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सांकेतिक तस्वीर Photograph: (Wikimedia)
एक शख्स ग्लूबक्स ने अपने घर की बिजली की जरूरत खुद पूरी करने का ऐसा तरीका निकाला, जिसकी हर तरफ चर्चा हो रही है. उन्होंने न तो बिजली कनेक्शन लिया और न ही किसी कंपनी पर निर्भर रहे. पिछले आठ साल से बिना पावर कट और बिना बिजली बिल के उनके घर में मौजूद टीवी, फ्रिज, लाइट, पंखे ये सबकुछ पूरी तरह उन्हीं के बनाए सिस्टम से चल रहा है.
2016 से हुई शुरुआत
ये कहानी शुरू हुई साल 2016 में, जब ग्लूबक्स ने एक ऑनलाइन फोरम पर बताया कि वे पुराने लैपटॉप की बैटरियों की मदद से घर चलाने की कोशिश कर रहे हैं. शुरुआत में उनके पास सिर्फ 1.4 किलोवाट के सोलर पैनल, एक पुरानी फोर्कलिफ्ट बैटरी और करीब 650 पुराने लैपटॉप बैटरी पैक थे. चुनौती यह थी कि सभी बैटरियां अलग-अलग उम्र की थीं—कुछ जल्दी खत्म हो जातीं, कुछ ज्यादा चलतीं, जिससे पूरा सिस्टम खराब होने लगता था.
फिर तैयार किए ब्लॉक
ग्लूबक्स ने हार नहीं मानी. उन्होंने हर बैटरी पैक को अलग-अलग खोलकर, हर सेल को जांचा. कमजोर सेल फेंक दिए और मजबूत सेल को जोड़कर 100 एम्पियर-घंटे की बड़ी बैटरी ब्लॉक तैयार किए. इन ब्लॉकों को घर से 50 मीटर दूर बने एक शेड में सुरक्षित रखा, जहां चार्ज कंट्रोलर, इन्वर्टर और बाकी उपकरण फिट किए गए.
440 वाट के 24 नए सोलर पैनल
जैसे-जैसे समय बीतता गया, उन्होंने सिस्टम को और बेहतर किया. 440 वाट के 24 नए सोलर पैनल लगाए, जिससे सर्दियों के छोटे दिनों में भी बैटरी पूरी तरह चार्ज होने लगी. लैपटॉप बैटरी पैक की संख्या भी बढ़कर 1000 हो गई, जिन्हें उन्होंने एक-एक करके जांचकर ही जोड़ा. पुरानी फोर्कलिफ्ट बैटरी आज भी सिस्टम को स्थिर रखने में मदद करती है.
8 साल से बिना रुके चल रही है बैटरी
अब ग्लूबक्स का सिस्टम 24 वोल्ट पर चलता है और 3 किलोवाट का इन्वर्टर उनके पूरे घर को बिजली देता है. पहले जहां सिर्फ 7 किलोवाट घंटे की स्टोरेज थी, वह अब बढ़कर 56 किलोवाट घंटे तक पहुंच गई है. बादल भरे कई दिनों में भी उनके घर की बिजली नहीं रुकती. सबसे खास बात—इन आठ सालों में उनकी एक भी बैटरी खराब नहीं हुई. इतनी मेहनत से बैटरी सेल को छांटना और बैलेंस करना आसान नहीं था, लेकिन ग्लूबक्स ने साबित किया कि फेंकी गई लैपटॉप बैटरियां भी एक घर को लंबे समय तक रोशन कर सकती हैं.
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