सर्जिकल स्ट्राइक 2016: डीएस हुड्डा बोले- मोदी सरकार ने दिखाया मजबूत संकल्प
वे गोवा की राजधानी पणजी में आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे.
नई दिल्ली:
2016 में पाकिस्तान में सर्जिकल स्ट्राइक की अगुवाई कर चुके लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) डीएस हुड्डा ने शुक्रवार को कहा, मोदी सरकार ने सेना को सीमा पार हमले करने की अनुमति देने में एक बड़ा संकल्प दिखाने का काम किया है. वे गोवा की राजधानी पणजी में आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे.
उरी में आतंकी हमले को याद करते हुए हुड्डा बोले, ‘‘उस शाम, मैं चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ के साथ था और हम तंबुओं की राख की चार इंच मोटी परत से गुजरते हुए कह रहे थे कि हमें कुछ करना है, हम इसे ऐसे ही जाने नहीं दे सकते. हम नहीं जानते थे कि यह मौका कब आएगा. (उरी हमले से पहले) पिछले एक साल से स्पेशल फोर्सेज को इसके लिए तैयार किया जा रहा था...यदि हमें सीमा पार पाकिस्तान में धावा बोलना हो, तो हमें क्या करना होगा. ’’
जनरल हुड्डा ने कहा, ‘हमने सीमा पार पांच आतंकी शिविरों को निशाना बनाने का फैसला किया. यह बेहद पेचीदा अभियान था, क्योंकि यह दुनिया की सबसे ज्यादा चाक-चौबंद सीमा है. हमने इसके पार आतंकियों के शिविर को निशाना बनाने का फैसला किया.’’
जनरल हुड्डाबोले- ‘‘27 सितंबर की रात में (सर्जिकल स्ट्राइक से दो दिन पहले) हमें पता चला कि इनमें से एक आतंकी शिविर को मजबूत बनाकर सक्रिय किया गया है. हम यह सोच रहे थे कि हमें इसे निशाने वाली सूची में रखना चाहिए या नहीं. इसके बाद हमने चार से पांच लोगों की एक छोटी टीम भेजने और अपने निशाने पर ध्यान केंद्रित रखने का फैसला किया. ’’
जनरल हुड्डा ने आगे कहा, ‘‘हमने पहले निशाने पर करीब मध्यरात्रि में वार किया और अंतिम निशाने पर हमने सुबह छह बजे निशाना लगाया. इन दोनों निशानों के बीच छह घंटे का अंतर था. निश्चित रूप से पहला निशाना लगने के बाद हम चिंतित थे कि पाकिस्तान की सेना सक्रिय हो सकती है और सोच सकती है कि दूसरी जगहों को भी निशाना बनाया जा सकता है, लेकिन हमने उन्हें चकित कर दिया.’’
अपने संबोधन में हुड्डा ने कहा, ''मौजूदा सरकार ने सर्जिकल स्ट्राइक और बालाकोट में हवाई हमले की अनुमति देने में निश्चित रूप से बड़ा राजनीतिक संकल्प दिखाने का काम किया है, हालांकि पहले भी सेना के हाथ बंधे नहीं थे." उन्होंने कहा, ''नियंत्रण रेखा एक खतरनाक जगह है. दुश्मन देश की ओर से गोलीबारी होने पर सेना को तत्काल जवाब देना होता है. उन्हें इसके लिए अनुमति लेने की जरूरत नहीं है. इसका कोई विकल्प नहीं है." हुड्डा ने अपने संबोधन में सैन्य अभियानों पर सबूत मांगने वाले बयानों की भी कड़ी निंदा की.
उन्होंने कहा, ‘‘कृपया अपने वरिष्ठ सैन्य अफसरों पर विश्वास करें. जब सेना के अफसर ऐसा कहते हैं कि उन्होंने सर्जिकल स्ट्राइक किया तो इसमें शक करने की कोई गुंजाइश ही नहीं होनी चाहिए.'' उन्होंने कहा, ''मैं पूरी तरह ईमानदारी से कह सकता हूं कि सैन्य अभियान किस तरह चलाए जाएं, इस बारे में कभी राजनेताओं ने दखलंदाजी नहीं की.'' बता दें कि हुड्डा ने सितंबर 2016 में उरी आतंकी हमले के बाद सीमा-पार सर्जिकल स्ट्राइक के समय सेना की उत्तरी कमान की अगुवाई की थी. वे अब राष्ट्रीय सुरक्षा पर कांग्रेस के कार्यबल को हेड कर रहे हैं.
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