अटल बिहारी की पहचान एक राजनेता ही नहीं बल्कि वक्ता और कवि के रूप में भी उतनी ही प्रभावशाली रही है। उनकी कविताओं का संकलन काफी लंबा-चौड़ा है।
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प्रधानमंत्री बनने के बाद उनके लिए गोष्ठियों और सम्मेलन में जाना तो संभव नहीं रहा था पर वह अकसर संसद में अपनी कविताओं का कुछ भाग अपने भाषणों में शामिल करते रहते थे। उनकी एक कविता को मशहूर गजल गायक जगजीत सिंह ने अपने एलबम में शामिल किया था।
साल 2002 में आया जगजीत सिंह के एलबम 'संवेदना' में अटल बिहारी वाजपेयी की कविता 'क्या खोया क्या पाया ' शामिल किया गया था। जिसे आवाज जगजीत सिंह ने ही दी थी और अभिनय शाहरुख खान ने किया था।
यह गीत कानों में सुकून पहुंचाता है। अटल बिहारी वाजपेयी की प्रशंसा में इस गीत की शुरूआत के बोल को अमिताभ बच्चन ने अपनी आवाज दी है। जिन्हे जावेद अख्तर ने लिखा है।
अटल बिहारी वाजपेयी की लिखी कविता है:
क्या खोया क्या पाया जग में, मिलते और बिछड़ते मग में, मुझे किसी से नहीं शिकायत, यधपि छला गया पग-पग में, एक दृष्टि बीती पर डालें, यादों की पोटली टटोलें, जन्म मरण का अविरत फेरा, जीवन बंजारों का अविरत डेरा, आज यहाँ कल वहाँ कूच है, कौन जानता किधर सवेरा, अंधियारा आकाश असीमित, प्राणों के पखों को तौलें, अपने ही मन से कुछ बोलें... जन्म मरण का अविरत फेरा, जीवन बंजारों का डेरा आज यहाँ कल वहाँ कूच है, कौन जानता किधर सवेरा अँधियारा आकाश असीमित प्राणों के पंखों को खोले… अपने ही मन से कुछ बोले क्या खोया क्या पाया जग में, मिलते और बिछड़ते मग में मुझे किसी से नहीं शिकायत, यद्यपि छला गया पग पग में एक दृष्टि बीती पर डाले यादों की पोटली टटोलें अपने ही मन से कुछ बोले-अपने ही मन से कुछ बोले...
अटल बिहारी वाजपेयी 1996 में महज कुछ दिनों के लिए प्रधानमंत्री पद पर रहे और फिर 1998 से 2004 तक प्रधानमंत्री रहे। खराब स्वास्थ्य के कारण वे करीब एक दशक से ज्यादा समय से सक्रिय राजनीति से दूर हैं। पिछले 2 महीने से उनका इलाज दिल्ली के एम्स में चल रहा है। डॉक्टर्स ने बुलेटिन जारी कर उनकी हालत नाजुक बताई है।