रिव्यू: दर्शकों की उम्मीद पर खरी नहीं उतरी म्यूजिकल ड्रामा फिल्म 'बैंजो'

पुरानी बोतल में नयी शराब की कहावत तो सुनी होगी। बैंजो की कहानी भी कुछ ऐसी काम करती है।

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Soumya Tiwari
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रिव्यू: दर्शकों की उम्मीद पर खरी नहीं उतरी म्यूजिकल ड्रामा फिल्म 'बैंजो'

पुरानी बोतल में नयी शराब की कहावत तो सुनी होगी। बैंजो की कहानी इस कहावत पर सटीक बैठती है। फिल्म का निर्देशन किया है मराठी फिल्मों के फेमस डायरेक्ट रवि जाधव ने। जिन्होंने एक से बढ़कर एक सुपरहिट मराठी फिल्में और पहली बार रवि ने हिंदी फिल्म में हाथ आजमाया है। लेकिन उनकी पहली फिल्म उम्मीद नहीं जगाती है।

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कहानी
फिल्म की कहानी मुम्बई के रहने वाले बैंजो प्लेयर तरात (रितेश देशमुख) की है जो वहां के लोकल मंत्री के लिए काम भी करता है। साथ ही अपने तीन दोस्तों के साथ इंवेट में परफॉर्म भी करता है। उसकी इच्छा है बड़े मंच पर परफॉर्म करने की। तभी न्यूयॉर्क से क्रिस (नरगिस फाकरी) मुम्बई आती है जिसका मकसद यहां के लोकल बैंजो प्लेयर्स के साथ 2 गाने रिकॉर्ड करना है, जिसे वो न्यूयॉर्क के एक म्यूजिक कॉम्पिटिशन में भेज सके। क्रिस के मुम्बई आने पर कहानी में बहुत सारे ट्विस्ट और टर्न्स आते हैं जिसे जानने के लिए आपको फिल्म देखनी पड़ेगी।

एक्टिंग
फिल्म में रितेश देशमुख और नगगिस फाखरी हैं। रितेश ने किरदार को बखूब निभाया है, रितेश अपनी बेहतरीन टाइमिंग के ही फेमस हैं। नरगिस फाकरी का काम भी ठीक-ठाक है। साथ ही फिल्म के बाकी सह कलाकारों ने बढ़िया अभिनय किया है।

संगीत
फिल्म का संगीत काफी अच्छा है, फिल्म का गाना उड़न छू पहले से ही चार्ट पर ऊपर चल रहा है। वहीं दूसरे गाने भी सुनने में आपको अच्छे लगेंगे। कुलमिलाकर फिल्म का संगीत पर केन्द्रित है इसलिए संगीत अच्छा है जो कि विशाल शेखर ने दिया है।

क्यों देखें फिल्म
अगर आप रितेश देशमुख के फैन है तो आप यह फिल्म देखने जा सकते हैं।

Source : News Nation Bureau

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