गलवान के वीरों को नमन, बर्फीली चोटियों पर सेना का साहसिक पर्वतारोहण अभियान

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गलवान के वीरों को नमन, बर्फीली चोटियों पर सेना का साहसिक पर्वतारोहण अभियान

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IANS
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गलवान के वीरों को नमन, बर्फीली चोटियों पर सेना का साहसिक पर्वतारोहण अभियान

(source : IANS) ( Photo Credit : IANS)

नई दिल्ली, 18 जून (आईएएनएस)। गलवान घाटी में शहीद हुए भारतीय सेना के जवानों को एक अनूठे अंदाज में श्रद्धांजलि दी गई है। सेना के जवानों ने अपने साथियों के बलिदान को याद करते हुए अत्यधिक ऊंचाई वाले दुर्गम पर्वतों पर चढ़ाई की। बर्फ से ढकी पहाड़ियों पर पर्वतारोहण का यह अभियान बेहद जटिल था, लेकिन साहसी जवानों ने यह लक्ष्य सफलतापूर्वक हासिल किया है।

बता दें कि जून 2020 में गलवान में भारतीय सेना व चीनी सैनिकों के बीच झड़प हुई थी। पूर्वी लद्दाख में चीनी सैनिकों के इरादों को नाकाम करते हुए 20 भारतीय सैनिकों ने देश की रक्षा में अपने प्राणों का सर्वोच्च बलिदान दिया था। इस घटना को वर्ष 2025 में पांच साल पूरे हो चुके हैं। पांच वर्ष पूरे होने पर सेना द्वारा पर्वतारोहण का यह अभियान गलवान के शहीदों को श्रद्धांजलि देने के लिए आयोजित किया गया था।

गलवान घाटी भारत में भारत-चीन की सीमा के पास स्थित है। यह इलाका केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख में अक्साई चिन क्षेत्र में है। शहीदों को श्रद्धांजलि देने के साथ ही लद्दाख में सीमावर्ती पर्यटन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से भारतीय सेना ने यहां माउंट शाही कांगरी और माउंट सिल्वर पीक तक एक पर्वतारोहण अभियान सफलतापूर्वक संपन्न किया। यह अभियान 28 मई को प्रारंभ हुआ और 18 जून को फायर एंड फ्यूरी कोर के जनरल ऑफिसर कमांडिंग लेफ्टिनेंट जनरल हितेश भल्ला द्वारा संपन्न किया गया। मूलतः यह अभियान गलवान संघर्ष के दौरान वीरगति को प्राप्त सैनिकों के अदम्य साहस और बलिदान को श्रद्धांजलि स्वरूप आयोजित किया गया।

28 कुशल सैन्य पर्वतारोहियों की टीम ने इस अभियान को अंजाम दिया। इन सभी पर्वतारोहियों को बर्फीले और पथरीले क्षेत्र में संचालन हेतु विशेष प्रशिक्षण प्राप्त था। उन्होंने अत्यधिक ऊंचाई वाले दुर्गम पर्वतीय इलाके में असाधारण धैर्य, साहस और तकनीकी दक्षता का प्रदर्शन किया। ये पर्वत शृंखलाएं काराकोरम रेंज में देपसांग मैदान के दक्षिण-पश्चिम में स्थित हैं।

खास बात यह है कि पहाड़ों की ये चोटियां पूरे वर्ष बर्फ से ढकी रहती हैं। सेना के मुताबिक पर्वतारोहियों की टीम ने दक्षिण-पूर्व दिशा से एक छोटा, किंतु अत्यंत खतरनाक मार्ग अपनाया। इस मार्ग में उन्हें गहरी दरारों (क्रेवास), बर्फीले शिखरों (कॉर्निस) और ग्लेशियरों को पार करना पड़ा, जो सैनिकों की शारीरिक और मानसिक दृढ़ता का परिचायक है। सेना का कहना है कि यह अभियान न केवल सैन्य उत्कृष्टता का प्रतीक बना, बल्कि इस क्षेत्र में साहसिक पर्यटन की संभावनाओं को भी उजागर करता है।

--आईएएनएस

जीसीबी/डीएससी

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