नेपोटिज्म पर बहस मेरी समझ से परे: शाहरुख खान
मैंने इन 25 वर्षों में जो कुछ हासिल किया है, मुझे नहीं लगता कि इतनी शोहरत बटोरने की कोई ख्वाबों में भी सोच सकता है।
नई दिल्ली:
हिदी सिनेप्रेमियों के लिए रोमांस का पर्याय बन चुके 'किंग ऑफ रोमांस' शाहरुख खान का कहना है कि वह करियर की शुरुआत में एक्शन फिल्में करना चाहते थे, लेकिन कब रोमांटिक हीरो बन गए, खुद उन्हें भी पता नहीं चला। आजकल भाई-भतीजावाद (नेपोटिज्म) पर छिड़ी बहस का जिक्र करने पर वह कहते हैं कि यह उनकी समझ से परे है।
उन्होंने दोटूक कहा, 'मुझे यह कांसेप्ट बिल्कुल समझ नहीं आता और यह भी कि इस पर इतना विवाद क्यों हो रहा है। मेरे भी बच्चे हैं, वे जो बनना चाहते हैं, बनेंगे और जाहिर है कि मैं इसमें उनके साथ हूं और रहूंगा।'
इंडस्ट्री में बीते 25 वर्षों का अनुभव साझा करते हुए शाहरुख से कहते हैं, 'मैं शोऑफ में यकीन नहीं रखता। मैंने इन 25 वर्षों में जो कुछ हासिल किया है, मुझे नहीं लगता कि इतनी शोहरत बटोरने की कोई ख्वाबों में भी सोच सकता है। छोटी सी चाहत लेकर काम करना शुरू किया था, लेकिन एक दिन पता चला कि यह चाहत मेरी सोच से ज्यादा बढ़ गई है। शाहरुख से 'द शाहरुख' कब बन गया, पता ही नहीं चला। इन सालों में मेरे साथ ऐसी कई चीजें भी हुई हैं, जिनका मैं हकदार भी नहीं हूं, लेकिन उसका श्रेय भी मुझे मिलता रहा है।'
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फिल्म 'जब हैरी मेट सेजल' के प्रचार के लिए नई दिल्ली पहुंचे शाहरुख ने अपने 'किंग ऑफ रोमांस' बनने की पूरी कहानी बताई।
उन्होंने कहा, 'मुझे जब पहली बार रोमांटिक फिल्म ऑफर हुई थी तो मुझे लगा था कि ये मुझसे क्या कराया जा रहा है। मैं एक्शन फिल्में करना चाहता था, लेकिन आदित्य, करण और यश चोपड़ा सरीखे निर्देशकों ने मुझसे रोमांस कराया और कब ये टैग मुझसे जुड़ गया, पता ही नहीं चला।'
शाहरुख कहते हैं, 'मैंने रोमांस ब्रांड को बेचा नहीं है, बल्कि उस भावना को खूबसूरती से पर्दे पर उतारा है, क्योंकि उम्र के साथ प्यार की परिभाषा नहीं बदलती, बल्कि उस अहसास में बदलाव आ जाता है।'
शाहरुख ने समय के साथ संयम बरतना सीखा है, अब वह छोटी-छोटी बातों पर रिएक्ट नहीं करते। वह इस पूरी जर्नी में खुद के व्यक्तित्व में आए बदलाव के बारे में पूछने पर कहते हैं, 'मेरे अंदर सहनशक्ति बढ़ी है। संयम बरतना आ गया है। अच्छाई से दूर होना नहीं चाहता, तमाम तरह की नकारात्मकता परेशान नहीं करती। हर समय सीख रहा हूं और सबसे बड़ी बात अति आत्मविश्वासी नहीं हूं और मेरी सफलता का एक कारण यह भी है।'
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टीवी शो 'कॉफी विद करण' में कंगना रनौत के नेपोटिज्म वाले बयान से शुरू हुए विवाद के तूल पकड़ने का जिक्र करने पर शाहरुख ने कहा, 'सच बताऊं.. मुझे यह शब्द समझ नहीं आता और यह भी कि इस पर बेवजह का बवाल क्यों मचा है? मैं दिल्ली का लौंडा हूं। यहां से मुंबई गया, लोगों का प्यार मिला और कुछ बना। मैं चाहता हूं कि मेरे बच्चे भी खुद अपने बूते पर नाम कमाएं। वह अभिनेता बनना चाहेंगे, तो उन्हें पूरी छूट है। मैं इस कांसेप्ट को ही समझना नहीं चाहता हूं।'
शाहरुख ने अपने करियर के दौरान जितनी शोहरत बटोरी हैं, उस तरह की शोहरत बटोरना किसी के लिए भी आसान नहीं है। उन्होंने इस स्टारडम भरी जिंदगी के बारे में पूछने पर कहा, 'स्टारडम अब जिंदगी का हिस्सा बन चुका है। मैं इसे अपना जन्मसिद्ध अधिकार समझता है। मैं बड़े दिल वाला हूं। मेरा मानना है कि 'बी ब्रेव और नथिंग टू लूज' एक चीज है और 'बी ब्रेव एंड यू हैव एवरीथिंग टू लूज' दूसरी चीज है और जब दूसरी वाली चीज होती है, तब आप बहुत कुछ हासिल कर पाते हो और यही मेरी सबसे बड़ी उपलब्धि है।'
शाहरुख कहते हैं, 'इस पड़ाव पर आकर अब उनकी प्राथमिकताएं बदल गई हैं। जितना अभिनय करता जा रहा हूं, लग रहा है कि अभी तो थोड़ा ही किया है। लोगों का इतना प्यार मिला है, मेरी कोशिश है कि इसे लोगों को लौटाऊं भी और ये मेरी जिम्मेदारी है।'
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