/newsnation/media/media_files/thumbnails/202509053501515-451457.jpg)
(source : IANS) ( Photo Credit : IANS)
बेंगलुरु, 5 सितंबर (आईएएनएस)। कर्नाटक भाजपा के महासचिव पी. राजीव ने शुक्रवार को राज्य निर्वाचन आयोग के उस फैसले की आलोचना की, जिसमें सभी निकाय चुनावों को ईवीएम की जगह पर बैलेट पेपर से कराने का निर्देश दिया गया है।
पी. राजीव ने समाचार एजेंसी आईएएनएस से बातचीत में कहा कि एक तरफ जहां पूरी दुनिया खुद को आगे बढ़ाने के लिए तकनीक को आत्मसात कर रही है, तो वहीं दूसरी तरफ कर्नाटक सरकार तकनीक से परहेज कर रही है, जिसे किसी भी कीमत पर स्वीकार नहीं किया जा सकता है। मुझे यह कहने में कोई दिक्कत नहीं है कि राज्य सरकार ने सभी स्थानीय संस्थाओं को फिसड्डी बनाने की कोशिश की है, जो बिल्कुल भी ठीक नहीं है। ऐसा करके राज्य सरकार ने लोगों के बीच में गलत उदाहरण स्थापित करने की कोशिश की है।
उन्होंने दावा किया कि गृह मंत्री जी परमेश्वर ने खुद इस बात का खुलासा किया था कि कैसे बैलेट पेपर के जरिए लोग अपनी राजनीतिक स्थिति को अपने पक्ष में करने की कोशिश करते हैं। ऐसा करके वे प्रदेश की जनता को अपनी ओर रिझाने की कोशिश करते हैं, जिसे किसी भी कीमत पर स्वीकार नहीं किया जाना चाहिए।
उन्होंने आगे कहा कि देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस 60 सालों तक केंद्र की सत्ता पर काबिज रही; आखिर यह कैसे संभव हो पाया? निश्चित तौर पर इन लोगों ने सत्ता का सुख प्राप्त करने के लिए बैलेट पेपर का इस्तेमाल अपने राजनीतिक फायदे के लिए किया। इन लोगों की राजनीतिक सूचिता अब पूरी तरह समाप्त हो चुकी है, जिसे एक सभ्य राजनीतिक माहौल में किसी भी कीमत पर स्वीकार नहीं किया जाना चाहिए। मुझे लगता है कि कांग्रेस कई बार यह भूल जाती है कि इस देश में लोकतांत्रिक व्यवस्था है, जिसके तहत जनता के द्वारा राजनेताओं का चयन किया जाता है। लेकिन, अफसोस, कांग्रेस ने कई बार इस व्यवस्था को बदलने की कोशिश भी की है।
पी. राजीव ने कहा कि इस बात को खारिज नहीं किया जा सकता है कि सभी प्रकार की जांच एजेंसियां मौजूदा समय में राज्य सरकार के अधीन हैं। ऐसी स्थिति में तकनीकी तौर पर राज्य सरकार के पास हर प्रकरण की जांच करने का नीतिगत अधिकार है। लिहाजा, राज्य सरकार को इस बात की आशंका है कि ईवीएम के जरिए भाजपा राजनीतिक स्थिति को अपने पक्ष में करने की कोशिश कर रही है, तो इसके लिए भी निश्चित तौर पर जांच बिठाई जाए। जांच के बाद अगर कोई विसंगति सामने आए, तो उसे दुरुस्त करने की दिशा में रूपरेखा तैयार कर उसे जमीन पर उतारने का काम किया जाए। लेकिन, दुर्भाग्य की बात है कि सरकार ने अभी तक इस दिशा में किसी भी प्रकार का कदम नहीं उठाते हुए तत्काल बैलेट पेपर के ढर्रे को अपनाने का फैसला किया है।
इसके अलावा, उन्होंने पी.एच. देसाई आयोग द्वारा मुडा प्रकरण में क्लीन चिट दिए जाने पर भी अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि सबसे पहले आपको एक बात समझनी होगी कि किसी भी आपराधिक मामले में तीन बिंदुओं का विशेष महत्व होता है। पहले ध्येय, दूसरा तैयारी और तीसरा आयोग। हर प्रकार के आपराधिक प्रकरण में ध्येय महत्वपूर्ण हो जाता है। मुडा प्रकरण में सबसे पहले हमें यह देखना होगा कि कौन लोग लाभार्थी रहे। साथ ही, कमीशन का गठन करके इसके बारे में पता लगाया जा सकता है। मुडा प्रकरण में सीएम सिद्धामरैया ने लोकायुक्त को पूरी तरह से लाचार बना दिया। इसके बाद उन्होंने एक एंटी करप्शन ब्यूरो का गठन किया, तो यहां एंटी करप्शन ब्यूरो में सभी अधिकारियों को मुख्यमंत्री की ओर से ही चुना जा रहा था, ताकि पूरी स्थिति को अपने पक्ष में किया जा सके। इससे यह साफ जाहिर होता है कि सिद्धारमैया ने इस पूरे मामले में एसआईटी का गठन करके क्लीन चिट पाने का मार्ग प्रशस्त कर लिया। आखिर कैसे आयोग क्लीन चिट दे सकता है। एसआईटी कैसे क्लीन चिट दे सकता है। ताज्जुब है कि इसी मामले में ईडी ने करोड़ों रुपये जब्त कर लिए। अगर ईडी ने इस पूरे मामले में हस्तक्षेप नहीं किया होता, तो उन करोड़ों रुपये का क्या होता। आखिर क्यों एसआईटी ने इस पूरे मामले में करोड़ों रुपये जब्त नहीं किए। इससे यह साफ जाहिर होता है कि एसआईटी ने ढंग से मामले की जांच नहीं। इस वजह से इस तरह की विसंगति पैदा हुई है। एसआईटी और आयोग ने मिलकर मुख्यमंत्री को बचाने का काम किया है।
उन्होंने कहा कि एसआईटी का गठन ही इसलिए किया गया था ताकि मुख्यमंत्री को क्लीन चिट दिया जा सके। मैं मांग करता हूं कि इस पूरे मामले की जांच सीबीआई को दी जाए। साथ में यह भी सुनिश्चित किया जाए कि इस मामले में मुख्यमंत्री को सीबीआई की ओर से क्लीन चिट मिले, तभी जाकर मौजूदा स्थिति स्पष्ट हो पाएगी।
इसके अलावा, उन्होंने कांग्रेस नेता राहुल गांधी पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी हर जनसभा में संविधान की पुस्तक देकर लोगों के बीच में संवैधानिक ज्ञान देते हैं। लेकिन, आज मेरा उनसे एक सवाल है कि क्या राजनीतिज्ञ और आम जनता के संविधान अलग-अलग हैं? क्या ऐसा है कि राजनीतिक पृष्ठभूमि से जुड़े लोगों के लिए अलग कायदे कानून लागू होंगे और जो लोग आम नागरिक हैं, उन पर अलग नियम कायदे कानून लागू होंगे? मुझे लगता है कि राहुल गांधी को इस संबंध में सभी सवालों का जवाब पूरी बेबाकी से देना होगा, तभी जाकर पूरी स्थिति स्पष्ट हो पाएगी।
उन्होंने कहा कि मौजूदा समय में कर्नाटक राज्य ईडी का उपयोग अपने मन मुताबिक करने की कोशिश कर रही है, जिसे किसी भी कीमत पर स्वीकार नहीं किया जा सकता है। ईडी एक संवैधानिक ढांचा है, जो हर काम को करने के लिए पूरी तरह स्वतंत्र है। उस पर किसी भी प्रकार का दबाव नहीं होना चाहिए।
--आईएएनएस
एसएचके/जीकेटी
डिस्क्लेमरः यह आईएएनएस न्यूज फीड से सीधे पब्लिश हुई खबर है. इसके साथ न्यूज नेशन टीम ने किसी तरह की कोई एडिटिंग नहीं की है. ऐसे में संबंधित खबर को लेकर कोई भी जिम्मेदारी न्यूज एजेंसी की ही होगी.