Fact Check:कश्मीरी पंडित ने गोहत्या को रोका...कश्मीर में आर्टिकल 370 हटने का असर

इस तरह हमारी पड़ताल में साफ हो गया, गोहत्या का विरोध करते कश्मीरी का जो दावा किया जा रहा है वो आधा सही और आधा गलत है.

इस तरह हमारी पड़ताल में साफ हो गया, गोहत्या का विरोध करते कश्मीरी का जो दावा किया जा रहा है वो आधा सही और आधा गलत है.

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Pradeep Singh
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Cow thump

फैक्यचेक( Photo Credit : News Nation)

आर्टिकल 370 से जोड़कर कश्मीर का एक वीडियो सोशल मीडिया में वायरल है. वीडियो में कुछ मवेशियों के साथ आठ लोग नज़र आ रहे हैं.ये सभी लोग एक खाली पड़े प्लॉट में खड़े हैं और शख़्स के साथ बहस कर रहे हैं.दावा किया जा रहा है कि वीडियो श्रीनगर का है और ये लोग गोहत्या के इरादे से इस प्लॉट में इकट्ठा हुए थे.लेकिन एक कश्मीरी पंडित ने इन्हें रोक दिया.वीडियो बना रहा शख़्स इन लोगों से गाट काटने का लाइसेंस मांगता है.फिर इनको यहां से चले जाने को कहता है.देवेंद्र ताम्रकार नाम के यूजर ने वीडियो शेयर करते हुए लिखा-"अब कश्मीर में दिख रही है 370 और 35A की ताकत, भारत एक ऐसा देश है जहाँ दूध फटने पर लोग छाती फाड़कर चिल्लाने रोने लगते हैं लेकिन गाय के कटने पर एक बुंद आँसू नहीं बहता.लेकिन इस कश्मीरी पंडित ने अपने दम पर गोमाता को कटने नहीं दिया."

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वीडियो देखकर एक बात तो साफ है कि शख्स ने गोहत्या का विरोध किया.पड़ताल हमने वायरल वीडियो से ही शुरू की..तो हमें वायरल वीडियो में एक दीवार पर उर्दू 'मरकज़ी दार अल उलूम दाउद' लिखा दिखाई दिया...

इस क्लू के बारे में हमने हमारे श्रीनगर संवाददाता मीर फरीद से जानकारी जुटाई तो पता चला कि वीडियो श्रीनगर का ही है और ये वीडियो आरिफ जान नाम के शख्स के शख्स बनाया था.हालांकि वीडियो वायरल होने के बाद आरिफ ने इसपर सफाई भी दी थी...पड़ताल की अगली कड़ी में हम आरिफ जान के फेसबुक अकाउंट पर पहुंचे..तो हमें एक पोस्ट मिला....जिसमें आरिफ ने लिखा था..."सोशल मीडिया साइट इस वीडियो को वायरल कर रहे हैं और इसे धार्मिक और राजनीतिक मुद्दा बना रहे हैं, ये मामला पूरी तरह से अलग था, मैं ईद पर जानवरों की कुर्बानी के ख़िलाफ़ नहीं हूं, कुर्बानी की जगह का विरोध कर रहा था क्योंकि दारुलालूम मेरे किचन की दीवार के पास था.जिसकी बदबू को नज़रअंदाज़ करना वास्तव में कठिन था.अब इस मामले को मस्जिद कमेटी द्वारा सुलझा लिया है और कोई समस्या नहीं है."

फेसबुक पोस्ट से जो जानकारी मिली...उसकी पुष्टि के लिए हमने आरिफ जान से संपर्क साधा...तो व्हाट्सऐप चैट पर उन्होंने बताया कि वीडियो इस साल जुलाई महीने में रिकॉर्ड किया था.कुछ लोग इसी साल ईद-उल-अज़हा पर जानवरों की कुर्बानी देने आए थे, तो उन्होंने आपत्ति जताई और एक वीडियो बनाया.मस्जिद कमेटी ने उसी दिन इस मुद्दे को सुलझा लिया था और कुर्बानी की जगह को 200 मीटर की दूरी पर पहुंचा दिया गया.

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इस तरह हमारी पड़ताल में साफ हो गया, गोहत्या का विरोध करते कश्मीरी का जो दावा किया जा रहा है वो आधा सही और आधा गलत है. आधा सही इसलिए क्योंकि इस शख्स ने घर के पास स्लॉटर हाउस होने पर आपत्ति जताई थी .मगर आधा गलत इसलिए है क्योंकि ये शख़्स कश्मीरी  पंडित नहीं है.

Source : Vinod kumar

      
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