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आईफोन लेटेस्ट न्यूज Photograph: (NN/APPLE)
भारत में iPhone लॉन्च अब किसी क्रिकेट वर्ल्ड कप फाइनल जैसा नज़ारा पेश करने लगा है. 19 सितंबर को दिल्ली के साकेत और मुंबई के Apple स्टोर के बाहर जमा हुई भीड़ को देखकर लगा मानो किसी धार्मिक मेले जैसा माहौल हो. लोग नई डिवाइस पाने की होड़ में मारपीट तक कर बैठे. लेकिन भीड़ से बड़ा सवाल यह है कि भारत में कितने लोग वाकई कैश में iPhone खरीदते हैं और कितने EMI पर भरोसा करते हैं?
क्या कहते हैं आंकड़ें?
सोशल मीडिया और इंफ्लुएंसर डेटा के मुताबिक़, लगभग 70% खरीदार EMI का सहारा लेते हैं, जबकि केवल 30% लोग ही कैश में iPhone खरीदते हैं. हालांकि जब रिटेल इंडस्ट्री के आंकड़े देखे गए तो तस्वीर थोड़ी अलग मिली. क्रोमा के डेटा के अनुसार, जनवरी से अगस्त 2025 के बीच हर चार में से एक iPhone EMI या फिर क्रेडिट कार्ड और NBFC लोन के ज़रिए खरीदा गया.
मिडिल-इनकम वाले फंस रहे हैं अधिक लोग
इसका मतलब है कि EMI कल्चर अब केवल मेट्रो शहरों तक सीमित नहीं है, बल्कि टियर-2 और टियर-3 शहरों में भी तेजी से फैल रहा है. आंकड़े यह भी बताते हैं कि भारत में मिडिल-इनकम ग्रुप की औसत मासिक सैलरी 40 से 50 हजार रुपये के बीच है. वहीं iPhone 17 की शुरुआती कीमत 82,900 रुपये है. यानी अगर किसी की आय 40 हजार रुपये है, तो यह फोन खरीदने के लिए उसे दो महीने की पूरी सैलरी खर्च करनी होगी.
क्या अमेरिकी भी EMI के चक्कर में फंसते हैं?
इसके उलट अमेरिका में औसत मासिक आय लगभग 3.5 लाख रुपये है और वहां iPhone 17 की कीमत करीब 70 हजार रुपये पड़ती है. इसका सीधा मतलब है कि जहां भारत में iPhone एक लक्ज़री ब्रांड माना जाता है, वहीं अमेरिका में यह महज़ एक सामान्य स्मार्टफोन की तरह खरीदा जाता है.
आखिर क्यों EMI लोग खरीद रहे हैं फोन?
EMI पर खरीदने के पीछे कई वजहें हैं. पहले iPhone को सिर्फ़ सेलेब्रिटीज़ का स्टेटस सिंबल माना जाता था, लेकिन अब आसान मासिक किस्तों ने इसे आम लोगों की पहुंच में ला दिया है. जिसे आम लोग भी स्टेटस सिंबल की तौर पर लेने लगे.
EMI में फंस रहे हैं लोग
हर महीने 3 से 5 हजार रुपये चुकाकर लोग भूल जाते हैं कि वे असल में डेढ़ लाख रुपये का फोन ले चुके हैं. लेकिन इसकी असलियत तब सामने आती है जब दो साल बाद EMI खत्म होती है और उसी समय मार्केट में नए मॉडल आ जाते हैं.
उस समय खरीदा गया iPhone आधी कीमत पर भी आसानी से नहीं बिकता. यही वजह है कि आज भारत में iPhone का जुनून उतना ही सच है जितना EMI का गणित. टेक्नोलॉजी में अपग्रेड करना ज़रूरी है, लेकिन सिर्फ़ स्टेटस दिखाने के लिए लंबी EMI में फंसना किसी के लिए भी आर्थिक बोझ बन सकता है.
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