Birthday Special: तुम में स्टार वाली बात नहीं, जब हेमा मालिनी को निर्माता-निर्देशक ने कही थी ये बात
सत्तर के दशक में माना जा रहा था कि हेमा मालिनी केवल ग्लैमर वाले किरदार ही निभा सकती हैं, लेकिन उन्होंने 1975 की 'खुशबू' 1977 की 'किनारा' और 1979 की 'मीरा' जैसी फिल्मों में संजीदा किरदार निभाकर अपने आलोचकों को गलत साबित कर दिया
नई दिल्ली:
Happy Birthday Hema Malini: दशकों तक दर्शकों के दिलों पर राज करने वाली बॉलीवुड ड्रीम गर्ल हेमा मालिनी (Hema Malini) आज 71 साल की हो गयीं. बॉलीवुड में 'ड्रीमगर्ल' के नाम से पहचानी जाने वाली अभिनेत्री हेमा मालिनी (Hema Malini) का नाम आज भी सभी की जुबां पर है. शायद ही इस दौर में कोई ऐसा हो, जो उन्हें न जानता हो. बॉलीवुड की यह अभिनेत्री भरतनाट्यम की एक बेहतरीन नृत्यांगना भी हैं.
हेमा मालिनी का जन्म तमिलनाडु के अम्मानकुडी नामक स्थान में 16 अक्टूबर, 1948 को हुआ था. उनकी शिक्षा-दीक्षा चेन्नई के आंध्र महिला सभा में हुई. उनका बचपन तमिलनाडु के विभिन्न शहरों में बीता, उनके पिता वी.एस.आर. चक्रवर्ती तमिल फिल्मों के निर्माता थे.
उन्होंने अपने करियर में कई सुपरहिट फिल्मों में काम किया, लेकिन करियर के शुरुआती दौर में उन्हें वह दिन भी देखना पड़ा, जब एक निर्माता-निर्देशक ने उन्हें यहां तक कह दिया था कि उनमें स्टार अपील नहीं है. हेमा को तमिल फिल्मों के निर्देशक श्रीधर ने वर्ष 1964 में यह कहकर उन्हें काम देने से इनकार कर दिया था कि उनके चेहरे में कोई स्टार अपील नहीं है, लेकिन बाद में बॉलीवुड में वह 'ड्रीम गर्ल' कहलाने वाली एकमात्र अभिनेत्री बनीं.
उन्हें पहला ब्रेक अनंत स्वामी ने दिया. उन्होंने हिंदी फिल्मों में 'सपनों का सौदागर' (1968) के साथ करियर की शुरुआत की. इस फिल्म में वह राज कपूर के साथ दिखाई दी थीं. उस समय वह महज 16 वर्ष की थीं. राज कपूर ने उनका पहला स्क्रीन टेस्ट लिया. खुद हेमा मालिनी का भी मानना है कि आज वह जो भी है राज कपूर की बदौलत है.
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राज कपूर के साथ काम करने के बाद हेमा मालिनी को देवानंद के साथ फिल्म 'जॉनी मेरा नाम' में काम करने का मौका मिला. यह फिल्म बहुत बड़ी हिट साबित हुई. उन्हें पहली सफलता 'जॉनी मेरा नाम' (1970) के साथ ही मिली. उन्हें पहला बड़ा ब्रेक रमेश सिप्पी की फिल्म 'अंदाज'(1971)में मिला.
सत्तर के दशक में माना जा रहा था कि हेमा मालिनी केवल ग्लैमर वाले किरदार ही निभा सकती हैं, लेकिन उन्होंने 1975 की 'खुशबू' 1977 की 'किनारा' और 1979 की 'मीरा' जैसी फिल्मों में संजीदा किरदार निभाकर अपने आलोचकों को गलत साबित कर दिया. वर्ष 1972 में 'सीता और गीता' में उनके किरदार व सहज अभिनय ने उन्हें बुलंदियों पर पहुंचाया.
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