गगनयान मिशन: इसरो का ड्रोग पैराशूट डिप्लॉयमेंट टेस्ट सफलतापूर्वक पूरा, भारत की मानव अंतरिक्ष उड़ान की दिशा में बड़ा कदम

गगनयान मिशन: इसरो का ड्रोग पैराशूट डिप्लॉयमेंट टेस्ट सफलतापूर्वक पूरा, भारत की मानव अंतरिक्ष उड़ान की दिशा में बड़ा कदम

गगनयान मिशन: इसरो का ड्रोग पैराशूट डिप्लॉयमेंट टेस्ट सफलतापूर्वक पूरा, भारत की मानव अंतरिक्ष उड़ान की दिशा में बड़ा कदम

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IANS
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गगनयान मिशन: ड्रोग पैराशूट डिप्लॉयमेंट टेस्ट सफलतापूर्वक पूरे, भारत की मानव अंतरिक्ष उड़ान की दिशा में बड़ा कदम

(source : IANS) ( Photo Credit : IANS)

बेंगलुरु, 20 दिसंबर (आईएएनएस)। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने गगनयान मिशन के लिए एक और महत्वपूर्ण सफलता हासिल की है। 18 और 19 दिसंबर को चंडीगढ़ स्थित टर्मिनल बैलिस्टिक रिसर्च लेबोरेटरी (टीबीआरएल) की रेल ट्रैक रॉकेट स्लेड (आरटीआरएस) सुविधा में ड्रोग पैराशूट के क्वालिफिकेशन टेस्ट की सीरीज़ सफलतापूर्वक पूरी की गई। ये टेस्ट गगनयान क्रू मॉड्यूल के डीसेलेरेशन सिस्टम के विकास के लिए आयोजित किए गए थे।

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गगनयान भारत का पहला मानव अंतरिक्ष उड़ान मिशन है, जिसमें तीन भारतीय अंतरिक्ष यात्री पृथ्वी की निचली कक्षा में जाएंगे। क्रू मॉड्यूल की सुरक्षित वापसी के लिए डीसेलेरेशन सिस्टम बेहद महत्वपूर्ण है। इस सिस्टम में कुल 10 पैराशूट शामिल हैं, जो चार प्रकार के होते हैं। लैंडिंग सीक्वेंस की शुरुआत दो एपेक्स कवर सेपरेशन पैराशूट से होती है, जो पैराशूट कंपार्टमेंट का सुरक्षात्मक कवर हटाते हैं।

इसके बाद दो ड्रोग पैराशूट तैनात होते हैं, जो मॉड्यूल को स्थिर करते हैं और री-एंट्री के दौरान उसकी उच्च गति को कम करते हैं। ड्रोग पैराशूट रिलीज होने पर तीन पायलट पैराशूट सक्रिय होते हैं, जो तीन मुख्य पैराशूट को बाहर निकालते हैं। मुख्य पैराशूट अंत में क्रू मॉड्यूल की गति को इतना धीमा कर देते हैं कि समुद्र में सुरक्षित लैंडिंग हो सके।

ड्रोग पैराशूट इस पूरे सिस्टम का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं, क्योंकि वे अत्यधिक गति और कठिन परिस्थितियों में मॉड्यूल को नियंत्रित करते हैं। इस टेस्ट सीरीज का मुख्य उद्देश्य चरम स्थितियों में इन पैराशूटों की विश्वसनीयता और प्रदर्शन का सख्त मूल्यांकन करना था। आरटीआरएस सुविधा पर दोनों टेस्ट सफल रहे, जिसमें सभी निर्धारित लक्ष्य हासिल किए गए। विभिन्न उड़ान परिस्थितियों में भी पैराशूटों की मजबूती साबित हुई।

ये टेस्ट विक्रम साराभाई स्पेस सेंटर (वीएसएससी), इसरो के नेतृत्व में हुए, जिसमें एरियल डिलीवरी रिसर्च एंड डेवलपमेंट एस्टैब्लिशमेंट (एडीआरडीई), डीआरडीओ और टीबीआरएल, डीआरडीओ की सक्रिय भागीदारी रही। इस सफलता से गगनयान के पैराशूट सिस्टम को मानव उड़ान के लिए क्वालिफाई करने की दिशा में एक बड़ा कदम आगे बढ़ा है।

गगनयान मिशन भारत को चुनिंदा देशों की उस सूची में शामिल करेगा, जो स्वतंत्र रूप से मानव को अंतरिक्ष में भेज सकते हैं। मिशन की तैयारी जोरों पर है, और ये टेस्ट अंतरिक्ष यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने में मील का पत्थर साबित होंगे।

--आईएएनएस

एससीएच

डिस्क्लेमरः यह आईएएनएस न्यूज फीड से सीधे पब्लिश हुई खबर है. इसके साथ न्यूज नेशन टीम ने किसी तरह की कोई एडिटिंग नहीं की है. ऐसे में संबंधित खबर को लेकर कोई भी जिम्मेदारी न्यूज एजेंसी की ही होगी.

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