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Torbaaz Review:अफगानिस्तान में तालिबानी तबाही से बचे बच्चों की कहानी

फिल्म में एक सुसाइड बॉम्बर की वजह से नसीर के परिवार की जान चली गई थी. कई सालों के बाद भी जब वो इस 'मुर्दों की बस्ती' में वापस लौटता है तो उसके पुराने जख्म फिर से हरे हो जाते हैं.

Updated on: 12 Dec 2020, 05:14 PM

नई दिल्ली:

संजय दत्त (Sanjay Dutt) एक बार फिर से बॉलीवुड (Bollywood) में एक नए किरदार के साथ आ रहे हैं 'तोरबाज' (Torbaaz) नाम की इस मूवी में संजय दत्त ने एक एक्स ऑर्मी डॉक्टर की भूमिका अदा की है. अपने इस किरदार में वो अफगान में मची तबाही से बचे बच्चों के लिए उम्मीद की किरण बनकर उभरे हैं. कई बार हमारे जीवन में ऐसी घटनाएं होती हैं जिनके बारे में हम भले ही बहुत अच्छी सोच रखें लेकिन उसका परिणाम वही होता है जो होना होता है. कुछ ऐसा ही आपको फिल्म 'तोरबाज' देखने को मिलेगा. इस फिल्म में संजय दत्त एक ऐसे इंसान का किरदार निभा रहे हैं, जो खुद किसी को खोने के बाद कुछ पाने में दूसरों की मदद कर रहा है.

फिल्म की कहानी
फिल्म 'तोरबाज' एक एक्स आर्मी डॉक्टर नसीर खान (संजय दत्त) की कहानी है, जो एक बम धमाके में अपनी पत्नी और बच्चों को खो चुका है. इस फिल्म में डॉक्टर नसीर खान के परिवार को धमाके की भेंट चढ़े हुए भले ही कई साल बीत गए हैं लेकिन नसीर का दर्द अभी भी ताजा है. फिल्म में एक सुसाइड बॉम्बर की वजह से नसीर के परिवार की जान चली गई थी. कई सालों के बाद भी जब वो इस 'मुर्दों की बस्ती' में वापस लौटता है तो उसके पुराने जख्म फिर से हरे हो जाते हैं. लेकिन फिर उसे मिलता है रिफ्यूजी कैंप के अनाथ बच्चों का साथ जहां से शुरू होती है तोरबाज की कहानी.

 
 
 
 
 
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आपको बता दें कि पूरी दुनिया में यूं तो बहुत से खेल हैं लेकिन अफगानिस्तान में क्रिकेट के खेल का अपना महत्व है. बस इस फिल्म में इसी महत्व को समझते हुए रिटायर्ड ऑर्मी डॉक्टर नसीर खान रिफ्यूजी कैंप के बच्चों को क्रिकेट की कोचिंग शुरू करता है. डॉक्टर नसीर के इस क्रिकेट कोचिंग कैंप का मकसद सिर्फ इन रिफ्यूजी कैंप के बच्चों को बेहतरीन भविष्य देना है. लेकिन यहां उनके रास्ते का सबसे बड़ी रुकावट खुद तालिबान ही है. ये वही तालिबान है जो बच्चों को सुसाइड बॉम्बर बनाना चाहता है. फिल्म में डॉक्टर नसीर अपने मकसद में बखूबी कामयाब होते हैं या फिर तालिबान अपने गंदे मंसूबों में फिल्म में यही देखने वाली बात होगी. 

परफॉरमेंस
तोरबाज में संजय दत्त ने बहुत बेहतरीन काम किया है. इस फिल्म में उन्होंने अपने किरदार के माध्यम से दर्द में जीते हुए उम्मीद की किरण को देखना और फिर अनाथ बच्चों का भला करने वाले इंसान का ये शानदार किरदार उन्होंने काफी बेहतरीन ढंग से निभाया. इस मूवी में आप संजय दत्त के चेहरे का दर्द और बच्चों के साथ उनकी मस्ती, दोनों ही दर्शकों के दिल तक काफी आसानी से पहुंचते हैं. इस फिल्म में संजय दत्त के अलावा एक्ट्रेस नरगिस फाखरी ने भी बेहतरीन रोल किया है. इस फिल्म में वो आयेशा नामक किरदार में हैं और उनका काम भी बढ़िया रहा है. इन दोनों के अलावा इस फिल्म में राहुल देव का परफॉरमेंस भी देखने लायक है. राहुल आतंकी संगठन तालिबान के लीडर कजार का किरदार निभा रहे हैं जिसमें उन्होंने अपनी एक्टिंग से जान डाल दी है. कहानी और कलाकारों की परफॉर्मेंस के बाद इस मूवी को हमारी तरफ से 4 स्टार तो बनते हैं.

फिल्म का निर्देशन
'तोरबाज' फिल्म का निर्देशन गिरीश मलिक ने किया है गिरीश मलिक इससे पहले फिल्म 'जल' को निर्देशित कर चुके हैं. आपको बता दें कि फिल्म 'जल' को भी काफी लोगों ने पसंद किया था. 'तोरबाज' फिल्म में गिरीश आपको अफगानिस्तान की जमीनी हकीकत के अलावा वहां का वातावरण दिखाने की कोशिश करते हैं. उनकी कोशिश भी काफी हद तक सफल रही है. 'तोरबाज' फिल्म में आपको एक अलग दुनिया में झांकने का मौका मिलता है. क्रिकेट के नाम की उम्मीद देते हैं, लेकिन फिर भी इस फिल्म में थोड़ी-बहुत कमियां भी रह जाती हैं.