राजस्थान के बाद अब क्या वाराणसी में गिराया मंदिर? वायरल वीडियो ने किया बेचैन
Fact Check: पीएम नरेंद्र मोदी के निर्वाचन क्षेत्र वाराणसी को लेकर सोशल मीडिया पर एक नया दावा किया जा रहा है. प्राचीन मंदिर को तोड़े जाने का वीडियो शेयर किया.
highlights
- वाराणसी को लेकर सोशल मीडिया पर एक नया दावा किया जा रहा है
- इन अफवाहों को लोग सही मानकर इसे तेजी से शेयर भी कर रहे हैं
नई दिल्ली:
राजस्थान के अलवर जिले में 300 वर्ष पुराने मंदिर को गिराने पर शुरू हुआ विवाद अब भी जारी है. इसे लेकर विपक्षी दल लगातार कांग्रेस सरकार पर आरोप लगा रही है. इस बीच ऐसे मैसेज सामने आए हैं, जो सोशल मीडिया (Social Media) पर मंदिरों को तोड़े जाने को लेकर हैं. इन अफवाहों को लोग सही मानकर इसे तेजी से शेयर भी कर रहे हैं. अब पीएम नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) के निर्वाचन क्षेत्र वाराणसी को लेकर सोशल मीडिया पर एक नया दावा किया जा रहा है. सोशल मीडिया पर एक शख्स ने एक प्राचीन मंदिर को तोड़े जाने का वीडियो शेयर किया. इसमें लिखा कि खबरों की मानें तो विश्वनाथ कॉरिडोर बनाने के लिए तकरीबन 200 मंदिर/शिवलिंग तोड़ने पड़े थे. एक भारत माता मंदिर था, जो लगभग 5 हजार साल पुराना था.
मकान तोड़े गए तो उसमें से मंदिर निकले. यह बात बनारस की है. बनारस को वाराणसी भी कहा जाता है. लोग इस वीडियो को सही मान रहे हैं और इसे तेजी से वायरल करने में लगे हुए हैं. इसके साथ ही प्रशासन से मंदिरों को तोड़ने की कार्रवाई को रोकने की मांग की.
I condemn the demolition of an ancient Hindu temple by @BJP4Karnataka govt in Nanjanagudu, Mysuru.
— Siddaramaiah (@siddaramaiah) September 11, 2021
The demolition is done without the consultation of the people in the region & has hurt the religious sentiments.
1/2 pic.twitter.com/t1TrZy2s3t
कर्नाटक का है वीडियो
वहीं जब इस वीडियो की जांच की गई तो ये पूरी तरह से फर्जी निकला. वायरल हो रहा वीडियो वाराणसी का नहीं बल्कि कर्नाटक का था. भारत माता मंदिर को तोड़ने का दावा गलत बताया है, वो अभी भी वाराणसी में है. जब वीडियो पड़ताल की तो पता चला कि ये वीडियो सितंबर 2021 का है. उस वक्त कर्नाटक के मैसूर जिले के नंजनगुड तालुक में महादेवम्मा मंदिर को गिराया गया था. इसके बाद खूब बवाल मचा और कर्नाटक के पूर्व सीएम सिद्धारमैया ने भी सरकार को घेरा था. उन्होंने कहा, विध्वंस क्षेत्र के लोगों के परामर्श के बिना किया गया है और इससे धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंची है.
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