बॉलीवुड अभिनेता डॉ. श्रीराम लागू का लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया. मंगलवार को पुणे के अस्पताल में उन्होंने अंतिम सांस ली. श्रीराम लागू ने बॉलीवुड की फिल्मों में अनेकों चरित्र अभिनेता की भूमिकाएं अदा की थी. श्रीराम लागू हिंदी और मराठी में एक भारतीय फिल्म और थिएटर के एक्टर थे. बहुत कम लोगों को इस बात की जानकारी होगी कि वो एक ईएनटी सर्जन भी थे. डॉक्टर श्रीराम लागू को बॉलीवुड की फिल्मों में उनके सशक्त चरित्र अभिनय के लिए जाना जाता है. आपको बता दें कि उन्होंने 100 से अधिक हिंदी और 40 से ज्यादा मराठी फिल्मों में काम किया था.
Veteran actor Shriram Lagoo passed away at a private hospital in Pune at the age of 92 years. pic.twitter.com/ITvUQC390I
— ANI (@ANI) December 17, 2019
इसके अलावा श्रीराम लागू ने हिंदी और गुजराती नाटकों में अभिनय भी किया है. इसके अलावा उन्होंने 20 से ज्यादा मराठी नाटकों का निर्देशन भी किया था उन्हें बीसवीं शताब्दी के उत्तरार्ध के दौरान मराठी मंच के सबसे महान अभिनेताओं में से एक माना जाता था. अपने वास्तविक जीवन में वो प्रगतिशील और तर्कसंगत विचारों वाले इंसान थे. डॉक्टर लागू सामाजिक कार्यों में भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते थे. सन 1999 में उन्होंने और सामाजिक कार्यकर्ता जी पी प्रधान ने भ्रष्टाचार-विरोधी अन्ना हजारे के समर्थन में उपवास किया था. उन्होंने हिंदी फ़िल्म घरौंदा के लिए 1978 का फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेता का पुरस्कार जीता. उनकी आत्मकथा का शीर्षक है लमन (लामा), जिसका अर्थ है 'माल का वाहक'.
श्रीराम लागू ने मेडिकल कॉलेज में भाग लेने के दौरान नाटकों में अभिनय करना शुरू किया. एक बार थिएटर बग द्वारा काटे जाने के बाद उन्होंने प्रोग्रेसिव ड्रामेटिक एसोसिएशन समूह के माध्यम से अपनी नाटकीय गतिविधि जारी रखी, जिसे उन्होंने भाला केलकर जैसे दिमाग वाले वरिष्ठ दोस्तों के साथ शुरू किया था. इस बीच उन्होंने शुरुआती पचास के दशक में मुंबई विश्वविद्यालय से ईएनटी सर्जरी में डिग्री प्राप्त की और अतिरिक्त प्रशिक्षण के लिए कनाडा और इंग्लैंड जाने से पहले छह साल के लिए पुणे में अभ्यास किया.
उन्होंने साठ के दशक में पुणे, भारत और ताबोरा, तंजानिया में दवा और सर्जरी की प्रैक्टिस की, लेकिन पुणे में प्रोग्रेसिव ड्रामेटिक एसोसिएशन और मुंबई में रंगायन के माध्यम से उनकी थिएटर गतिविधि तब जारी रही जब वे भारत में थे. अंत में 1969 में वह मराठी मंच पर एक पूर्णकालिक अभिनेता बन गए जो वसंत कानेटकर द्वारा लिखे गए नाटक इठे ओशलाला मृितु में अभिनय कर रहे थे.
वह प्रसिद्ध मराठी नाटक नटसम्राट के पहले नायक थे, जिन्हें कुसुमाग्रज (विष्णु वामन शिरवाडकर) द्वारा लिखा गया था और उस भूमिका के लिए उन्हें सबसे ज्यादा याद किया जाता है. उन्हें मराठी सिनेमा में एक महान दर्जा मिला है, जहां उन्होंने कई यादगार फिल्में की हैं जिनमें सिंहासन, पिंजरा और मुक्ता जैसी सफलताएं शामिल हैं. उनकी पत्नी, दीपा लगू भी एक प्रसिद्ध थिएटर, टीवी और फिल्म अभिनेत्री हैं. उनके दो बेटे और एक बेटी हैं. डॉ. लागू ने अपने दिवंगत बेटे तनवीर लागू की याद में भारत के रंगमंच उद्योग में सबसे होनहार स्टालवार्ट को दिए गए प्रतिष्ठित तनवीर सम्मान की स्थापना की थी.
Source : न्यूज स्टेट ब्यूरो