टीआरपी (TRP) क्या है? कैसे तय होता है किस कार्यक्रम को दर्शकों ने कितना देखा
टीवी हमारी रोजमर्रा की जिंदगी का अहम हिस्सा बन चुकी है. आपने अक्सर सुना होगा कि फलां चैनल टीआरपी (TRP) में नंबर एक पर है या किसी सीरियल की टीआरपी अच्छी जा रही है. आखिर टीआरपी है क्या और ये कैसे तय की जाती है.
नई दिल्ली:
टीवी हमारी रोजमर्रा की जिंदगी का अहम हिस्सा बन चुकी है. आपने अक्सर सुना होगा कि फलां चैनल टीआरपी (TRP) में नंबर एक पर है या किसी सीरियल की टीआरपी अच्छी जा रही है. आखिर टीआरपी है क्या और ये कैसे तय की जाती है. आज हम आपको इसके हर सवाल का जवाब देंगे. आइये जानते हैं कि टीआरपी क्या है और कैसे मापी जाती है.
TRP क्या है
टीआरपी का मतलब है टेलिविजन रेटिंग पॉइंट होता है. टीआरपी के जरिए यह पता चलता है कि किसी टीवी चैनल या किसी शो को कितने लोगों ने कितने समय तक देखा. टीआरपी से ही पता चलता है कि कौन सा चैनल या कौन सा शो कितना लोकप्रिय है, उसे लोग कितना पसंद करते हैं. टीआरपी का एक ही मतलब होता है कि जिसकी जितनी ज्यादा टीआरपी, उसकी उतनी ज्यादा लोकप्रियता. वर्तमान में टीआरपी मांपने का काम BARC इंडिया (ब्रॉडकास्ट आडियंस रिसर्च काउंसिल इंडिया) करती है. इससे पहले यह काम टैम (TAM) करती थी.
TRP कैसे मापी जाती है
सबसे पहले तो यह साफ कर देना जरूरी है कि टीआरपी कोई वास्तविक नहीं बल्कि आनुमानित आंकड़ा होता है. देशभर में टीवी के करोड़ों दर्शक हैं. ऐसे में सभी लोग किस चैनल की पसंद कर रहे हैं या कौन सा प्रोग्राम उन्हें अच्छा लग रहा है इस पर सभी दर्शकों की राय जानना असंभव है. इसलिए इस काम को सैंपलिंग के जरिए मापा जाता है. टीआरपी मापने वाली एजेंसी देश के अलग-अलग हिस्सों, आयु वर्ग, शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों का प्रतिनिध्तव करने वाले सैंपलों को चुनते हैं. कुछ हजार घरों में एक खास उपकरण जिसे पीपल्स मीटर कहा जाता है, उन्हें फिट किया जाता है. जानकारी के मुताबिक देशभर में करीब 30 हजार घरों में यह पीपल्स मीटर लगे हुए हैं. इसके जरिए यह पता चलता है कि उस टीवी सेट पर कौन सा चैनल, प्रोग्राम या शो कितनी बार और कितने देर तक देखा जा रहा है. पीपल्स मीटर से जो जानकारी मिलती है, एजेंसी उसका विश्लेषण कर टीआरपी तय करती है. इन्हीं सैंपलों के जरिए सभी दर्शकों की पसंद का अनुमान लगाया जाता है.
टीआरपी क्यों मापी जाती है
टीआरपी किसी चैनल, प्रोग्राम या शो की लोकप्रियता का पैमाना है. टीवी चैनलों की कमाई का मुख्य स्रोत विज्ञापनों से आने वाला पैसा ही है. जिस चैनल की जितनी ज्यादा लोकप्रियता यानी टीआरपी होती है, विज्ञापनदाता उसी पर सबसे ज्यादा दांव खेलते हैं. ज्यादा टीआरपी है तो चैनल विज्ञापनों को दिखाने की ज्यादा कीमत लेगा. कम टीआरपी होगी तब या तो विज्ञापनदाता उसमें रुचि नहीं दिखाएंगे या फिर कम कीमत में विज्ञापन देंगे.
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