बॉक्स ऑफिस पर क्यों फ्लॉप हुईं ये बड़े बजट की फिल्में? एक्सपर्ट्स ने बताई वजह

Big Budget films flopped: हाल ही में बॉक्स ऑफिस के आंकड़े ऐसे सवालों का जवाब हैं. 2024 में अभी 5 महीने ही बीते हैं और इस साल हिट और फ्लॉप फिल्मों का सिलसिला जारी है. इस साल सिर्फ तीन फिल्में ही 100 करोड़ क्लब में जगह बना पाई हैं.

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Garima Sharma
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budget films collapse at box office

budget films collapse at box office ( Photo Credit : file photo)

किसी फिल्म को तब हिट कहा जाता है जब वह अपनी लागत से दोगुनी कमाई कर लेती है और उसे तब ब्लॉकबस्टर कहा जाता है जब वह अपनी लागत से लगभग दोगुनी कमाई कर लेती है. लेकिन क्या होता है जब कोई लीड एक्टर फिल्म की लागत के बराबर फीस लेता है? खैर, हाल ही में बॉक्स ऑफिस के आंकड़े ऐसे सवालों का जवाब हैं. 2024 में अभी 5 महीने ही बीते हैं और इस साल हिट और फ्लॉप फिल्मों का सिलसिला जारी है. इस साल सिर्फ तीन फिल्में ही 100 करोड़ क्लब में जगह बना पाई हैं.

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इस छोटी लिस्ट में फाइटर, हनुमान और शैतान जैसे नाम शामिल हैं. हालांकि, असली हिट सिर्फ शैतान और हनुमान को ही कहा जा सकता है, क्योंकि फाइटर 250 करोड़ रुपये के बड़े बजट पर बनी थी और भारत में सिर्फ 237.44 करोड़ रुपये ही कमा पाई थी. हां! फाइटर का ओवरसीज कलेक्शन हिट फिल्मों की लिस्ट में शामिल हो जाएगा. लेकिन बॉलीवुड की कई फ़िल्में जैसे बड़े अक्षय कुमार और टाइगर श्रॉफ की मियां छोटे मियां, अजय देवगन की मैदान और सिद्धार्थ मल्होत्रा ​​की योद्धा बॉक्स ऑफ़िस पर कमाल नहीं कर पाईं.

इनमें से ज़्यादातर फ़िल्में अभी भी सिनेमाघरों में चल रही हैं, लेकिन अपनी लागत भी नहीं निकाल पा रही हैं. ये फ़िल्में बॉक्स ऑफ़िस पर क्यों असफल रहीं? इतने बड़े सितारे सिनेमाघरों में दर्शकों को वापस लाने में क्यों विफल रहे? जो लोग नहीं जानते, उन्हें बता दें कि फ़िल्म तब हिट होती है, जब वह अपनी लागत से दोगुनी कमाई कर लेती है और उसे ब्लॉकबस्टर तब कहा जाता है, जब वह अपनी लागत से लगभग दोगुनी कमाई कर लेती है. लेकिन क्या होता है, जब कोई मेन एक्टर फ़िल्म के निर्माण में लगने वाली लागत के बराबर पैसे लेता है?

खैर, हाल ही में बॉक्स ऑफ़िस के आंकड़े ऐसे सवालों का जवाब हैं. फ़िल्म क्रिटिक्स सुचिन मेहरोत्रा ​​ने अपने एक्स प्रोफ़ाइल पर ऐसी बड़ी बजट की फ़िल्मों की असफलता के कारण गिनाए. अपने एक ट्वीट में मेहरोत्रा ​​ने लिखा कि 'भारतीय मेकर्स पर ऑडियंस को एक खरीदो एक पाओ टिकट स्कीम की पेशकश करने का खतरनाक चलन शुरू करने और साथ ही पेड ट्रेड इन्फ्लुएंसर्स को बढ़ावा देने और उन्हें सशक्त बनाने का आरोप लगाया गया है, जिससे इंडस्ट्री पर विश्वसनीयता का बड़ा संकट खड़ा हो गया है. 

उन्होंने ट्वीट की एक सीरीज में इस मामले पर विस्तार से बताया कि कैसे एक्टर्स की मांगों के कारण उनकी फिल्में बॉक्स ऑफिस पर असफल हो रही हैं. अच्छे पुराने दिनों में, सितारों द्वारा खुद ही अपने साथियों के लिए खर्च उठाया जाता था. इसलिए, उनकी फीस जो भी हो, उसका एक प्रतिशत वे खुद अपने टैलेंट और स्टाफ को देते थे. अब, अगर कोई स्टार 25 करोड़ रुपये की फीस लेता है, तो वह रकम सिर्फ़ उसके लिए होती है, साथ ही स्टाफ का खर्च भी अलग से देना होता है. वैनिटी की कीमत 50,000 रुपये प्रतिदिन है. 

यह सारे खर्चे प्रोड्यूसर ही उठाते हैं. एक स्टार की ओवरहेड लागत 20-22 लाख रुपये प्रतिदिन होती है. अगर कोई फिल्म 70 दिनों तक शूट की जाती है, तो सिर्फ़ पुरुष और महिला स्टार के लिए ओवरहेड लागत लगभग 15-20 करोड़ रुपये होगी, जो स्क्रीन पर कहीं भी दिखाई नहीं देती. एक्टर्स द्वारा अपनी मांग रखने की कहानियों का कोई अंत नहीं है. इसमें एक स्टार द्वारा जंगल के बीच में बर्गर डिलीवर करने की ज़िद से लेकर एक स्टार द्वारा अपने ड्राइवर से शहर तक गाड़ी चलाने के लिए कहना तक शामिल हो सकता है. 

Source : News Nation Bureau

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