फिल्मकार विक्रमादित्य मोटवानी ने कहा- वयस्क क्या देखें, यह बताने की जरूरत नहीं
बोर्ड को फिल्म को प्रमाणपत्र देना चाहिए, यानी कि फिल्म किस आयु वर्ग के लिए है न कि उसे रोकना चाहिए।
नई दिल्ली:
अपनी फिल्मों के लिए सर्टिफिकेट के मुद्दे पर केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) से दो-चार करते रहने वाले फिल्मकार विक्रमादित्य मोटवानी ने कहा है कि किसी को भी वयस्कों को यह निर्देश देने की जरूरत नहीं है कि वे क्या देखें।
फिल्म 'लिपस्टिक अंडर माय बुर्का' को बोर्ड द्वारा सर्टिफिकेट नहीं दिए जाने के मुद्दे पर मोटवानी ने कहा, 'बोर्ड को फिल्म को प्रमाणपत्र देना चाहिए, यानी कि फिल्म किस आयु वर्ग के लिए है न कि उसे रोकना चाहिए। किसी को भी वयस्क को यह निर्देश नहीं देना चाहिए कि वह क्या देखें।'
फिल्मकार को फैंटम फिल्म्स के तहत पंजाब में ड्रग्स पर आधारित 'उड़ता पंजाब' और 'एनएच 10' के लिए बोर्ड से समस्या का सामना करना पड़ा है।
मोटवानी ने कहा, 'एक वयस्क होने के नाते मैं वोट डाल सकता हूं, गाड़ी चला सकता हूं, बच्चे पैदा कर सकता हूं तो मैं कुछ भी देख सकता हूं, जो देखना चाहूं। एक उम्र के बाद हर तरह की चीजें देखी जा सकती हैं। इसीलिए मेरा मानना है कि बोर्ड को सर्टिफिकेट देना चाहिए न कि सेंसर करना चाहिए।'
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बोर्ड में सर्टिफिकेट और सेंसर मुद्दे पर सुधार की जरूरत है, लेकिन 'उड़ता पंजाब' और 'हरामखोर' और अन्य फिल्मों की रिलीज के बाद भी ऐसा कुछ नहीं हुआ। उन्होंने कहा, 'जब जनता में इसे लेकर कोई खास बेचैनी या आंदोलन नहीं दिखा तो फिर बोर्ड को किस बात की चिंता है?'
मोटवानी की अगली फिल्म 'ट्रैप्ड' 17 मार्च को रिलीज होगी। इस फिल्म में बहुमंजिली इमारत में बिना बिजली, खाना, पानी के एक व्यक्ति के फंस जाने की कहानी है।
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उल्लेखनीय है कि श्याम बेनेगल, फरहान अख्तर, अशोक पंडित और कबीर खान ने केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड को प्रकाश झा की फिल्म 'लिपस्टिक अंडर माय बुर्का' को प्रमाण पत्र देने से मना करने पर लताड़ लगा चुके हैं और इसे 'हास्यास्पद' करार दिया है।
सीबीएफसी ने इस फिल्म को यह कहकर प्रमाण पत्र देने से मना कर दिया कि महिला प्रधान इस फिल्म में लगातार उत्तेजक दृश्यों और अपशब्दों की भरमार है। यह अप्रत्यक्ष रूप से समाज के एक विशेष वर्ग के संवेदनशली मुद्दे को दर्शाती है।
अलंकृता श्रीवास्तव निर्देशित यह फिल्म समाज के विभिन्न वर्गो की महिलाओं की इच्छाओं को दर्शाती है, जो खुली हवा में अपने तरीके से जिंदगी जीना चाहती हैं। फिल्म में रत्ना पाठक शाह, कोंकणा सेन शर्मा और अहाना कुमरा प्रमुख भूमिकाओं में हैं।
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