नेटफ्लिक्स ऑरिजनल सीरीज 'ताज महल 1989' (Taj Mahal 1989) में पारस प्रियदर्शन, अंशुल चौहान और अनुद सिंह ढाका को नब्बे के दशक को जीने का मौक मिला है, जब प्रेम वास्तव में पल्लवित होता था न कि सोशल मीडिया के एडिटेड फोटो में. कलाकारों का कहना है कि आज कल के युवा वास्तविक दुनिया में दिल के रिश्ते को मजबूत करने की बजाय वर्चुअल दुनिया में पोस्ट करने को ज्यादा महत्व देते हैं.
Advertisment
'ताज महल 1989' में दो अलग पीढ़ियों की तीन अलग-अलग प्रेम कहानियों को दिखाया गया है, जिन्हें आपस में जोड़ा गया है.
अंशुल से पूछे जाने पर की 90 के दशक की प्रेम कहानियों की तुलना में आज के युग की प्रेम कहानियों में क्या कमी है, इस पर उन्होंने आईएएनएस से कहा, "मेरे हिसाब से, उस समय में किसी भी रिश्ते को बनाए रखने की ईच्छा काफी मायने रखती थी. उसे छोड़ने की बजाय उसे बनाए रखने का प्रयास काफी महत्वपूर्ण था. दरअसल, इसके लिए बहुत धैर्य की जरूरत है और मजबूत दिमाग की भी, जो आसानी से हार न माने."
वहीं सीरीज में युवा लड़के का किरदार निभा रहे पारस ने कहा, "मेरे ख्याल से हर आइडिया की प्रमाणिकता, चाहे वो कविता हो, सिनेमा हो या अपने प्रेमी/प्रेमिका को प्रभावित करने का हो, उसमें सच्चाई होनी चाहिए. आज कल इन सारी चीजों का फार्मूला आ गया है और लोग उसी का पालन करते हैं. मेरा मानना है कि जोड़ियों को फोटोशूट कर सोशल मीडिया पर डालने से बेहतर उन्हें उस लम्हे को वास्तविकता में जीना चाहिए, ताकि वह ताउम्र याद रहे. सब कुछ इंस्टाग्राम थोड़ी न है यार." 'ताज महल 1989' शुक्रवार से नेटफ्लिक्स पर प्रसारित होगा.