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बॉलीवुड में हिट थी लता मंगेशकर और लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल की जोड़ी, मिलकर गाए 700 गाने

लता मंगेशकर ने लक्ष्मीकांत और प्यारेलाल की प्रतिभा को पहचाना और संगीतकार शंकर जयकिशन एस.डी.बर्मन और सी.रामचंद्र को सहायक के लिए लक्ष्मीकांत और प्यारेलाल के नाम सुझाये.

Updated on: 14 Nov 2019, 01:23 PM

नई दिल्ली:

1960 का दौर वो दौर था जब लता मंगेशकर ने मदन मोहन, लक्ष्मीकांत प्यारेलाल, एस डी बर्मन और आर डी बर्मन जैसे महान संगीत निर्देशकों के साथ काम किया. यही वो दौर है जिसमें लता दीदी ने ‘आप की नजरों ने समझा’, ‘लग जा गले’ और ‘अजीब दास्तां है ये’ जैसे गानों से इंडस्ट्री में अपनी बहुत ही मजबूत पहचान बनाई.

1960 के दशक में उन्होंने लक्ष्मीकांत प्यारेलाल का साथ जो दिया फिर अपने करियर के 35 वर्षों तक उसे निभाया. मंगेशकर ने लक्ष्मीकांत प्यारेलाल के साथ 700 से ज्यादा गाने गाये.

लता मंगेशकर ने लक्ष्मीकांत और प्यारेलाल की प्रतिभा को पहचाना और संगीतकार शंकर जयकिशन एस.डी.बर्मन और सी.रामचंद्र को सहायक के लिए लक्ष्मीकांत और प्यारेलाल के नाम सुझाये. बाद में लक्ष्मीकांत- प्यारेलाल ने अपनी जोड़ी बनाकर सिने करियर की शुरुआत संगीतकार कल्याणजी.आनंद जी के सहायक के तौर पर की. सहायक के तौर पर उन्होंने मदारी.सट्टा बाजार. छलिया और दिल भी तेरा हम भी तेरे जैसी कई फिल्मों में काम किया.

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इस बीच उनकी मुलाकात भोजपुरी फिल्मों के निर्माता के.परवेज से हुयी जिन्होंने लक्ष्मीकांत और प्यारेलाल को चार फिल्मों में संगीत देने का प्रस्ताव दिया लेकिन दुर्भाग्य से इनमें से किसी भी फिल्म में उन्हें संगीत देने का मौका नहीं मिल पाया. लक्ष्मीकांत..प्यारेलाल की किस्मत का सितारा निर्माता..निर्देशक बाबू भाई मिस्त्री की क्लासिक फिल्म ..पारसमणि.. से चमका.

बेहतरीन गीत.संगीत और अभिनय से सजी इस फिल्म की कामयाबी ने लक्ष्मीकांत..प्यारे लाल को बतौर संगीतकार फिल्म इंडस्ट्री में स्थापित कर दिया.कहा जाता है फिल्म पारसमणि में लता मंगेशकर से गवाने के लिये लक्ष्मीकांत..प्यारे लाल ने अपनी जेब से कुछ पैसे भी दिये थे. फिल्म पारसमणि की सफलता के बाद लक्ष्मीकांत..प्यारेलाल ने फिर कभी पीछे मुड़कर नही देखा और एक से बढ़कर एक संगीत देकर श्रोताओं का दिल जीत लिया.

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80 के दशक तक लक्ष्मीकांत प्यारेलाल खुद को बॉलीवुड में नामवर संगीतकारों में स्थापित कर चुके थे. उनकी लोकप्रियता इतनी बढ़ चुकी थी कि उनको छू पाना किसी के बूते की बात नहीं रही थी. जब बात गायिकाओं की आती थी तो उनके लिए लता मंगेशकर इकलौती गायिका थीं.

लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल अपने मेंटर लता मंगेशकर और मोहम्मद रफी के सदा एहसानमंद रहे जिन्होंने उनका साथ दिया और इंडस्ट्री में उस समय चल रही फीस से आधी कीमत पर उनके साथ काम किया.