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सिर्फ एक सवाल ने बदल दी थी यूसुफ खान की जिंदगी

बचपन में दिग्गज अभिनेता को भी यकीन नहीं था कि वह कभी दिलीप कुमार के नाम से जाने जाएंगे. उन्होंने अपनी किताब 'द सबस्टांस एंड द शैडो' ने अपनी जिंदगी की कई किस्से भी साझा किए हैं. उसी में उन्होंने यूसुफ सरवर खान से दिलीप कुमार बनने का किस्सा भी लिखा है.

Updated on: 07 Jul 2021, 12:50 PM

highlights

  • फिल्मों से पहले दिलीप कुमार का नाम यूसुफ खान था
  • बॉम्बे टाकीज से दिलीप कुमार ने शुरू किया था अभिनय
  • 'द सबस्टांस एंड द शैडो' किताब में अपनी पूरी कहानी लिखी

नई दिल्ली:

बॉलीवुड में 'ट्रेजडी किंग' (Tragedy King) के नाम से मशहूर दिलीप कुमार ने इस दुनिया को अलविदा कह दिया है. दिलीप कुमार (Dilip Kumar) का निधन हो गया है. लंबी बीमारी के बाद बॉलीवुड के पहले सुपरस्टार दिलीप कुमार (Dilip Kumar Passes Away) ने बुधवार सुबह 7.30 बजे आखिरी सांस ली. दिलीप कुमार ने अपने पूरे करियर में कुल 65 फिल्में की थी, लेकिन उनकी हर फिल्म ने हिंदी सिनेमा में अपनी अमिट छाप छोड़ी. उनके चाहने वाले सिर्फ बॉलीवुड ही नहीं बल्कि हॉलीवुड में भी खूब थे. हॉलीवुड फिल्मों में दिलीप कुमार को फिल्में करने का मौका भी मिला था, लेकिन उन्होंने खुद इससे इनकार कर दिया था. आज हम आपको दिलीप साहब के उस किस्से को बताने जा रहे हैं जिससे यूसुफ खान नाम का एक लड़का, दिलीप कुमार बनकर छा गया...

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बचपन में दिग्गज अभिनेता को भी यकीन नहीं था कि वह कभी दिलीप कुमार के नाम से जाने जाएंगे. उन्होंने अपनी किताब 'द सबस्टांस एंड द शैडो' ने अपनी जिंदगी की कई किस्से भी साझा किए हैं. उसी में उन्होंने यूसुफ सरवर खान से दिलीप कुमार बनने की भी कहानी को भी लिखा है. फिल्मों में आने से पहले यूसुफ सरवर खान एक कारोबारी के तौर पर जाने थे. वह अपने पिता का कारोबार संभालते थे. धंधा भी कुछ खास चल नहीं रहा था, तो दिलीप कुमार एक नए काम की तलाश में थे. 

युसूफ के एक परिचित डॉक्टर थे, जिनका नाम था डॉक्टर मसानी. उनकी शहर के कई बड़े लोगों से जान-पहचान थी. यूसुफ ने अपनी समस्या डॉक्टर साहब को बताई और कहीं कोई काम दिलवाने की अपील की. उन दिनों बॉम्बे टाकीज को एक नए हीरो की तलाश थी. बॉम्बे टाकीज की मालकिन देविका रानी से डॉक्टर मसानी से अच्छी पहचान थी. डॉ. मसानी ने ही दिलीप साहब को देविका रानी से मुलाकात कराई थी. ये किस्सा साल 1944 का है.

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एक दिन वे बाजार में खरीदारी के लिए गईं. उनका इरादा खरीदारी का ही था लेकिन दिमाग में अपने नए हीरो की तलाश की चाहत भी बसी हुई थी. बाजार में ही देविका रानी से दिलीप कुमार की मुलाकात हुई. उन्होंने उनको स्टूडियो बुलाया. दिलीप कुमार जब उनसे मुलाकात करने स्टूडियो पहुंचे तो देविका रानी ने उनसे पहला सवाल किया कि कि क्या आप उर्दू जानते हैं? यूसुफ के हां कहते ही उन्होंने दूसरा सवाल किया था कि क्या आप अभिनेता बनना पसंद करेंगे? जिस पर दिलीप कुमार ने हां कर दिया. बस यहीं से दिलीप कुमार की किस्मत बदल गई. 

दिलीप कुमार ने अपनी किताब में देविका रानी से एक मुलाकात का जिक्र करते हुए लिखा है कि 'उन्होंने अपनी बेहतरीन अंग्रेजी में मुझसे कहा था कि यूसुफ मैं तुम्हें जल्द से जल्द कलाकार के तौर पर लॉन्च करना चाहती हूं. ऐसे में यह विचार बुरा नहीं है कि आपका एक पर्दे का नाम भी होना चाहिए. ऐसा नाम जिससे दुनिया आपको जाने और दर्शक आपकी रोमांटिक इमेज को उससे जोड़कर देखेगी. यूसुफ खान को तीन नाम दिए गए थे जिसमें से उन्होंने अपना नाम दिलीप कुमार चुना.