Happy Birthday: 'गैंग्स ऑफ वासेपुर' के डायरेक्टर का है आज जन्मदिन, यहां पढ़ें उनका फिल्मी सफर

अनुराग में फिल्मों के लिए एक जुनून है जो उनके काम में झलकता है। उन्होंने अपने काम के दम पर अपनी अलग ऑडियंस तैयार की है, यह लोग उनकी समाज को आइना दिखाती फिल्मों को देखना पसंद करते हैं।

अनुराग में फिल्मों के लिए एक जुनून है जो उनके काम में झलकता है। उन्होंने अपने काम के दम पर अपनी अलग ऑडियंस तैयार की है, यह लोग उनकी समाज को आइना दिखाती फिल्मों को देखना पसंद करते हैं।

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Happy Birthday: 'गैंग्स ऑफ वासेपुर' के डायरेक्टर का है आज जन्मदिन, यहां पढ़ें उनका फिल्मी सफर

अनुराग कश्यप

भारतीय सिनेमा में अपनी फिल्मों से अलग पहचान बनाने वाले अनुराग कश्यप का आग 46वां जन्मदिन हैं। गोरखपुर, उत्तरप्रदेश में 10 सितंबर, 1972 को जन्मे अनुराग ने दिल्ली के हंसराज कॉलेज से अपनी ग्रैजुएशन की पढ़ाई की। वह साइंटिस्ट बनाना चाहते है, इसलिए गैजुएशन में उन्होंने जूलॉजी में स्नातक किया। पर डीयू से पढ़ाई करने के बाद इन्होंने नुक्कड़ नाटक ग्रुप, जन नाट्य मंच में अभिनय करना शुरू किया। उनका फिल्मों से लगाव उन्हें साइंटिस्ट बनने से कहीं दूर किसी और रास्ते पर ले आया था। अनुराग में फिल्मों के लिए एक जुनून है जो उनके काम में झलकता है। उन्होंने अपने काम के दम पर अपनी अलग ऑडियंस तैयार की है, यह लोग उनकी समाज को आइना दिखाती फिल्मों को देखना पसंद करते हैं। 

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बॉलीवुड में अनुराग अपनी फिल्मों के लिए चर्चा में बने रहते हैं। वहीं दो ऐसे प्रमुख विवाद जो हमेशा से उनकी फिल्मों के साथ जुड़ें रहे हैं वह है उनकी फिल्म का कॉन्टेंट को लेकर और दूसरा उनकी भाषा को लेकर। इन दोनों पर अनुराग ने अपना पक्ष हमेशा खुल कर रखा है। उनका कहना है कि उनकी फिल्मे समाज का आइना होती है और कुछ नहीं। वह अपनी फिल्मों में वही दिखाते हैं जो इस समाज में रहने वाले लोग कहते और करते हैं।

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कश्यप ने बतौर एक्टर, डायरेक्टर, एडिटर, लेखक, प्रोड्यूसर काम किया है। बॉलीवुड में उनकी शुरुआत 1998 में राम गोपाल वर्मा की फिल्म सत्या से हुई। डायरेक्टर के तौर पर उनके करियर की शुरुआत फिल्म पांच से हुई, जिसे सेंसरशिप नहीं मिलने के कारण रिलीज नहीं हो सकी। अनुराग की फिल्मों का सेंसरशिप के साथ शुरू हुई यह उलझन आज भी उनकी फिल्मों को रिलीज होने से रोकती है। यही कारण है कि वह भारत में सेंसरबोर्ड की मनमानी पर अक्सर अपना पक्ष रखते हुए इसे गलत करार देते हैं। वह अपनी फिल्मों पर लगने वाली रोक और उनके सीन पर चलने वाली कैंची का कड़ा विरोध करते हैं। खैर यह सभी विवाद चलते रहते हैं और वह अपनी फिल्में एक के बाद एक रिलीज करते रहते हैं।

उनकी 1993 बोम्बे ब्लास्ट पर बनी फिल्म 'ब्लेक फ्राइडे' (2007) काफी सराही गई, वहीं देवदास का मॉडर्न रूप 2009 में रिलीज हुई उनकी फिल्म 'देव डी' में देखने को मिला। इसके साथ ही उन्होंने स्टूडेंट पॉलीटिक्स पर बनाई फिल्म गुलाल भी 2009 में रिलीज की। 'द गर्ल इन येलो बूट' (2011), 'गैंग्स ऑफ वासेपुर' (2012), 'द लंचबॉक्स', 'शाहिद', 'बॉम्बे टॉकिज'(2013), 'अगली' (2014), रमन राघव 2.0 (2016) में रिलीज हुई। ये सभी उनकी बेहतरीन फिल्मों में शामिल हैं, जिन्हें क्रिट्क्स की भी काफी सराहना मिली। उनकी हालिया प्रसारित हुए कामों में शामिल हैं- फिल्म 'मुक्काबाज' (2018), नेटफ्लिक्स पर रिलीज हुई उनकी सीरीज 'सेक्रेड गेम्स', 'लस्ट सोटिरिज'।

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अनुराग का अपना फैंटम फिल्म नाम का प्रोड्कशन हाउस भी है। फैंटम फिल्म में विक्रमादित्य मोटवानी, विकास बहल और मधु महनते के साथ अनुराग की भी हिस्सेदारी है। बहुत जल्द साल 2018 में अनुराग के निर्देशन में एक और फिल्म रिलीज होने वाली है, मरमरजियां। अनुराग की सभी फिल्मों की तरह इस बार भी उनके दर्शक उनकी इस फिल्म का बेसबरी से इंतजार कर रहे हैं।

Source : News Nation Bureau

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