जब हनुमान गढ़ी में दर्शन को गिड़गिड़ाए थे 'रावण' अरविंद त्रिवेदी, जानें क्या है पूरा माजरा
अरविंद त्रिवेदी (Arvind Trivedi) के निधन पर कई सेलेब्स समेत भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी शोक जताया है
highlights
- अरविंद त्रिवेदी का 82 की उम्र में निधन
- हार्ट अटैक से हुआ अरविंद त्रिवेदी का निधन
- रामायण में अरविंद त्रिवेदी ने रावण का किरदार निभाया था
नई दिल्ली:
Arvind Trivedi Passes Away : दूरदर्शन (Doordarshan) पर रामानंद सागर के 80 के दशक के मशहूर सीरियल 'रामायण' (Ramayan) में रावण का किरदार निभाकर घर-घर मशहूर हुए जाने माने अभिनेता अरविंद त्रिवेदी (Arvind Trivedi) अब हमारे बीच नहीं रहे हैं. अरविंद त्रिवेदी (Arvind Trivedi) के निधन पर कई सेलेब्स समेत भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी शोक जताया है. रामायण में रावण का किरदार अरविंद त्रिवेदी ने इतना शानदार निभाया था, जिसे देखकर हर कोई आज भी यही कहता है कि उनके अलावा ये किरदार कोई और नहीं निभा सकता था. लेकिन इस किरदार की वजह से उन्हें कई बार खरी-खोटी भी सुननी पड़ी.
जब रामायण का प्रसारण घर-घर हुआ तो इसमें राम का किरदार निभाने वाले अरुण गोविल (Arun Govil) को लोग भगवान की तरह पूजते थे तो वहीं लंकापति रावण का किरदार निभाने वाले अरविंद त्रिवेदी से नफरत करने लगे थे. जबकि अरविंद त्रिवेदी (Arvind Trivedi) वास्तविक जीवन मे बहुत बड़े राम भक्त थे.
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कुछ रिपोर्ट्स के अनुसार, अरविंद त्रिवेदी (Arvind Trivedi) जब साल 1994 में अयोध्या के हनुमान गढ़ी पर संकट मोचन के दर्शन करने गए थे तो वहां के प्रमुख पुजारी रेवती बाबा को ये पसंद नहीं आया, वो अडिग हो गये की मैं इनको किसी भी कीमत पर भगवान के दर्शन नहीं करने दुंगा क्योंकि ये हनुमान जी को बार-बार मरकट और श्री राम को वन वन भटकता वनवासी कह कर संबोधित करते हैं.
अरविंद त्रिवेदी (Arvind Trivedi) को दर्शन करवाने के लिए प्रशासन ने भी पूरी कोशिश की मगर पुजारी जी झुके नहीं. आखिरकार अरविंद त्रिवेदी को बिना भगवान के दर्शन किए ही वापस लौटना पड़ा. रिपोर्ट्स के मुताबिक, इसके बाद उन्होंने अपने घर की दीवारों पर रामायण के दोहे और चौपाइयों लिखवाई और घर के बाहर एक बड़ा सा बोर्ड लगवाया और उस पर 'श्री राम दरबार' लिखवाया. अरविंद त्रिवेदी (Arvind Trivedi) के मन मे यह संताप रहने लगा कि मैंने बार-बार प्रभु श्री राम को भले ही सीरियल में सही परन्तु अपमानजनक शब्द कहे हैं तो उन्होने इसके प्रायश्चित के लिए हर साल रामायण का पाठ करवाना भी शुरू कर दिया था.
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