एक समय पाकिस्तान के सिनेमाप्रेमियों के बीच काफी लोकप्रिय रहे पंजाब के सबसे पुराने सिनेमाघरों में शुमार धनी राम थियेटर को बंद कर दिया गया है. अब इस विरासत संपत्ति को बेचा जाएगा. इसे राजा टॉकीज के नाम से अधिक जाना जाता है. इसका निर्माण 1930 में इस सीमावर्ती शहर में किया गया था. इन वर्षों के दौरान सिनेमा हॉल ने अपने जीवनकाल में कई दिक्कतों का बखूबी सामना किया, जिसमें उच्च मनोरंजन कर और सेटेलाइट चैनलों की बढ़ती संख्या शामिल है. लेकिन, लोगों के घटते रुझान व रखरखाव की उच्च लागत ने मालिकों को आखिर इसे बंद करने के लिए मजबूर कर दिया.
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राजा टॉकीज के स्वामित्व वाले परिवार से संबंधित सुभाष कालिया ने कहा कि इंटरनेट पर आने वाली फिल्मों व बढ़ते मल्टीप्लेक्स कल्चर की वजह से सिनेमा हॉल में दर्शक नहीं पहुंच रहे थे. कालिया ने कहा, 'शहरों में अधिकांश सिनेमाघरों को मल्टीप्लेक्स में बदल दिया गया है. इस सीमावर्ती शहर में अधिक व्यापार करने की बहुत गुंजाइश नहीं है और इसके लिए भारी निवेश की आवश्यकता है. इसलिए हमने इसे बंद करने का फैसला किया है.'
यह सिनेमाघर एक समय भारत व पाकिस्तान के बीच बीच कड़ी का काम कर रहा था. बुजुर्ग दुर्गा प्रसाद ने मीडिया को बताया, 'एक वह समय था जब पाकिस्तान से बड़ी संख्या में लोग आते थे, खासकर रविवार और छुट्टियों के दिनों में. खरीदारी या व्यवसाय करने के बाद वे नरगिस, शम्मी कपूर, दिलीप कुमार और देव आनंद जैसे सितारों की फिल्में देखना पसंद करते थे.'
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बड़े-बुजुर्ग याद करते हैं कि 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के समय तक हुसैनीवाला चेक पोस्ट के जरिये पाकिस्तान के सिनेमाप्रेमी राजा टॉकीज आते थे. उस समय दोनों राष्ट्रों के बीच व्यापार मार्ग खुला हुआ था. पाकिस्तानी हिंदी फिल्मों के शौकीन थे और वे सिनेमा हॉल में फिल्में देखने के लिए आते थे.
उस समय राजा टॉकीज की तरह ही अन्य तीन सिनेमा घरों जोशी पैलेस, शिमला टॉकीज और अमर टॉकीज में खूब भीड़ लगती थी और यहां का व्यवसाय शानदार हुआ करता था. 1971 में भारत-पाकिस्तान युद्ध के बाद यहां से 11 किमी दूर हुसैनीवाला चेक पोस्ट पाकिस्तान के व्यापारियों के लिए बंद कर दिया गया.
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सामरिक रूप से महत्वपूर्ण हुसैनीवाला पुल 1971 की लड़ाई के दौरान दुश्मनों को रोकने के लिए उड़ा दिया गया था. तत्कालीन रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने 12 अगस्त, 2018 को इसे पुनर्निर्माण के बाद दोबारा से जनता के लिए खोल दिया. शहर के एक बुजुर्ग अज्ञा राम शर्मा ने याद किया कि यह थिएटर हर रविवार को अंग्रेजी फिल्मों की स्क्रीनिंग के लिए भी लोकप्रिय थे, जो पास में तैनात सेना के अधिकारियों और उनके परिवारों के सदस्यों को आकर्षित करते थे. उन्होंने कहा कि सिनेमाघरों में पाकिस्तानी नाटक और पारिवारिक सीरियल भी दिखाए जाते थे, जो 1980 के दशक की शुरुआत तक भारतीय दर्शकों के बीच काफी हिट थे.
Source : आईएएनएस