Archana Gautam: कमर दर्द होता था लेकिन फिर भी मॉडलिंग के नाम पर बदलनी पड़ती थी 100-100 साड़ियां

सेलेब्रिटी बनना या स्टार स्टेटस हासिल करना आसान नहीं होता.

सेलेब्रिटी बनना या स्टार स्टेटस हासिल करना आसान नहीं होता.

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Urvashi Nautiyal
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अर्चना गौतम( Photo Credit : सोशल मीडिया)

सेलेब्रिटी बनना या स्टार स्टेटस हासिल करना आसान नहीं होता. पर्दे पर ग्लैमरस लगने वाले कई स्टार्स ऐसे हैं जो कभी दो वक्त की रोटी के लिए पैसे बचाने की जुगत में लगे रहते थे. अब अर्चना गौतम को ही लीजिए. बिग बॉस में उन्हें देखकर आपको लगता होगा कि शो मेकर्स ने उन्हें ऐसे ही मेरठ से बुला लिया. राजनीति में करियर बनाने की चाह रखने वाली अर्चना की दिलचस्पी मॉडलिंग और एक्टिंग में भी रही है. वह अब भी इस इंडस्ट्री में काम के साथ-साथ राजनीति में भी नाम कमाना चाहती हैं. जिस तरह राजनीति के लिए चप्पल घिसनी पड़ती है उसी तरह फिल्म इंडस्ट्री में जगह पाने के लिए भी दिन रात एक करने पड़ते हैं. तब कहीं जाकर एक मुकाम हासिल होता है. अर्चना गौतम की बात करें तो मेरठ की इस लड़की ने मुंबई में बड़ा ही मुश्किल समय देखा है. वो दिन जब रात को कमरे में चूहे दौड़ते थे और दिन में सूरज की गर्मी से कमरा तपा करता था. अर्चना ने हाल में एक इंटरव्यू के दौरान अपना वह बीता हुआ समय याद किया.

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चॉल में रहती थीं अर्चना

एक न्यूज वेबसाइट से बात करते हुए अर्चना ने बताया कि उन्होंने मुंबई में एक कमरा किराये पर लिया था. यह एक चॉल में था. छोटा सा कमरा था क्योंकि उस वक्त वह इससे ज्यादा महंगा कमरा नहीं ले सकती थीं. इस कमरे में दिन काटना भी मुश्किल था और रात गुजारनी भी. अर्चना ने बताया कि वहां उस चॉल में मोटे चूहे घूमा करते थे. उनका आतंक ऐसा था कि आराम से इधर-उधर दौड़ लगाते थे और पैरों पर काट लिया करते थे. इनसे बचने के लिए मैं पूरी चद्दर तान कर सोया करती थी. दिन के वक्त इतनी गर्मी होती थी कि अंदर बैठ नहीं सकते थे. इस गर्मी से बचने के लिए मैं मॉल में बैठा करती थी. कुलमिलाकर वह कमरा केवल नाम का ही था. वहां रहना किसी चुनौती से कम नहीं था.

काम के लिए दूर-दूर जाती थीं अर्चना

अर्चना ने बताया कि मिलता था तो वह लोकेशन की परवाह किए बिना हां कह दिया करती थीं. वह पांच हजार रुपय के प्रोजेक्ट के लिए सूरत तक चली जाया करती थीं. उन्होंने बताया मैं काम को लेकर हमेशा एक कदम आगे रहती. जब मॉडलिंग के लिए सूरत जाती तो एक दिन में 100-100 साड़ियां बदल लेती थी. बार-बार साड़ियां बदलने में कमर दर्द हुआ करता था लेकिन मैं हिम्मत नहीं हारती थी. लेकिन एक बात का डर रहता था कि क्या मैं कभी जिंदगी में आगे बढ़ पाउंगी.

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