पाकिस्तानी अभिनेत्री महविश हयात ने बॉलीवुड पर लगाया ये इल्जाम
महविश ने लेख में कहा था कि भारत की अति राष्ट्रवादी फिल्में, गाने, नारे अपने यहां के आम लोगों को नफरत करना सिखाते हैं
नई दिल्ली:
पाकिस्तान की अभिनेत्री महविश हयात (Mehwish Hayat) ने एक बार फिर भारतीय फिल्म इंडस्ट्री बॉलीवुड को अपने निशाने पर लेते हुए कहा है कि 'पाकिस्तान को बतौर खलनायक पेश करने में आगे रहने वाले बॉलीवुड ने पाकिस्तानी गानों को चुराना जारी रखा है.' पाकिस्तानी मीडिया में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार, महविश ने यह बात भारतीय अभिनेत्री आलिया भट्ट के ताजा एकल गीत 'प्रादा' के संदर्भ में कही है. इस गाने को पाकिस्तान के वाइटल साइन के गीत 'गोरे रंग का जमाना' से मिलता-जुलता बताया जा रहा है. ट्विटर पर कई पाकिस्तानियों ने इसे रेखांकित किया और महविश ने भी इनके सुर में अपना सुर मिला दिया.
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उन्होंने एक ट्वीट में कहा, 'मुझे इस पर बेहद ताज्जुब होता है. एक तरफ तो बॉलीवुड पाकिस्तान को खलनायक बताने का कोई मौका नहीं छोड़ता और दूसरी तरफ हमारे गानों को चुराने का भी कोई मौका नहीं छोड़ता. जाहिर सी बात है कि किसी तरह की मंजूरी, कॉपीराइट उल्लंघन और रॉयल्टी भुगतान का तो कोई अर्थ है ही नहीं.'
I find this strange. On the one hand Bollywood vilifies Pakistan at every opportunity they get. On the other, they continue to steal our songs without so much as an acknowledgment. “Copyright violation” and “royalty payments” obviously mean nothing.https://t.co/2x48WIGjf3
— Mehwish Hayat TI (@MehwishHayat) August 24, 2019
उन्होंने भारतीय अभिनेता शाहरुख खान के नेटफ्लिक्स शो 'बार्ड ऑफ ब्लड' की भी निंदा की. उन्होंने ट्वीट में कहा, 'इसने उसी बात को सही साबित किया है जिसे में काफी समय से कहती आ रही हूं. एक और कमजोर और पाकिस्तान विरोधी प्रोजेक्ट. क्या हम अब जागेंगे और समझेंगे कि बॉलीवुड का एजेंडा क्या है? शाहरुख खान, देशभक्त बनिए, कोई आपको इससे नहीं रोकेगा लेकिन इसे हमारी बदनामी की कीमत पर मत करिए.'
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महविश ने कुछ दिन पहले सीएनएन के लिए लिखे लेख में कहा था कि भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने देश के फिल्म उद्योग को 'हथियारबद्ध' कर दिया है. पाकिस्तान एक मुस्लिम देश है और वहां के फिल्म उद्योग में इस्लामोफोबिया हावी है. महविश ने लेख में कहा था कि भारत की अति राष्ट्रवादी फिल्में, गाने, नारे अपने यहां के आम लोगों को नफरत करना सिखाते हैं.
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