Dharmendra Death: इस फिल्म ने खोली थी धर्मेंद्र की किस्मत, राजनीति में भी माहिर थे एक्टर, जानें कैसा रहा संसद का सफर

Dharmendra Death: धर्मेंद्र के करियर की शुरुआती फिल्म फूल और पत्थर ने उनकी किस्मत के ताले खोले और उन्हें बॉलीवुड का सबसे बड़ा हीरो बना दिया. चलिए आपको बताते हैं उनके राजनीति सफर के बारे में.

Dharmendra Death: धर्मेंद्र के करियर की शुरुआती फिल्म फूल और पत्थर ने उनकी किस्मत के ताले खोले और उन्हें बॉलीवुड का सबसे बड़ा हीरो बना दिया. चलिए आपको बताते हैं उनके राजनीति सफर के बारे में.

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Akansha Thakur
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Dharmendra Death

Dharmendra Death: हिंदी सिनेमा जगत के ही-मैन धर्मेंद्र जो 89 वर्ष की उम्र में अपनी सेहत को लेकर चर्चा में बने हुए थे. हाल ही में स्वास्थ्य समस्याओं की वजह से अस्पताल में भर्ती होने के बाद ठीक होकर घर लौट आए थे. लेकिन इस बीच धर्मेंद्र के निधन की खबर सामने आई है. ऐसे में हम आपको उनके शानदार करियर के बारे में बताने जा रहे हैं. खासकर उस फिल्म को जिसने उन्हें रातोंरात सुपरस्टार बना दिया था. इसके अलावा हम आपको फिल्मी करियर के साथ-साथ राजनीति सफर के बारे में बताएंगे. 

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धर्मेंद्र के करियर की पहली ब्लॉकबस्ट फिल्म 

धर्मेंद्र की फिल्म 1966 की रोमांटिक ड्रामा फिल्म फूल और पत्थर थी जिसने उनके करियर को एक नया मोड़ दिया और 50 हफ्तों तक बॉक्स ऑफिस में अपना जादू बिखेरा. फिल्म शाका नाम के एक खूंखार गैंगस्टर की कहानी है जिसमें उसकी जिंदगी में एक ऐसा मोड़ आता है जब उसे एक विधवा महिला पर दया आती है जिसे उसके परिवार ने अकेला छोड़ दिया होता है. बता दे फिल्म निर्देशक ओपी रल्हन ने पहले ये फिल्म सुनील दत्त को ऑफर की थी लेकिन उन्होंने इसकी बोल्ड थीम के वजह से इसमें काम करने से इंकार कर दिया. इसके बाद धर्मेंद्र ने शाका को रोल निभाया. 

बॉक्स ऑफिस पर छाई फिल्म 

14 अगस्त 1966 को रिलीज हुई फिल्म फूल और पत्थर बॉक्स ऑफिस  पर छा गई थी. ये धर्मेंद्र के करियर का एक मील का पत्थर साबित हुई क्योंकि ये रोमांटिक ड्रामा 50 हफ्तों से अधिक समय तक थिएटर में चली. मीना कुमारी के साथ उनकी केमिस्ट्री फैंस को काफी पसंद आई और इस जोड़ी ने बाद में चंदन का पालना, मझली, दीदी और बहारों की मंजिल जैसी कई फिल्मों में साथ काम किया. इस फिल्म की सफलता को देखते हुए इसका तमिल समेत इन भाषाओं में भी रीमेक किया गया था. 

फिल्म ने जीते दो फिल्मफेयर पुरस्कार 

बता दें कि इस फिल्म ने फिल्मफेयर पुरस्कार भी जीते थे. इस ब्लॉकबस्टर फिल्म में धर्मेंद्र और मीना कुमारी के अलावा कई बड़े कलाकार शामिल थे. बता दें कि फूल और  पत्थर सिर्फ एक सफल फिल्म नहीं थी बल्कि ये वो मोड़ था जिसने धर्मेंद्र को एक्शन और रोमांटिक हीरो के तौर पर पहचान दिलाई थी. 

राजनीति में भी माहिर थे धर्मेंद्र

साल 2004 की बात है जब बीकानेर में चुनाव खास था. लोग पहली बार अपने बीच एक सुपरस्टार को उम्मीदवार के रूप में देख रहे थे. सभाओं में भारी भीड़ उमड़ती थी, पोस्टर और कटआउट फिल्मों के पोस्टर जैसे दिखते थे और प्रचार के दौरान उनके डायलॉग तक सुनने को मिलते थे. धर्मेंद्र ने कांग्रेस के कद्दावर नेता रामेश्वर लाल डूडी को 60 हजार से ज्यादा वोटो से हराया. कहा जाता है कि धर्मेंद्र के लिए उनके पूरे परिवार तक ने प्रचार में पूरी ताकत झोंक दी थी. 

दिल्ली की राजनीति ने किया निराश 

धर्मेंद्र लोकसभा पहुंचे लेकिन लोकसभा पहुंचने के बाद तस्वीर बदलने लगी. धर्मेंद्र को महसूस हुआ कि संसद में काम करने के लिए सिर्फ लोकप्रियता काफी नहीं.  राजनीति की अंदरूनी खींचतान, दिल्ली की जटिल व्यवस्था और फाइलों की दुनिया उन्हें सहज नहीं लगी. बीकानेर की जनता को भी यह बात अखरने लगी कि उनका सांसद ज्यादातर समय मुंबई में रहता है. धीरे-धीरे नाराजगी खुलकर सामने आने लगी.  

2009 में राजनीति को कहा अलविदा 

कई इंटरव्यू में धर्मेंद्र स्पष्ट कह चुके हैं कि राजनीति की भाषा, उसके तौर-तरीके और उसके लोग उन्हें रास नहीं आए. उनका कहना था कि उन्होंने बीकानेर के लिए कई विकास कार्य करवाए, लेकिन सत्ता और सिस्टम की उलझनों में क्रेडिट किसी और के खाते में चला जाता था. फिर धर्मेंद्र ने खुलकर मान लिया, 'संसद और राजनीति मेरे बस की बात नहीं थी. 2009 में उनका कार्यकाल खत्म हुआ और धर्मेंद्र ने राजनीति को अलविदा कह दिया. बीजेपी के बड़े चेहरे रहते हुए भी उन्होंने दूसरा चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया. उन्होंने फिल्मों और अपने परिवार पर फिर से फोकस कर लिया और राजनीति को एक ‘गलत मोड़' कहकर पीछे छोड़ दिया.

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