हिंदी फिल्मों के पितामह वी शांताराम का जन्मदिवस, गूगल ने डूडल बनाकर किया याद

वी शांताराम उस दौर में फिल्मों में नए प्रयोग करने के लिए मशहूर थे। उन्होंने हिंदी फिल्मों में पहली बार मूविंग, शॉट्स और ट्रॉली का इस्तेमाल किया था।

वी शांताराम उस दौर में फिल्मों में नए प्रयोग करने के लिए मशहूर थे। उन्होंने हिंदी फिल्मों में पहली बार मूविंग, शॉट्स और ट्रॉली का इस्तेमाल किया था।

author-image
Sonam Kanojia
एडिट
New Update
हिंदी फिल्मों के पितामह वी शांताराम का जन्मदिवस, गूगल ने डूडल बनाकर किया याद

गूगल ने वी शांताराम का बनाया डूडल

मशहूर फिल्मकार वी शांताराम का 18 नवंबर को 116वां जन्मदिवस है। इस खास मौके पर गूगल ने डूडल बनाकर उन्हें याद किया। शांताराम ने अपने जीवन के करीब 50 साल भारतीय सिनेमा को दिए हैं। उन्हें सिनेमा जगत का 'पितामह' भी कहा जाता है।

Advertisment

वी शांताराम का जन्म साल 1901 में महाराष्ट्र के कोल्हापुर में हुआ था। उन्होंने 1972 में पहली फिल्म 'नेताजी पालकर' बनाई थी। अगले पांच दशकों तक शांताराम अभिनेता और फिल्म निर्माता के तौर पर फिल्म इंडस्ट्री से जुड़े रहे। उन्हें सामाजिक और पारिवारिक पृष्ठभूमि पर अर्थपूर्ण फिल्में बनाने के लिए जाना जाता है। 

ये भी पढ़ें: चित्ताैड़ की रानी पर पहले भी बन चुकी हैं कई फिल्में

गूगल डूडल में शांताराम की तीन फिल्मों की तस्वीर उकेरी गई है। पहली में 1951 में बनी 'अमर भोपाली' का गडरिया बना हुआ है। दूसरी में 1955 में बनी 'झनक झनक पायल बाजे' फिल्म का दृश्य (नृत्यांगना) दिखाया गया है। यह मूवी भारत में रंगीन चलचित्र इस्तेमाल करने वाली फिल्मों में से एक थी। इसके बाद 1957 में बनी 'दो आंखें बारह हाथ' का चित्र बना है।

वी शांताराम ने अभिनेता के तौर पर कई फिल्मों में काम किया है। इनमें 'सवकारी पाश', 'परछाईं', 'दो आंखें बारह हाथ', 'स्त्री' और 'सिंहगड' जैसी फिल्में शामिल हैं। वहीं बतौर फिल्म निर्माता उन्होंने 'नेताजी पालकर', 'चंद्रसेना', 'अमर ज्योति' और 'झनक झनक पायल बाजे' फिल्में की।

फिल्मों में प्रयोग करने के लिए मशहूर

शांताराम उस दौर में फिल्मों में नए प्रयोग करने के लिए मशहूर थे। उन्होंने हिंदी फिल्मों में पहली बार मूविंग, शॉट्स और ट्रॉली का इस्तेमाल किया था। 1933 में पहली रंगीन हिंदी फिल्म बनाई थी। साथ ही एनिमेशन का इस्तेमाल भी उन्होंने किया।

भारत में फिल्मों के सर्वोच्च सम्मान दादा साहब फाल्के पुरस्कार और पद्म विभूषण से सम्मानित शांताराम ने 88 साल की उम्र में 1990 में इस दुनिया को अलविदा कह दिया था।

ये भी पढ़ें: स्मॉग के हमले से अपनी स्किन का करें बचाव, अपनाये ये टिप्स

Source : News Nation Bureau

Google Doodle V Shantaram
Advertisment