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उत्तरा बाओकर का निधन( Photo Credit : सोशल मीडिया)
हिंदी सिनेमा की जानी-मानी सीनियर एक्टर उत्तरा बाओकर का 79 साल की उम्र में निधन हो गया. बाओकर के निधन की खबर ने थिएटर और फिल्म जगत को एक अलग तरह के खालीपन से भर दिया है. बाओकर एक ऐसी एक्ट्रेस रही हैं जिन्होंने थियेटर, टीवी और फिल्में हर तरह के फॉर्मैट में काम किया और अपनी परफॉर्मेंस के दम पर अपने लिए जगह बनाई. उत्तरा बाओकर एनएसडी की स्टूडेंट रही हैं. उत्तरा ने अपने शानदार एक्टिंग करियर में तमस, सरदारी बेगम, कोरा कागज, एक दिन अचानक, डोर जैसी कई फिल्मों में काम किया. आज उनका जाना एक झटके जैसा लगा है.
परफॉर्मेंस से हमेशा जीता दिल और कमाए कई अवॉर्ड
उत्तरा बाओकर को 1984 में संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया था. 1978 में उन्हें मृणाल सेन की फिल्म 'एक दिन अचानक' के लिए राष्ट्री पुरस्कार मिला. बाओकर के साथ एक अच्छी बात थी कि वह केवल हिंदी तक सीमित नहीं थीं. उन्होंने मराठी भाषा में भी शानदार काम किया. 1988 में वह गोविंद निहलानी की फिल्म तमस में नजर आईं. यह फिल्म उनके करियर की शानदार फिल्मों में से एक है. भीष्म साहनी के उपन्यास पर आधारित यह फिल्म एक पीरियड फिल्म थी. पहले इसे दूरदर्शन पर एक सीरीज की तरह रिलीज किया गया था.
उत्तरा ने अपने करियर में उड़ान, अंतराल, रिश्ते, कोरा कागज, नजराना, जस्सी जैसी कोई नहीं, कश्मकश जिंदगी की और जब लव हुआ जैसे तमाम टीवी सीरियल्स में भी काम किया. उनकी रेंज इतनी अलग थी कि वह कभी भी किसी प्रोजेक्ट से पीछे नहीं हटती थीं और इसी वजह से उन्हें बच्चा-बच्चा पहचानता है.
पर्सनल लाइफ
उत्तरा ने कभी शादी नहीं की. इस बारे में बताते हुए उन्होंने एक बार कहा था, "यह कभी नहीं हुआ कि मुझे शादीशुदा जीवन की कमी महसूस ना हुई हो. क्योंकि मेरे लड़के-लड़कियां कई दोस्त हैं. शादी और मातृत्व का अनुभव नहीं होने के बारे में कई बातें कही जा सकती हैं, जो पहले किसी ने अनुभव नहीं की. यह मुझे एक मनुष्य या एक अभिनेत्री के रूप में अपूर्ण नहीं बनाता है.