स्मार्टफोन-संचालित सस्ती, पोर्टेबल अल्ट्रासाउंड मशीन विकसित, जल्द होगी लॉन्च, जानें इसकी कीमत

यूनिवर्सिटी ऑफ ब्रिटिश कोलंबिया (यूबीसी) के इंजीनियरों ने एक नया अल्ट्रासाउंड ट्रांसडुसर, या प्रोब विकसित किया है, जो किसी बैंड-एड से भी छोटा है.

यूनिवर्सिटी ऑफ ब्रिटिश कोलंबिया (यूबीसी) के इंजीनियरों ने एक नया अल्ट्रासाउंड ट्रांसडुसर, या प्रोब विकसित किया है, जो किसी बैंड-एड से भी छोटा है.

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desh deepak
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स्मार्टफोन-संचालित सस्ती, पोर्टेबल अल्ट्रासाउंड मशीन विकसित, जल्द होगी लॉन्च, जानें इसकी कीमत

स्मार्टफोन-संचालित सस्ती, पोर्टेबल अल्ट्रासाउंड मशीन

यूनिवर्सिटी ऑफ ब्रिटिश कोलंबिया (यूबीसी) के इंजीनियरों ने एक नया अल्ट्रासाउंड ट्रांसडुसर, या प्रोब विकसित किया है, जो किसी बैंड-एड से भी छोटा है. यह पोर्टेबल और वेयरेबल है तथा इसे स्मार्टफोन से भी संचालित किया जा सकता है. यह अल्ट्रासाउंड स्कैनर की लागत को चमत्कारिक रूप से कम कर सकता है, जो कि 100 डॉलर (करीब 7000 रुपये) जितना हो सकता है.

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परंपरागत अल्ट्रासाउंड स्कैनर्स पाइजोइलेक्ट्रिक क्रिस्टल्स से शरीर के अंदर की तस्वीरें उतारते हैं और उन्हें कंप्यूटर को सोनोग्राम बनाने के लिए भेजते हैं.

शोधकर्ताओं ने पाइजोइलेक्ट्रिक क्रिस्टल्स को पॉलिमर रेसिन से बने छोटे वाइब्रेटिंग ड्रम्स से बदल दिया, जिसे पॉलीसीएमयूटीज (पॉलिमर कैपेसिटिव माइक्रो-मशीन्ड अल्ट्रासाउंड ट्रांसडुसर्स) कहते हैं, जिसका उत्पादन सस्ता है.

शोध प्रमुख और यूबीसी के डॉक्टोरल छात्र कार्लोस गेर्राडो ने बताया, "ट्रांसडुसर ड्रम्स सामान्यत: कठोर सिलिकॉन सामग्री से बनाया जाता है, जिसके लिए महंगी पर्यावरण नियंत्रित विनिर्माण प्रकिया की जरूरत होती है, और इससे अल्ट्रासाउंड में इनके उपयोग में बाधा आती है."

गेर्राडो ने आगे कहा, "पॉलिमर रेसिन के इस्तेमाल से हम पॉलीसीएमयूटीज का उत्पादन फैब्रिकेशन के बहुत कम चरणों में बेहद कम उपकरणों के साथ कर सकते हैं, जिससे इसकी लागत काफी कम हो जाएगी."

शोध के सह-लेखक और इलेक्ट्रिकल और कंप्यूटर इंजीनियरिंग के प्रोफेसर एडमंड क्रेटु का कहना है कि नए डिवाइस द्वारा निकाला गया सोनोग्राम पांरपरिक डिवाइसों जितना ही या उससे अधिक स्पष्ट होता है.

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उन्होंने कहा, "हमारे ट्रांसडुसर को चलने के लिए महज 10 वोल्ट बिजली की जरूरत होती है, इसलिए इसे स्मार्टफोन से भी चलाया जा सकता है, जो कि बिजली से वंचित क्षेत्रों या दूरदराज के क्षेत्रों के लिए काफी काम का साबित हो सकता है."

यह शोध पत्र माइक्रोसिस्टम एंड नैनोइंजीनियरिंग जर्नल में प्रकाशित किया गया है.

Source : IANS

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