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सेंसर बोर्ड के बाद मधुर भंडराकर की 'इंदु सरकार' पहुंची सुप्रीम कोर्ट

अदालत का कहना है कि निर्माता ने इस बात की पुष्टि की है कि फिल्म की कथावस्तु और किरदार का किसी जीवित या मृत व्यक्ति से कोई संबंध नहीं है और यह एक काल्पनिक कहानी है।

Updated on: 26 Jul 2017, 12:57 PM

नई दिल्ली:

डायरेक्टर मधुर भंडराकर की फिल्म 'इंदु सरकार' को केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) की समीक्षा समिति से मंजूरी दिए जाने के बाद यह मुद्दा सुप्रीम कोर्ट में पहुंच गया है।

हालांकि इससे पहले खुद को संजय गांधी की बायोलॉजिकल बेटी बताने वाली महिला प्रिया पाल के 'इंदु सरकार' की रिलीज पर रोक लगाने के लिए दाखिल की गई याचिका को बॉम्बे हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया था। प्रिया पाल ने सेंसर बोर्ड द्वारा पास करने के बाद आपत्ति जताई थी।

अदालत का कहना है कि निर्माता ने इस बात की पुष्टि की है कि फिल्म की कथावस्तु और किरदार का किसी जीवित या मृत व्यक्ति से कोई संबंध नहीं है और यह एक काल्पनिक कहानी है।

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अदालत ने ये भी कहा कि याचिकाकर्ता ने फिल्म में संजय गांधी को लेकर पेश किए गए सबूतों और उनके चित्रण पर आपत्ति उठाई है।

बता दें संजय गांधी और याचिकाकर्ता प्रिया पॉल का रिश्ता सवालों के घेरे में है। खबरें ये भी हैं कि प्रिया पॉल, संजय गांधी के साथ किसी रिश्ते को लेकर कोर्ट में कोई ठोस सबूत पेश नहीं कर पाई हैं।

बता दें भंडारकर ने ट्वीट करके, 'सीबीएफसी की समीक्षा समिति को धन्यवाद किया।' उन्होंने कहा कि इंदु सरकार को कुछ कट के साथ मंजूरी दे दी गई है। खुश हूं और राहत महसूस कर रहा हूं। इस शुक्रवार, 28 जुलाई को आप यह फिल्म सिनेमा घरों में देखेंगे।'

फिल्म की पृष्ठभूमि 1975-77 के आपातकाल के समय की है। इसमें नील नितिन मुकेश, कीर्ति और कुल्हारी तोता राय चौधरी प्रमुख भूमिकाओं में है। इसमें सुप्रिया विनोद, अनुपम खेर भी हैं। फिल्म में किरदार दिवंगत प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी व संजय गांधी से प्रेरित हैं।

सीबीएफसी ने 12 कट के साथ दो खंडन के साथ फिल्म इंदु सरकार को मंजूरी दी। इसमें हटाए गए शब्दों में आरएसएस व अकाली जैसे भी शामिल हैं।

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(आईएएनएस इनपुट)