स्टार, सुपरस्टार, मेगास्टार जैसे तमगों में यकीन नहीं : नवाजुद्दीन सिद्दीकी

नवाजुद्दीन सिद्दीकी ने 'सरफरोश', 'शूल' और 'मुन्नाभाई एमबीबीएस' जैसी फिल्मों में छोटे-मोटे किरदारों से अपने करियर की शुरुआत की थी. खुद को साबित करने और अपने मन-मुताबिक किरदार पाने के लिए उन्हें 12 साल संघर्ष के दौर से गुजरना पड़ा.

नवाजुद्दीन सिद्दीकी ने 'सरफरोश', 'शूल' और 'मुन्नाभाई एमबीबीएस' जैसी फिल्मों में छोटे-मोटे किरदारों से अपने करियर की शुरुआत की थी. खुद को साबित करने और अपने मन-मुताबिक किरदार पाने के लिए उन्हें 12 साल संघर्ष के दौर से गुजरना पड़ा.

author-image
Vineeta Mandal
New Update
Nawazuddin siddiqui

Nawazuddin Siddiqui( Photo Credit : (फाइल फोटो))

नवाजुद्दीन सिद्दीकी ने 'सरफरोश', 'शूल' और 'मुन्नाभाई एमबीबीएस' जैसी फिल्मों में छोटे-मोटे किरदारों से अपने करियर की शुरुआत की थी. खुद को साबित करने और अपने मन-मुताबिक किरदार पाने के लिए उन्हें 12 साल संघर्ष के दौर से गुजरना पड़ा. यह अनुराग कश्यप की फिल्म 'गैंग्स ऑफ वासेपुर' थी, जिसने उनकी तकदीर बदलकर रख दी और तब से अब तक 'बदलापुर', 'रईस', 'रमन राघव 2.0', 'ठाकरे', 'मंटो' और 'सेक्रेड' जैसी कई परियोजनाओं में उन्होंने अपने अभिनय का लोहा मनवाया. आज नवाजुद्दीन सिद्दीकी के कई प्रशंसक हैं, लेकिन इसके बावजूद वह खुद को 'स्टार' की श्रेणी में रखना नहीं पसंद करते हैं.

Advertisment

और पढ़ें: Good Newwz से अक्षय कुमार ने शेयर किया अपना मेडिकल रिपोर्ट, देखकर छूट पड़ेगी हंसी

उन्होंने बताया, 'मुझे खुद को स्टार कहना नापसंद है. मैं ऐसे तमगों में यकीन नहीं रखता हूं. स्टार, सुपरस्टार या मेगास्टार के रूप में पहचाने जाने के बाद इंडस्ट्री में कलाकारों को रूढ़िबद्ध किया जाता है और उन्हें एक ही जैसा काम करने को दिया जाता है.'

नवाजुद्दीन ने आगे कहा, 'सच्चा कलाकार वही होता है जो भिन्न किरदारों को निभाता है, लेकिन अगर आप स्टार श्रेणी में फंस जाते हैं, तो आप सीमाबद्ध होकर रह जाते हैं. 'स्टार' और 'सुपरस्टार' जैसी चीजें महज विपणन रणनीतियां हैं, इसलिए मुझे खुद को स्टार कहलवाना पसंद नहीं.' नवाजुद्दीन का यह भी मानना है कि 'स्टार' का यह तमगा एक कलाकार के विकास को रोक देता है.

ये भी पढ़ें: 'हाउसफुल 4' की पुरानी तस्वीरों से पूजा हेगड़े ने किया प्रशंसकों को आश्चर्यचकित

उन्होंने इस बारे में कहा, 'मैं कम्फर्ट जोन में फंसकर नहीं रखना चाहता. एक कलाकार के लिए यह बेहद जरूरी है कि वह अपने कम्फर्ट जोन से परे जाकर कुछ करे. मैं बहुमुखी बनना चाहता हूं. अगर मैं खुद को एक स्टार समझने लगूं तो मुझमें घमंड आ सकता है और यह मेरे कौशल व विकास को बाधित कर सकता है.'

'मंटो', 'ठाकरे' और 'सेक्रेड गेम्स' में एक के बाद एक गंभीर भूमिकाओं को निभाने के बाद 45 वर्षीय इस अभिनेता ने रोमांटिक-कॉमेडी में हाथ आजमाने की कोशिश की. हाल ही में वह कॉमेडी-ड्रामा 'मोतीचूर चकनाचूर' में नजर आए. आने वाले समय में वह 'बोले चूड़ियां' में नजर आएंगे.

Entertainment News Nawazuddin Siddiqui bollywood news hindi superstar Megastar
Advertisment