराधिक रिकॉर्ड का विज्ञापन देना होगा. इसका मतलब है कि चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों और पार्टियों को प्रचार अवधि के दौरान व्यापक रूप से प्रसारित समाचार पत्रों तथा लोकप्रिय टीवी चैनलों में कम से कम तीन अलग-अलग तारीखों पर अपने आपराधिक रिकॉर्ड को सार्वजनिक करना होगा. जिन उम्मीदवारों का आपराधिक रिकॉर्ड नहीं है, उन्हें इस बात का उल्लेख करना होगा.
    • पार्टियों को अपने उम्मीदवारों के बारे में अपनी वेबसाइट पर जानकारी देनी होगी. हालांकि, चुनाव आयोग ने यह नहीं बताया कि क्या उम्मीदवारों को प्रचार के लिए अपनी जेब से भुगतान करना होगा.
    • शुचिता बरकरार रखने में जनता की भागीदारी को भी सुनिश्चित करने के लिए पहली बार राष्ट्रीय स्तर पर मोबाइल ऐप ‘सी-विजल' का इस्तेमाल किया जाएगा. इसके जरिए कोई भी नागरिक निर्वाचन नियमों के उल्लंघन की शिकायत कर सकेगा. इस पर संबद्ध प्राधिकारी को 100 मिनट के भीतर कार्रवाई करना अनिवार्य है. इससे पहले पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में इस ऐप का सफलतापूर्वक प्रयोग किया गया था.
    • चुनाव आयोग फर्जी खबरों (फेक न्यूज) पर नजर रखने और अभद्र भाषा के इस्तेमाल पर लगाम लगाने के लिए सोशल मीडिया साइटों पर तथ्यों की जांच-परख करने वालों को तैनात करेगा.
    • सोशल मीडिया के हर प्लेटफॉर्म ने ऐसा तंत्र बनाया है कि चुनाव प्रक्रिया के दौरान सिर्फ उन्हीं राजनीतिक विज्ञापनों को स्वीकार किया जाएगा, जो पहले से प्रमाणित हों. वे इस मद में हुए खर्च का ब्योरा भी चुनाव अधिकारियों से साझा करेंगे.
    • ईवीएम और पोस्टल बैलट पेपरों पर सभी उम्मीदवारों की तस्वीरें होंगी, ताकि वोटर चुनावी मैदान में अपनी किस्मत आजमा रहे नेताओं की पहचान कर सकें. इसके लिए उम्मीदवारों को आयोग की ओर से निर्धारित शर्तों पर अमल करते हुए निर्वाचन अधिकारी के पास अपनी हालिया स्टैंन साइज तस्वीर देनी होगी.
    • पहली बार 2009 के चुनावों के समय फोटो युक्त मतदाता सूची का इस्तेमाल किया गया था. उस वर्ष असम, जम्मू-कश्मीर और नगालैंड में फोटो युक्त मतदाता सूची नहीं थी, जबकि असम एवं नगालैंड में मतदाता फोटो पहचान-पत्र (एपिक) नहीं बांटे गए थे. अब सभी राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों में फोटो युक्त मतदाता सूची है और 99.72 फीसदी मतदाताओं की तस्वीरें मतदाता सूची में पहले से चस्पा हैं. इसके अलावा, 99.36 फीसदी मतदाताओं को एपिक दिए गए हैं.