फिल्मों के चयन में झलकता है अभिनेता का व्यक्तित्व: नसीरुद्दीन शाह
अभिनेता का साथ ही यह भी मानना है कि एक कलाकार का काम लेखक और निर्देशक के संदेश को देना होता है, उन्होंने जिस किरदार को गढ़ा है, उसके जरिए उनके नजरिए को पेश करना होता है।
नई दिल्ली:
दिग्गज अभिनेता नसीरुद्दीन शाह का कहना है कि एक कलाकार जिन फिल्मों का चयन करता है, वह न सिर्फ उसकी राजनीतिक, सामाजिक धारणा, बल्कि उसके व्यक्तित्व को भी दर्शाती हैं।
नसीरुद्दीन (67) ने बताया, 'अगर मैं निर्देशक के दृष्टिकोण से सहमत होता हूं, सिर्फ तभी मैं कोई फिल्म करूंगा, इसलिए एक कलाकार का व्यक्तित्व उसके चयन से झलकता है। जिस फिल्म का चयन आप करते हैं, वह आपकी राजनीतिक धारणा और सामाजिक अभिव्यक्ति को दर्शाता है।'
अभिनेता का साथ ही यह भी मानना है कि एक कलाकार का काम लेखक और निर्देशक के संदेश को देना होता है, उन्होंने जिस किरदार को गढ़ा है, उसके जरिए उनके नजरिए को पेश करना होता है।
अपने तीन दशक से ज्यादा के फिल्मी करियर में नसीरुद्दीन भारतीय समानांतर सिनेमा के मुख्य चेहरों में से एक हैं। वह कई व्यावसायिक फिल्मों का भी हिस्सा रहे हैं, लेकिन यह देखना दिलचस्प है कि कैसे बड़े पैमाने पर सम्मानित प्रतिभाशाली अभिनेता खुद को फिल्म के स्पॉटलाइट में रखना पसंद नहीं करते हैं।
यह पूछे जाने पर कि अन्य कलाकारों की तरह अटेंशन पाने को लेकर वह ज्यादा ध्यान क्यों नहीं देते, तो उन्होंने कहा, 'क्योंकि कलाकार मुख्यतया आत्मकामी होते हैं, वे खुद से प्यार करते हैं, ऐसा नहीं है कि मैं वैसा नहीं हूं, लेकिन समय बीतने के साथ मुझे अहसास हुआ कि एक कलाकार में बहुत कुछ गुण होने जरूरी हैं।'
और पढ़ें: Birthday Special: ऐश्वर्या राय बच्चन की ग्लैमरस लाइफ के पीछे छिपे हैं कई राज देखें 20 PHOTOS में
नसीरुद्दीन ने 19वें 'जियो मामी मुंबई फेस्टिवल विद स्टार' के दौरान बात की, जहां उनकी फिल्म 'द हंग्री' की स्क्रीनिंग हुई।
अभिनेता ने समय के साथ प्रासंगिक रहने के बारे में पूछे जाने पर कहा कि वह अपनी सोच व अभिनय से जुड़े विचारों को युवाओं के हिसाब से समझने की कोशिश करते हैं। अभिनय अभिव्यक्ति का एक जरिया होता है।
उन्होंने कहा कि दुख की बात है कि फिल्मों में एक अभिनेता को मुख्य केंद्र माना जाता है और उनका अभिनय व प्रदर्शन फिल्म के लिए सब कुछ समझा जाता है, जो सही नहीं है। फिल्म में सबसे ज्यादा नजर आने वाला चेहरा होने के कारण सबसे पहले उनकी ही आलोचना होती है।
अभिनेता हालांकि फिल्म समीक्षा को गंभीरता से नहीं लेते हैं। उन्होंने कहा कि यह समीक्षा एक टैक्सी चालक की राय के जितना ही अच्छा होता है। समीक्षा कुछ और नहीं, बल्कि हमारी फिल्म की राय से जुड़ा एक अन्य हिस्सा होता है। आधे समीक्षक किसी फिल्म के हर पहलू का समीक्षात्मक रूप से विश्लेषण नहीं करते हैं, लेकिन अपनी समीक्षा में इसके सार के बारे में लिखते हैं।
और पढ़ें: SEE PICS: निया शर्मा ब्लू लिपस्टिक के कारण सोशल मीडिया पर हुईं ट्रोल
Don't Miss
वीडियो
IPL 2024
-
SRH vs LSG : हेड और अभिषेक का तूफान, हैदराबाद ने रचा इतिहास, 10 ओवर से पहले ही लखनऊ को 10 विकेट से रौंदा
-
SRH vs LSG Dream11 Prediction: हैदराबाद और लखनऊ के मैच में ये हो सकती है बेस्ट ड्रीम11 टीम, इसे चुनें कप्तान
-
DC vs RR : कुलदीप-मुकेश कुमार की घातक गेंदबाजी, दिल्ली ने राजस्थान को 20 रनों से हराया
मनोरंजन
धर्म-कर्म
-
Akshaya Tritiya 2024: क्यों खास है इस वर्ष अक्षय तृतीया? ये है बड़ा कारण
-
Amavasya Ke Totke: दुश्मनों से हैं परेशान या कोई फैला रहा है नेगेटिव एनर्जी, तो आज रात करें ये उपाय
-
Chanakya Niti: चाणक्य के अनुसार क्या है मनुष्य का असली धर्म, यहां जानिए
-
Rajarajeshwar Temple: राजराजेश्वर मंदिर की क्या है खासियत जहां पीएम मोदी ने टेका माथा