8 मार्च को पूरी दुनिया अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस (International Women's Day) मना रही है। इस दिन को हम महिलाओं को सम्मान देने के तौर पर मनाते हैं। आज महिलाओं ने हर क्षेत्र में एक अलग मुकाम हासिल किया है, फिर चाहे वह पढ़ाई हो, राजनीति या बॉलीवुड। फिल्म इंडस्ट्री में एकलौती महिला लिरिसिस्ट कौसर मुनीर का भी यही कहना है कि काबिलियत की वजह से मुकाम मिलता है ना कि लिंग और धर्म की वजह से।
बॉलीवुड में महिला लिरिसिस्ट हो या फिर स्क्रिप्ट राइटर, इनकी संख्या काफी कम है। कौसर मुनीर गाने भी लिखती हैं और स्क्रिप्ट भी। इनके करियर की शुरुआत टीवी शो 'जस्सी जैसी कोई नहीं' के टाइटल ट्रैक से हुई थी।
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कौसर मुनीर का जन्म मुंबई के बांद्रा में हुआ था। उनकी शुरुआती पढ़ाई भी बांद्रा में भी हुई। मुनीर को बचपन से ही संगीत में रूचि थी, जो बड़े होकर जुनून में बदल गई।
करियर
'जस्सी जैसी कोई नहीं' का टाइटल ट्रैक इतना मशहूर हुआ कि उसके बाद कौसर ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। मुनीर ने 'टशन' का सुपरहिट गाना 'फलक तक' के बोल लिखे। यह गाना भी सुपरहिट हो गया, जिसके बाद उन्हें बॉलीवुड में पहचान मिल गई। इसके बाद कौसर ने 'इश्कजादे', 'धूम 3' और 'एक था टाइगर' जैसी हिट फिल्मों के गाने लिखे। वह फिल्म 'इंग्लिश-विंगलिश' में लैंग्वेज कंसल्टेंट का काम भी कर चुकी हैं।
जिंदगी में रही उथल-पुथल
फिल्म इंडस्ट्री में 12 साल से ज्यादा समय बिता चुकी कौसर ने एक चैनल को इंटरव्यू के दौरान बताया कि उन्हें काम पाने के लिए संघर्ष नहीं करना पड़ा, लेकिन उनकी जिंदगी में काफी उथल-पुथल रही। बता दें कि मुनीर की पहली शादी ज्यादा दिनों तक नहीं टिक पाई थी। उन्होंने तलाक लेने के बाद दूसरी शादी की और अब उनकी प्यारी-सी बेटी भी है।
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Source : News Nation Bureau