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साध्वी प्रज्ञा पर चला चुनाव आयोग का डंडा, चुनाव प्रचार पर 3 दिनों की रोक

साध्वी प्रज्ञा पर चला चुनाव आयोग का डंडा, चुनाव आयोग ने आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन करने को लेकर बुधवार को भोपाल से भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) उम्मीदवार साध्वी प्रज्ञा ठाकुर के चुनावी अभियान पर 72 घंटे की रोक लगा दी.

Updated on: 02 May 2019, 08:22 AM

भोपाल:

साध्वी प्रज्ञा पर चला चुनाव आयोग का डंडा, चुनाव आयोग ने आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन करने को लेकर बुधवार को भोपाल से भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) उम्मीदवार साध्वी प्रज्ञा ठाकुर के चुनावी अभियान पर 72 घंटे की रोक लगा दी. यह रोक गुरुवार सुबह छह बजे से अगले 72 घंटे तक जारी रहेगी. साध्वी प्रज्ञा ठाकुर के चुनावी अभियान पर रोक धार्मिक आधार पर वोट मांगने को लेकर लगाई गई है, जिसे आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन माना गया है. चुनाव आयोग ने बुधवार को जारी अपने आदेश में उनके बयान की कड़ी निंदा की और उन्हें भविष्य में इस प्रकार का कदाचार नहीं दोहराने की चेतावनी दी.

चुनाव आयोग ने उनको तीन दिनों तक जनसभा, प्रदर्शन, रैली व रोडशो करने और साक्षात्कार देने और चुनाव को लेकर मीडिया में सार्वजनिक बयान देने से मना किया है.

ठाकुर को चुनाव आयोग ने दो नोटिस जारी किए हैं. उनको एक नोटिस टीवी साक्षात्कार के दौरान उनके बयान को लेकर जारी किया गया है और दूसरा नोटिस एटीएस के पूर्व प्रमुख हेमंत करकरे के खिलाफ बयान देने को लेकर दिया गया है.

ठाकुर ने एक टीवी चैनल को दिए साक्षात्कार में कहा था कि वह उन लोगों में शामिल हैं, जिन्होंने छह दिसंबर 1992 को अयोध्या में बाबरी मस्जिद को ध्वस्त किया था और उनको इस कार्य को लेकर गर्व है.

प्रज्ञा ने चैनल से कहा, "हमने देश से एक कलंक को मिटाया. हम ढांचा को गिराने गए. मुझे काफी गर्व है कि ईश्वर ने मुझे यह मौका दिया और मैं इस कार्य को कर सकी. हम विश्वास दिलाते हैं कि उस स्थल पर राममंदिर का निर्माण होगा."

ठाकुर ने कहा था कि एटीएस के पूर्व प्रमुख करकरे को उन्होंने शाप दिया था, इसलिए वह मुंबई में 26 नवंबर, 2008 को हुए हमले में आतंकियों के हाथों मारे गए. इस बयान की तीखी निंदा होने पर ठाकुर ने बाद में माफी मांगी और स्वीकार किया कि करकरे एक शहीद हैं. बीजेपी ने उनके इस बयान से खुद को दूर कर लिया.

49 वर्षीय प्रज्ञा ठाकुर मालेगांव बम धमाका मामले में आरोपी हैं. 2006 में हुई इस घटना में छह लोग मारे गए थे और करीब 100 लोग घायल हो गए थे. वह मामले में इस समय जमानत पर हैं और मालेगांव की घटना में मारे गए लोगों में से एक के पिता ने उनकी उम्मीदवारों को अदालत में चुनौती दी है.