लाखों दर्शकों के दिलों पर राज करने वाले बॉलीवुड एक्टर सनी देओल की गिनती बेहतरीन कलाकारों में होती है. 1983 में 'बेताब' फिल्म से अपने सिनेमाई सफर शुरू करने वाले सनी देओल के दमदार डयलॉग आज भी सभी कि जुबान पर चढ़े हुए है. तीन दशक से भी ज्यादा समय से बॉलीवुड में अपना सिक्का जमाने वाले सनी देओल अपने सिने करियर में घायल, दामिनी , बॉर्डर , ग़दर जैसी सुपरहिट फिल्में लकर चुके हैं. कभी गंभीर तो कभी मजाकिया किरदारों को पर्दे पर जीने वाले सनी देओल नेशनल फिल्म अवार्ड्स और दो फिल्मफेयर अवार्ड्स जीत चुके हैं. आइए उनके जन्मदिन पर देखते हैं सनी देओल की फिल्मों के कुछ मशहूर डायलॉग जो कई मौकों पर उनके प्रशंसकों के बोलने पर सनी खुद उसे दोहराते हैं.
पहली गोली वो चलाएगा, और आखिरी गोली हम- बॉर्डर (1997)
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हमारा हिंदुस्तान जिंदाबाद था, जिंदाबाद है और जिंदाबाद रहेगा- (गदर: एक प्रेम कथा)
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इन हाथों ने हथियार छोड़े हैं, चलाना नहीं भूले- (जीत)
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मर्द मरता है तो अपनी आंखे तिरंगे की तरफ करके मरता है और ये सोचता है कि फिर से इस देश के लिए कब पैदा हूं (जो बोले सोनिहाल)
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चाहे हमें एक वक्त की रोटी ना मिले, बदन पे कपड़े ना हो, सिर पे छत ना हो…लेकिन जब देश की आन की बात होती है, तो हम जान की बाजी लगाने में पीछे नहीं हटते (इंडियन)
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ये ढाई किलो का हाथ जब किसी पे पड़ता है ना, तो आदमी उठता नहीं उठ जाता है- दामिनी (1993)
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तारीख पे तारीख, तारीख पे तारीख, तारीख पे तारीख मिलती गई माय लॉर्ड, पर नहीं मिला तो इंसाफ- दामिनी (1993)
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ये देवा की अदालत है और मेरी अदालत में अपराधियों को ऊंचा बोलने की इजाजत नहीं है- (देवा की अदालत)
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ये मजदूर का हाथ है कात्या, लोहा पिघलाकर उसका आकार बदल देता है...' (घातक)
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Source : News Nation Bureau