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Dil Bechara Movie Review: मौत के खौफ से उबरना सिखा रहे सुशांत सिंह राजपूत, आखिरी फिल्म में SSR ने जीता दिल

'दिल बेचारा' (Dil Bechara) की कहानी मशहूर अमेरिकी लेखक जॉन ग्रीन (John Green) के फेमस नोवेल 'द फॉल्ट इन ऑर स्टार्स' (The Fault in Our Stars) पर आधारित है. सुशांत की बाकी फिल्मों की तरह ही इस फिल्म में भी उनकी जिंदादिली दिखाई देती है

Updated on: 25 Jul 2020, 11:26 AM

नई दिल्ली:

Dil Bechara Film Review: दिवंगत बॉलीवुड अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत (Sushant Singh Rajput) की आखिरी फिल्म 'दिल बेचारा' (Dil Bechara) ने रिलीज होते ही कई रिकॉर्ड अपने नाम कर लिए. 'दिल बेचारा' 24 जुलाई को यानी कल शाम 7: 30 बजे डिज्नी हॉटस्टार  (Disney+ Hotstar)  पर रिलीज हुई है. इस फिल्म को देखते ही आपको ये बात जरूर याद आएगी कि एक कलाकार कभी नहीं मरता है, क्योंकि अपनी कला के जरिए वह इस दुनिया से जाने के बाद भी जीवित रहता है. हम आपको सुशांत और संजना सांघी की फिल्म 'दिल बेचारा' (Dil Bechara) का रिव्यू बताएंगे.

'दिल बेचारा' (Dil Bechara) की कहानी मशहूर अमेरिकी लेखक जॉन ग्रीन (John Green) के फेमस नोवेल 'द फॉल्ट इन ऑर स्टार्स' (The Fault in Our Stars) पर आधारित है. सुशांत की बाकी फिल्मों की तरह ही इस फिल्म में भी उनकी जिंदादिली दिखाई देती है.

अगर आपने नोवेल 'द फॉल्ट इन ऑर स्टार्स' (The Fault in Our Stars) पढ़ा है तो भी आपको यह फिल्म जरूर देखनी चाहिए. दिल बेचारा की कहानी में संजना सांघी यानी 'किजी' (Kizie) और सुशांत सिंह राजपूत यानी 'मैनी' (Manny) की जबरदस्त केमिस्ट्री देखने को मिलती है, जिसमें 'किजी' कैंसर से जूझ रही है और मैनी उसकी जिंदगी में ऐसी खुशी बनकर आता है, जो उसे जीना सिखाता है और हंसने की कई वजहें देता है.

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कहानी

फिल्म में 'किजी' जमशेदपुर में अपनी मां (स्वास्तिका मुखर्जी) और पिता (साश्वता चटर्जी) के साथ रहती है. किजी को जिंदगी से एक शिकायत है कि यह सब उसके साथ ही क्यों हुआ. किजी को कैंसर है और वह हर समय अपने ऑक्सीजन सिलेंडर को साथ लेकर चलती है, जिसे उसने पुष्पेंदर नाम दिया है. इसके बाद एक दिन किजी की जिंदगी में गाने की ट्यून पर डांस करते हुए मैनी (सुशांत सिंह राजपूत) की एंट्री होती है और उसकी जिंदगी यहां से बदलने लगती है.

मैनी बहुत ही खुशमिजाज और अपनी जिंदगी को खुशी से जीने वाला लड़का है. वह किजी को बताता है कि 'जन्म कब लेना है और कब मरना है ये तो हम डिसाइड नहीं कर सकते, लेकिन कैसे जीना है ये हम डिसाइड करते हैं. मैनी खुद एक कैंसर ऑस्ट्रियोसर्कोमा से जूझ रहा है और इसके कारण उसकी एक टांग भी चली गई है. इस सब के बावजूद वो अपनी जिंदगी को खुलकर जीता है.

किजी की एक इच्छा होती है कि वो अपने फेवरेट सिंगर अभिमन्यु वीर सिंह से मिले. किजी की यह इच्छावमैनी पूरी करता है और उसे पैरिस लेकर जाता है. इस दौरान किजी की तबीयत बिगड़ जाती है. किजी को मैनी से प्यार हो जाता है जिस वजह से उसे अब मौत से और ज्यादा डर लगने लगता है. किजी को लगने लगता है कि वो मैनी पर बोझ बन रही है लेकिन मैनी किजी को अकेला नहीं छोड़ना चाहता.

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फिल्म के अंत जानने के लिए आपको 'दिल बेचारा' (Dil Bechara) जरूर देखनी चाहिए. अभिनय की बात करें तो स्वास्तिका मुखर्जी केयरिंग मां और किजी के पिता की भूमिका में शास्वत चटर्जी ने बेहतरीन एक्टिंग की है. वहीं फिल्म में सैफ अली खान एक छोटे से रोल में भी अपनी छाप छोड़ जाते हैं. सुशांत ने एक बार फिर ये साबित कर दिया है कि वो एक बेहतरीन अभिनेता हैं. लेकिन अपनी तारीफ सुनने के लिए आज वो इस दुनिया में नहीं हैं. सुशांत ने अपनी डायलॉग डिलीवरी, फेसिअल एक्सप्रेशन, बॉडी लैंग्वेज सबसे मैनी के किरदार को हमेशा के लिए यादगार बना दिया है. संजना सांघी की बतौर लीड ऐक्ट्रेस यह पहली फिल्म है और उन्होंने साबित कर दिया कि वो एक बेहतरीन एक्ट्रेस हैं.

फिल्म में म्यूजिक और बैकग्राउंड स्कोर एआर रहमान ने बेहद खूबसूरत तरीके से दिया है. फिल्म के सभी गाने रिलीज होते ही हिट हो चुके हैं. मुकेश छाबड़ा की डायरेक्टर के तौर पर यह पहली फिल्म है और उन्होंने अपनी पहली फिल्म से ही साबित कर दिया कि वो एक बेहतरीन निर्देशक हैं.