'हमरी अटरिया पे आओ सवारिया, देखा देखी बालम होई जाये' जैसी ठुमरी हो या फिर 'ऐ मोहब्बत तेरे अंजाम पे रोना आया' जैसी गजल, बेगम अख्तर ने कई ऐसे गाने गाए जो लोगों के दिल में उतर गए।
दिलकश आवाज की मल्लिका बेगम अख्तर का आज 103वां जन्मदिन है। इस मौके पर गूगल ने भी अपने खास डूडल अंदाज में उन्हें याद किया है।
आज के नए दौर में हो सकता है कि कई लोग बेगम अख्तर से परिचित नहीं हों लेकिन सुननेवालों को उनकी गाई गजलें आज भी उतनी ही तरोताजा और नई लगती है।
आईए, हम आपकों बतातें हैं गजल की इस मल्लिका बेगम अख्तर के बारे में--
बेगम अख्तर का असली नाम अख्तरी बाई फैजाबादी था। उनका जन्म 7 अक्टूबर, 1914 को उत्तर प्रदेश के फैजाबाद में हुआ था।
वह गजल, ठुमरी और दादरा गायन शैली की बेहद लोकप्रिय गायिका थीं। उनके नाम 'वो जो हममें तुममें क़रार था, तुम्हें याद हो के न याद हो', 'ऐ मोहब्बत तेरे अंजाम पे रोना आया', 'मेरे हमनफस, मेरे हमनवा, मुझे दोस्त बन के दवा न दे', जैसी कई दिल को छू लेने वाली गजलें हैं।
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भारत सरकार ने उन्हें पद्म श्री और पद्म भूषण पुरस्कार से सम्मानित किया था।
बेगम अख्तर ने बतौर अभिनेत्री भी कुछ फिल्मों में काम किया था। उन्होंने 'एक दिन का बादशाह' से फिल्मों में अपने अभिनय करियर की शुरूआत की लेकिन तब अभिनेत्री के रुप में कुछ खास पहचान नहीं बना पाई।
बाद में उन्होंने महबूब खान और सत्यजीत रे जैसे फिल्कारों की फिल्म में भी अभिनय किया लेकिन गायन का सिलसिला भी साथ-साथ चलता रहा। 1940 और 50 के दशक में गायन में उनकी लोकप्रियता चरम पर थी। बेगम का देहांत 60 साल की उम्र में 1974 में हुआ।
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HIGHLIGHTS
- गूगल ने बेगम अख्तर के 103वें जन्मदिन पर डूडल बनाकर किया याद
- बेगम अख्तर को 'गजल की मल्लिका' के तौर पर किया जाता है याद
- यूपी के फैजाबाद में जन्मीं थी बेगम, गजल, ठुमरी और दादरा गायन शैली की लोकप्रिय गायिका
Source : News Nation Bureau