इस शुक्रवार को बॉक्स ऑफिस पर दर्शकों को 'बरेली की बर्फी' का स्वाद चखने को मिला। निल बटे सन्नाटा जैसी फिल्म डायरेक्ट करने वाले डायरेक्टर अश्विनी अय्यर तिवारी ने इस मूवी में भी देसी जायके का तड़का लगाया है।
वैसे तो 'बरेली की बर्फी' की कहानी बेहद सिंपल लेकिन दिलचस्प है। यह मूवी फ्रांसीसी उपन्यास 'इनग्रिडिएंट्स ऑफ लव' पर आधारित है, लेकिन इसमें यूपी का रंग बिखेरा गया है।
ये है फिल्म की कहानी
इस फिल्म की शुरुआत जावेद अख्तर की आवाज के साथ होती है। बरेली की बिट्टी (कृति सेनन) आजाद ख्यालों वाली लड़की है और उसके मम्मी-पापा ने भी उसे बेटों की तरह परवरिश दी है।
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बिट्टी कुछ दिनों में एक लेखक की दीवानी हो जाती है और इसका पता प्रिंटर चिराग दुबे (आयुष्मान खुराना) को चलता है। लेकिन फिर एंट्री होती है प्रीतम विद्रोही (राजकुमार) की और इस लव ट्राएंगल में आते हैं कई ट्विस्ट, जिसे देखने के लिए आपको जाना पड़ेगा थियेटर।
अब बात करते हैं फिल्म की कमियों की तो फिल्म का फर्स्ट हाफ थोड़ा ढीला है। वहीं सेकंड हाफ में मजकर ड्रामा परोसा गया है। बीच-बीच में लगेगा कि फिल्म की रफ्तार धीमी पड़ रही है, लेकिन राजकुमार राव की एक्टिंग आपको रुकने पर मजबूर कर देगी।
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एक्टिंग
राजकुमार राव हमेशा की तरह लाजवाब रहे हैं। उनकी नैचुरल एक्टिंग देख मजा आ जाएगा। वहीं बिट्टी के कैरेक्टर में कृति सेनन ने अच्छी एक्टिंग की है। हालांकि एक पल को लगेगा कि आप 'तनु वेड्स मनु' की तनु को देख रहे हैं। वहीं आयुष्मान खुराना देसी लौंडे के किरदार में खूब जंच रहे हैं। उनकी एक्टिंग भी शानदार रही।
संगीत
'बरेली की बर्फी' के गाने एवरेज हैं। कई बार तो आपको ऐसा लगेगा कि इस गाने की सीन में जरूरत ही क्या थी। वहीं गाने के बोल भी कुछ खास नहीं है।
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Source : News Nation Bureau