Sushmita Sen के लिए उनकी आजादी से बढ़कर कुछ नहीं, प्यार को लेकर कहीं ये बातें
हाल ही में रिलीज़ हुई वेब सीरीज़ ताली में एक ट्रांसजेंडर एक्टिविस्ट के रूप में सुष्मिता सेन के परफॉर्मेंस ने उन्हें नई पहचान दिलाई है.
नई दिल्ली:
बॉलीवुड एक्ट्रेस सुष्मिता सेन ने हाल ही में अपनी नई वेब सीरीज ताली से लोगों को दीवाना बना दिया है. सुष्मिता अपने किरदार के लिए मिली तारीफ को एंजॉय कर रही हैं. शो में उन्होंने ट्रांसजेंडर एक्टिविस्ट श्री गौरी सावंत का किरदार निभाया, जिसमें उन्होंने अपनी एक्टिंग स्किल का एक अलग ही एंगल दिखाया है. हाल ही में एक इंटरव्यू के दौरान, सुष्मिता ने प्यार पर खुलकर बात की. एक मीडिया एजेंसी के साथ बातचीत में सुष्मिता सेन से सवाल किया गया कि क्या वह बाकि महिलाओं की तरह रहना चाहती हैं.
सुष्मिता को अपनी आजादी में खुशी मिलती है...
इस सवाल पर सुष्मिता ने कहा कि उन्हें अपनी आजादी में खुशी मिलती है. वह अपने सच्चे स्वरूप की आजादी को महत्व देती हैं. उनका कहना है कि मैं खुशी पाने में सक्षम हूं, क्योंकि मैं इसके लिए ही बनी हूं. मेरा मानना है कि जीवन में कुछ भी मेरी स्वतंत्रता से अधिक खास नहीं है. मैं जैसी हूं वैसी ही रहने की इच्छा रखती हूं, जिस आवाज से मैं बात करना चाहती हूं उसे चुनने की मेरी आजादी है.
एक्ट्रेस को नहीं है फिलिंग ऑफ फुलनेस की एक्सेप्टेंस
सुष्मिता ने इस बात पर जोर दिया कि जहां बाकि लोग अपनी फिलिंग ऑफ फुलनेस को बढ़ा सकते हैं, वहीं उन्हें किसी से मान्यता की आवश्यकता नहीं है. उन्होंने कहा, मैं एक समय 18 साल की थी और दुनिया में कोई मुझे खत्म कर देगा जैसी स्थिति थी. मैं अपने आप में संपूर्ण हूं. अगर कोई पूर्णता की उस भावना को बढ़ाने में मदद कर सकता है, तो यह बहुत अच्छा होगा. मुझे पूर्णता के लिए इसकी आवश्यकता नहीं है. जब आपको सर्टिफिकेशन न की आवश्यकता हो तो आपमें दर्पण के सामने खड़े होने का साहस होना चाहिए.
सुष्मिता ने किया प्यार की परिभाषा पर चर्चा
सुष्मिता ने अपनी पहचान के एक अनिवार्य पहलू पर अपनी भूमिका पर जोर दिया और इस कॉन्सेप्ट के साथ अपने गहरे संबंध पर प्रकाश डाला. उसने कहा कि, ओह, यह सब कुछ है. यह वही है जिससे मैं बनी हूं, मैं इस शब्द के साथ कितनी जुड़ी हूं. यह वह प्यार नहीं है जिसे आप प्रदर्शित करते हैं या महसूस करते हैं. बल्कि प्यार वह है जो आप दूसरो के लिए महसूस करते हैं. आप अपने जीवन में जो कुछ भी करते हैं वह भावना के साथ करते हैं. इसलिए दूसरे से प्रेम करना भी स्वयं से प्रेम करना है.
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