SSR Case : सुशांत सिंह राजपूत केस की सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई खत्म
सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में आज रिया चक्रवर्ती (Rhea Chakraborty) द्वारा दाखिल याचिका पर सुनवाई हुई. सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) इस बात का आदेश आएगा कि रिया चक्रवर्ती (Rhea Chakraborty) के खिलाफ मामले की जांच कौन करेगा
नई दिल्ली:
दिवंगत बॉलीवुड अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत (Sushant Singh Rajput) की मौत के मामले के लिए आज एक अहम दिन है. सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में आज रिया चक्रवर्ती (Rhea Chakraborty) द्वारा दाखिल याचिका पर सुनवाई हुई. सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) इस बात का आदेश आएगा कि रिया चक्रवर्ती (Rhea Chakraborty) के खिलाफ मामले की जांच कौन करेगा. सुप्रीम कोर्ट ने फैसले को अपने पास सुरक्षित रख लिया है.
तुषार मेहता- सीबीआई ,बिहार सरकार की सिफारिश पर जांच का जिम्मा पहली ले चुकी है. महाराष्ट्र सरकार ने अभी तक जो कुछ भी किया है वह बिना FIR के किया है. मजिस्ट्रेट के सामने सुशांत की मौत को लेकर कोई रिपोर्ट पेश नहीं गई है. सुशांत के शरीर पर घाव या फैक्चर को लेकर कोई बेसिक रिपोर्ट तो मजिस्ट्रेट के सामने पेश की जानी चाहिए थी.
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता अब अपनी बात रख रहे हैं. तुषार मेहता ने कहा- महाराष्ट्र पुलिस इस बात को मान चुकी है कि ये आत्महत्या का केस है और दूसरी बात की है कि अभी तक इस मामले में कोई FIR उनकी तरफ से दर्ज नहीं हुई है.
विकास सिंह - कोर्ट कृपया ये सुनिश्चित करें कि जब सीबीआई की टीम जांच के लिए मुंबई जाए तो उसे विनय तिवारी की तरह क्वारंटाइन न रहना पड़े.
सुशांत के पिता के वकील विकास सिंह- किसी ने सुशांत की बॉडी को पंखे से लटका हुआ नहीं देखा. सुशांत की बहन जब वहां पहुंची तो उसका शव बेड पर पड़ा हुआ था. बिहार पुलिस जब जांच के लिए मुंबई गई तो 2 अगस्त को विनय तिवारी को क्वारंटाइन कर दिया गया. 3 अगस्त को आदेश पास किया गया कि बाहर से आने वाले को क्वॉरेंटाइन में रहना होगा. जाहिर है यह जांच पर पर्दा डालने की कोशिश थी.
विकास सिंह - सुशांत के पिता और उनकी बहन अलग-थलग पड़ गए थे सुशांत के पिता उससे बात करना चाहते थे लेकिन रिया ने उसे परिवार से दूर कर दिया था. सुशांत के गले का निशान देखिए , वो रस्सी का निशान नहीं बल्कि बेल्ट का निशान है. अगर सुशांत का मर्डर हुआ है तो निश्चित तौर पर जांच की जरूरत है.
विकास सिंह- हर कोई सीआरपीसी के मर्डर की बात कर रहा है पर हकीकत में सीआरपीसी कोई पढ़ना नहीं चाहता. आसाराम का ही केस ले ले, उस मामले में शिकायत करने वाली लड़की राजस्थान से यूपी लिए सफर कर रही थी लेकिन FIR दिल्ली में दर्ज हुई और बाद में दिल्ली से जांच यूपी के ट्रांसफर कर दी गई. ये ज़ीरो FIR है.
विकास सिंह सुप्रीम कोर्ट के कुछ पुराने फैसलों का हवाला दे रहे हैं. दरअसल ये सबित करने के लिए कि जांच अधिकारी का दायित्व जांच को पूरा करना है बजाय इसके कि वह क्षेत्राधिकार के पेंच में फंसे.
विकास सिंह - दूसरा पक्ष मीडिया रिपोर्ट के आधार पर दलील दी रहा है. लेकिन मैं ऐसा नहीं करूंगा. मीडिया भले ही सीएम के बेटे को लेकर सवाल उठा रहा हूं लेकिन मुझे इस पर कुछ नहीं कहना है.
विकास सिंह सुशांत के पिता की ओर से दलील रख रहे हैं. कहा - मैं मीडिया रिपोर्ट्स पर नहीं जाना चाहता. लेकिन यह भी सच है कि इन रिपोर्ट्स में महाराष्ट्र के सीएम के बेटे पर सवाल उठ रहे हैं.
बिहार सरकार की ओर से रखी गई दलीलों के विरोध में सिंघवी ने कहा कि - पोस्टमार्टम रिपोर्ट फाइल करने का यह मतलब नहीं है कि जांच बंद हो गई. लाख चीखनेवाली हैडलाइन हो, एक्सपर्ट बनकर चीखने वाले एंकर हो लेकिन इन सब के होने से कानून बदल नहीं जाता. सवाल देश के संघीय ढांचे और जांच के क्षेत्राधिकार का है.
सिंघवी - सवाल ये भी है कि क्या एक सिंगल जज की बेंच सीबीआई को जांच ट्रांसफर करने का आदेश दे सकती है.
सिंह - घटना जहां पर हुई है उस राज्य की सहमति सीबीआई जांच के लिए जरूरी है. अपवाद यह है कि हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट अपनी ओर से भी सीबीआई जांच का आदेश दे सकता है लेकिन ऐसा बेहद रेयर केस में होना चाहिए.
सिंघवी- SC चाहे तो FIR को एक राज्य से दूसरे राज्य या एजेंसी को ट्रांसफर कर सकता है. लेकिन इस मामले में जो हो रहा है, वो ग़ैरकानूनी है.
सिंघवी -महाराष्ट्र में इस केस को लेकर एक भी शिकायत नहीं है. सबको मालूम है कि बिहार ऐसा क्यों कर रहा है, चुनाव जो होने वाले है. चुनाव के बाद कोई नहीं पूछने वाला.
सिंघवी - बिहार पुलिस चाहती है कि क्षेत्राधिकार का मसला ही नहीं उठे. उसे जांच करनी दी जाए. आखिर इतनी तत्परता क्यों.
अगर इसे कायम रहने दीया जाए तो परिणाम गम्भीर होंगे. मान लीजिए कल कोई मुम्बई में कोई हिट रन केस हो जाये. अगर पीड़ित और आरोपी दोनों ये कहने लगे कि हमे मुम्बई पुलिस पंसद नहीं हो. जांच केरल या कोई राज्य की पुलिस करे, तब क्या होगा.
सिंघवी महाराष्ट्र सरकार की ओर से पेश हुए है , बिहार पुलिस की जांच के क्षेत्राधिकार पर सवाल उठा रहे है.
सिंघवी - हैरान हूँ कि एक ट्रांसफर पिटीशन को इतना हाइप दिया जा रहा है. हर कोई जज बन गया है- टीवी एंकर से लेकर एक्सपर्ट तक. लोग टीवी पर बैठकर ज्ञान दे रहे है कि कैसे कोर्ट हमारे एफिडेविट को नहीं स्वीकारेगा.
बिहार सरकार के वकील मनिंदर सिंह - अगर सुशांत के खाते से 15 करोड़ रुपए गायब हुए हैं तो सुशांत के पिता को पटना में रिपोर्ट दर्ज करवानी चाहिए थी. मुंबई पुलिस सिर्फ मीडिया को दिखाने के लिए जांच का दिखावा कर रही है. हकीकत में कोई जांच नहीं हो रही. सही मायनों में 25 जून के बाद कानूनन मुंबई में कोई जांच लंबित नहीं है.
मनिंदर सिंह - अभी ये ट्रांसफर याचिका सुनी ही नहीं जानी चाहिए. शुरुआती जांचके स्टेज पर कैसे आप क्षेत्राधिकार का मसला उठा सकते है. ट्रांसफर अर्जी पर सुनवाई तब हो जब जांच पूरी हो जाये/ रिपोर्ट पेश हो जाये. अगर कोई संज्ञेय अपराध किसी के नोटिस में आता है तो जांच अधिकारी की ये जिम्मेदारी है कि वो जांच पूरी करे.
अब मनिंदर सिंह सीधे रिया की याचिका की मेंटेनबिलिटी पर सवाल उठा रहे है यानि कह रहे है कि याचिका सुनवाई लायक ही नहीं है.
बिहार के वकील मनिंदर सिंह - कहा तो ये भी जा रहा है कि महाराष्ट्र में एक राजनीतिक वर्ग है, जो नहीं चाहता कि FIR दर्ज हो. CRPC 178 कहती है कि जांच के स्टेज पर आप क्षेत्राधिकार का मसला नहीं उठा सकता.
बिहार की ओर से मनिंदर सिंह की दलील. बिहार के वकील मनिंदर- इस मामले में इकलौती एफआईआर पटना पुलिस ने दर्ज की. ऐसा लगता है कि मुंबई पुलिस पर मामले को कवर अप करने के लिये दबाव है. जांच के लिए जब बिहार की टीम मुम्बई गई तो पुलिस टीम को जबरन क्वारंटीन कर दिया गया.
विकास सिंह - CRPC तो यही कहती है कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद यहां तो आप 174 के तहत केस बन्द कर दे या फिर FIR दर्ज करे. मेरा सवाल ये है कि 56 में से कितने लोगों से इन्होंने 25 जून के बाद पूछताछ की.
विकास सिंह -56 लोगों को महाराष्ट्र पुलिस पूछताछ कर चुकी है. 25 जून को सुशांत की पोस्टमार्टम रिपोर्ट आ चुकी है. आज तक इन्होंने FIR दर्ज नहीं की.
जस्टिस राय - तो हम ये माने कि आपको एतराज उस तरीके से है, जिसके जरिये जांच सीबीआई को सौंपी गई.
मीडिया में जैसे रिपोर्टिंग हो रही है, आप ख़ुद को पीड़ित महसूस कर रहे है. वैसे आप भी निष्पक्ष जांच ही चाहते है.
श्याम दीवान- जी बिल्कुल. हम यही कहना चाह रहे है.
कोर्ट का रिया के वकील से सवाल- आप CBI जांच चाहते है?
रिया के वकील - हम स्वतंत्र जांच चाहते है. जिस तरीक़े से बिहार ने CBI जांच की सिफारिश की, वो ग़लत. पहले मामला महाराष्ट्र पुलिस को सौपा जाना चाहिए. महाराष्ट्र सरकार अगर आगे सीबीआई जांच की सिफारिश करे तो बेशक CBI जांच हो.
श्याम दीवान- रिया खुद परेशान थी. उसने ट्वीट कर निष्पक्ष जांच की मांग की. लोगों ने उसे ही ट्रोल किया, धमकियां दीं. इस मामले में मीडिया ट्रायल भी चल रहा है. गवाहों और मामले से जुड़े लोगों पर लगातार दबाव बनाया जा रहा है.
श्याम दीवान ने कहा रिया सुशांत के प्रेम में थी. वो दोनो एक अरसे तक साथ रहे. उस लड़की का अधिकार है कि उसके साथ कोई ज़्यादती ना हो.
श्याम दीवान ने कहा कोर्ट गौर करे इन सब बातों पर कि कैसे FIR के पीछे राजनीति है. इतने दिन बाद FIR दर्ज होती है, और सबसे बड़ी बात किसी घटना का ताल्लुक बिहार से है ही नहीं.
श्याम दीवान कह रहे है कि पहले पटना पुलिस की FIR, फिर DSPE एक्ट के तहत सीबीआई को जांच का ट्रांसफर, सेक्शन 406 के तहत मेरी अर्जी को धता नहीं बता सकता.
दीवान अब इस पर भी सवाल उठा रहे है कि जब रिया की याचिका SC में पेंडिंग थी तो कैसे CBI जांच का आदेश दिया जा सकता है.
श्याम दीवान ने कहा कि मुंबई पुलिस की जांच प्रगति पर है 56 लोगों के बयान दर्ज हो चुके है.
श्याम दीवान ने कहा कि नियम यही कहता है कि अगर किसी ऐसे मामले के लिए कहीं पर FIR दर्ज होती है, जिसका संबंध उस इलाके से नहीं है, तो वहां की पुलिस जीरो FIR दर्ज कर मामला घटनास्थल की जगह वाली पुलिस को ट्रांसफर कर देती है.
श्याम दीवान सुशांत के पिता की ओर से दर्ज शिकायत और महाराष्ट्र पुलिस की ओर से हलफनामे के जरिये ये साबित कर रहे है कि जो कुछ भी आरोप है, उन सब घटनाओं का सम्बंध मुंबई से है ना कि पटना से.
रिया की ओर श्याम दीवान ने कहा कि रिया चक्रवर्ती (Rhea Chakraborty) सुशांत से मोहब्बत करती थी, लेकिन अब उसे ही इस मामले में पीड़ित किया जा रहा है, बेवजह ट्रोल किया जा रहा है.
इस समय श्याम दीवान कल रिया चक्रवर्ती (Rhea Chakraborty) की ओर से जमा कराए हलफनामें को पढ़ रहे है.
श्याम दीवान-बिहार पुलिस ने एक ऐसे मामले के लिए FIR दर्ज की, जिसका पटना से कोई कनेक्शन ही नहीं.
श्याम दीवान ने कहा - मुंबई पुलिस का ही जांच का क्षेत्राधिकार बनता है. बिहार में पूर्वाग्रह से FIR दर्ज की गई थी.
श्याम दीवान ने कहा - महाराष्ट्र सरकार के हलफनामे से साफ़ है कि वहाँ जांच सही तरीक़े से हो रही है.
श्याम दीवान ने पटना में दर्ज FIR पर सवाल उठाया. कहा - बिहार का क्षेत्राधिकार नहीं, 38 दिन के बाद FIR दर्ज करने का ओचित्य नहीं. FIR दर्ज होने के पीछे राजनैतिक वजह.
सुशांत केस की सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई शुरू, श्याम दिवान रिया चक्रवर्ती (Rhea Chakraborty) की ओर से दलील रख रहे हैं.
सूत्रों के मुताबिक प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने बड़ी कार्रवाई करते हुए रिया चक्रवर्ती , उनके भाई शोविक और पिता इंद्रजीत के फोन जब्त कर लिए गए हैं.
वहीं, रिया चक्रवर्ती ने अपने हलफनामे में ये भी कहा है कि अगर अदालत इस मामले में सीबीआई जांच का आदेश देती है तो उसे कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन इस जांच का क्षेत्राधिकार मुंबई होना चाहिए पटना नहीं.
सुशांत सिंह राजपूत की पूर्व बिजनेस मैनेजर श्रुति मोदी आज फिर प्रवर्तन निदेशालय (ED) पूछताछ के लिए पहुंची हैं.
सुशांत सिंह राजपूत (Sushant Singh Rajput) की मौत मामले में रिया चाहती हैं कि उनके खिलाफ पटना में दर्ज FIR मुंबई ट्रांसफर किया जाए.
सुप्रीम कोर्ट को यह तय करना है कि रिया चक्रवर्ती (Rhea Chakraborty) के खिलाफ मामले की जांच कौन करेगा.
आज रिया चक्रवर्ती (Rhea Chakraborty) द्वारा दाखिल याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी
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