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Fact Check: NRA ने 8 लाख पदों पर निकाली बिना परीक्षा सीधी भर्ती, जानें सच

सोशल मीडिया के चर्चित प्लेटफॉर्म Youtube पर एक वीडियो वायरल हो रही है, जिसमें दावा किया जा रहा है कि राष्ट्रीय भर्ती एजेंसी ने 8 लाख से भी अधिक पदों के लिए बिना किसी परीक्षा के सीधी भर्ती निकाली है.

Updated on: 06 Feb 2021, 10:45 AM

नई दिल्ली:

आज के समय में सोशल मीडिया संचार का सबसे प्रभावशाली साधन बन चुका है. जहां इसके तमाम बड़े फायदे हैं तो वहीं दूसरी ओर इसके बेहिसाब नुकसान भी हैं. सोशल मीडिया पर आए दिन फर्जी और भड़काऊ सामग्री पोस्ट कर दी जाती है, जिससे माहौल बिगड़ने का बड़ा खतरा बना रहता है. इसके अलावा कुछ फर्जी पोस्ट्स ऐसी भी रहती हैं, जिससे लोगों तक गलत सूचना पहुंचती है. इसी सिलसिले में सोशल मीडिया के चर्चित प्लेटफॉर्म Youtube पर एक वीडियो वायरल हो रही है, जिसमें दावा किया जा रहा है कि राष्ट्रीय भर्ती एजेंसी ने 8 लाख से भी अधिक पदों के लिए बिना किसी परीक्षा के सीधी भर्ती निकाली है.

PIB Fact Check ने जब इस वायरल वीडियो की पड़ताल की तो इसकी सच्चाई सामने आ गई. आपको बता दें कि एनआरए (National Recruitment Agency) ने अभी तक किसी भी सरकारी नौकरी के लिए विज्ञापन जारी नहीं किया है. PIB Fact Check ने वायरल वीडियो की पड़ताल करते हुए सच्चाई से पर्दा उठाया. PIB Fact Check ने लिखा, ''दावा: एक #YouTube वीडियो में दावा किया जा रहा है कि राष्ट्रीय भर्ती एजेंसी ने 8 लाख से भी अधिक पदों हेतु बिना किसी परीक्षा के सीधी भर्ती निकाली है. #PIBFactCheck: यह दावा #फर्जी है. राष्ट्रीय भर्ती एजेंसी ने अभी तक किसी भी सरकारी पद हेतु भर्ती विज्ञापन जारी नहीं किया है.''

अभी हाल ही में सोशल मीडिया पर एक और फर्जी खबर वायरल हो रही थी. जिसमें दावा किया जा रहा था कि केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार देशभर के सभी बेरोजगारों को हर महीने न्यूनतम 1500 रुपये से अधिकतम 3800 रुपये तक का बेरोजगारी भत्ता दे रही है. वायरल हो रहे मैसेज में कहा जा रहा था कि केंद्र सरकार 18 से 25 साल के बेरोजगारों को 1500, 26 से 30 साल वाले बेरोजगारों को 2000, 31 से 35 साल के बेरोजगारों को 3000, 36 से 45 साल के बेरोजगारों को 3500 और 46 से 50 साल के बेरोजगारों को 3800 रुपये का बेरोजगारी भत्ता दे रही है.

बताते चलें कि सोशल मीडिया पर आए दिन वायरल होने वाली फर्जी खबरों की संख्या में तेजी से बढ़ोतरी हो रही है, जो हमारे लिए काफी खतरनाक है. सोशल मीडिया पर वायरल होने वाली इन तरह की फर्जी खबरों पर लगाम लगाने के लिए तमाम प्रयास किए जा रहे हैं लेकिन इसे रोकने में कोई बड़ी कामयाबी नहीं मिल पा रही है.