Birthday विशेष: इश्क ने हकीम मजरूह सुल्तानपुरी को बना दिया शायर, जानें उनकी अनकही दास्तां

1अक्‍टूबर 1919 को उत्‍तर प्रदेश के सुल्‍तानपुर में मजरूह का जन्म हुआ था.मजरूह ने चार से भी ज्यादा लंबे करियर में 300 फिल्मों के लिए करीब 4 हजार गाने लिखे

1अक्‍टूबर 1919 को उत्‍तर प्रदेश के सुल्‍तानपुर में मजरूह का जन्म हुआ था.मजरूह ने चार से भी ज्यादा लंबे करियर में 300 फिल्मों के लिए करीब 4 हजार गाने लिखे

author-image
nitu pandey
एडिट
New Update
Birthday विशेष: इश्क ने हकीम मजरूह सुल्तानपुरी को बना दिया शायर, जानें उनकी अनकही दास्तां

मजरूह सुल्तानपुरी

हिन्दी फिल्मों के एक प्रसिद्ध गीतकार और उर्दू के सबसे बड़े शायरों में एक गिने जाने वाले मजरूह सुल्तानपुरी (majrooh sultanpuri) का आज जन्मदिन है.1अक्‍टूबर 1919 को उत्‍तर प्रदेश के सुल्‍तानपुर में मजरूह का जन्म हुआ था.1945 में मुंबई में आयोजित एक मुशायरे के दौरान फिल्म निर्माता एके करदार की नजर मजरूह पर पड़ी और फिल्म इंडस्ट्री को एक ऐसा गीतकार मिल गया जिसके कलम से निकले शब्दों की मोती हमेशा के लिए अमर हो गया.

Advertisment

मजरूह ने चार से भी ज्यादा लंबे करियर में 300 फिल्मों के लिए करीब 4 हजार गाने लिखे. हमें तुमसे प्यार कितना, गुम है किसी के प्यार में, एक लड़की भीगी भागी सी, तेरे मेरे मिलन की ये रैना जैसे गाने आज भी लोगों की पसंदीदा लिस्ट में शुमार है.

और पढ़ें : 'मंटो' के खराब बॉक्स ऑफिस प्रदर्शन से नवाजुद्दीन सिद्दीकी नाराज, गिनाई यह वजह

फिल्म दोस्ती के लिए लिखे गए गाने चाहूंगा 'मैं तूझे सांझ सवेरे...' के लिए मजहरू को सर्वश्रेष्ठ गीतकार के फिल्मफेयर अवॉर्ड से सम्मानित किया गया. साल 1993 में दादासाहेब फाल्‍के पुरस्‍कार पाने वाले मजहरू पहले गीतकार बने.

ये बहुत ही कम लोगों को पता होगा कि साल 1949 में सरकार विरोधी कविता लिखने की वजह से उन्हं दो साल जल में गुजारना पड़ा. मजरूह अपने वसूलों के कितने पक्के थे इसका पता इस घटना से चला है कि जब वो जेल में थे तो सरकार ने उन्हें माफी मांग लेने की सलाह दी. लेकिन मजरूह इसके लिए तैयार नहीं हुए.

इतना ही नहीं मजरूह सुल्तानपुरी बेहद ही स्वभिमानी थे. जब वो जेल में थे तो उनकी माली हालत बेहद ही खराब थी. कहा जाता है कि जब राज कपूर उनकी मदद लिए आए तो उन्होंने मदद लेने से इंकार कर दिया. जिसके बाद राज कपूर ने उनसे एक गीत लिखवाई.

और पढ़ें : राज कपूर की पत्नी कृष्णा कपूर का निधन, बॉलीवुड सितारों ने शोक जताया

मजरूह ने राज कपूर 'एक दिन बिक जाएगा माटी के मोल' गाने को लिखा. इस गाने के लिए राज कपूर ने मजरूह को एक हजार रुपए दिए थे.

मजरूह के पिता सब इंस्पेक्टर थे और वह अपने बेटे को ऊंची से ऊंची तालीम देना चाहते थे. मजहरू सुल्लातनपुरी ने पिता के सपने को पूरा करने की कोशिश भी की. लखनऊ के तकमील उल तीब कॉलेज से यूनानी पद्धति की मेडिकल की परीक्षा पास की और बाद में वह हकीम के रूप में काम करने लगे. बताया जाता है कि मजरूह जब हकीम की प्रैक्टिस करते थे उस दौरान फैजाबाद में किसी लड़की से इश्क हो गया. लेकिन ये इश्क मुकम्मल नहीं हुआ, जिसके बाद वो प्रैक्टिस छोड़कर शायरी शुरू कर दिया.

और पढ़ें : 'किरिक पार्टी' में जैकलीन संग रोमांस करेंगे कार्तिक आर्यन, कही अपने दिल की बात

अपने शायरी और गीतों के जरिए लोगों के दिलों में बसने वाले मजहरू 24 मई 2000 को इस दुनिया को अलविदा कह दिया. लेकिन गीतों और शायरी के जरिए आज भी मजहरू सुल्तानपुरी हमारे बीच जिंदा हैं.

यहां देखें मजरूह सुल्तानपुरी के कुछ बेहतरीन शायरी-

मैं अकेला ही चला था जानिब-ए-मंज़िल मगर
लोग साथ आते गए और कारवाँ बनता गया

कोई हम-दम न रहा कोई सहारा न रहा
हम किसी के न रहे कोई हमारा न रहा

मुझे ये फ़िक्र सब की प्यास अपनी प्यास है साक़ी
तुझे ये ज़िद कि ख़ाली है मिरा पैमाना बरसों से

पारा-ए-दिल है वतन की सरज़मीं मुश्किल ये है
शहर को वीरान या इस दिल को वीराना कहें

शब-ए-इंतिज़ार की कश्मकश में न पूछ कैसे सहर हुई
कभी इक चराग़ जला दिया कभी इक चराग़ बुझा दिया

ज़बाँ हमारी न समझा यहाँ कोई 'मजरूह'
हम अजनबी की तरह अपने ही वतन में रहे

Source : News Nation Bureau

majrooh sultanpuri jail majrooh sultanpuri birthday Raj kapoor songwirter majrooh majrooh sultanpuri
      
Advertisment