Deepika Padukone को क्यों सता रहा था इंडस्ट्री से हटाए जाने का डर?
एक्ट्रेस दीपिका पादुकोण (Deepika Padukone) ने इंडस्ट्री को कई शानदार फिल्में दी हैं. जिसको लेकर उन्हें हमेशा सराहना मिली है. लेकिन आपको बता दें कि एक समय पर उन्हें इंडस्ट्री से सताए जाने का डर सता रहा था. जिस बात का खुलासा उन्होंने खुद ही किया है.
नई दिल्ली:
बॉलीवुड में अपनी बेहतरीन एक्टिंग के लिए जानी जाने वाली दीपिका पादुकोण (Deepika Padukone) ने इंडस्ट्री को कई शानदार फिल्में दी हैं. जिसमें उनकी एक्टिंग कमाल की रही है. ऐसे में उन्हें अक्सर लोगों की तरफ से सराहना मिलती रहती है. लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि दीपिका जैसी बेहतरीन अदाकारा को एक समय पर इंडस्ट्री से हटाए जाने का डर सता रहा था. जिस बात का खुलासा उन्होंने खुद ही किया है. जिसमें एक्ट्रेस ने बताया कि उनके 'दक्षिण भारतीय लहजे' (Deepika Padukone on south indian accent) को पसंद किया गया था. ऐसे में करियर की शुरूआत में उन्होंने सोचा था कि इसके कारण उन्हें साइन किया जा सकता है. लेकिन फिर कुछ ऐसा हुआ, जिसने उनकी सोच को बदलकर रख दिया.
दीपिका (Deepika Padukone interview) ने ये बातें वोग को दिए इंटरव्यू में कही. उन्होंने कहा, "मैं जीवन के लगभग किसी भी पहलू में पुरुषों और महिलाओं के बीच स्पष्ट असमानता देखती हूं, लेकिन अपने इस सफर में मुझे कभी भी तुलना करने की आवश्यकता महसूस नहीं हुई. मुझे लगता है कि ऐसा इसलिए है, क्योंकि मुझे और मेरी बहन को कभी इस तरह नहीं देखा गया. हमें लगातार इसकी याद नहीं दिलाई जाती थी कि हम लड़कियां हैं, इसलिए हमें अलग तरह से सोच रखने वाली दुनिया में जाना होगा और हम जो चाहते हैं, उसके लिए लड़ना पड़ेगा. लेकिन मैं दूसरी चुनौतियों से जरूर निपटी. एक खेल बैकग्राउंड से आने का मतलब था कि बॉलीवुड में आसानी से एंट्री नहीं कर सकती थी. वहीं, मेरा दक्षिण भारतीय उच्चारण भी वजह था और मुझे शुरुआत में इसकी वजह से साइन न किए जाने (Deepika Padukone about being written off) को लेकर भी चिंता थी."
हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में बदलाव लाने को लेकर उन्होंने (Deepika Padukone latest statement) कहा, "अगर उस बदलाव के लिए मुझे कुछ भी करना हो, मैं करूंगी. हालांकि, इसे पचा पाना काफी मुश्किल है. लेकिन मैं यह नहीं कहूंगी कि यह असत्य है, क्योंकि मेरा उद्देश्य हमेशा से यही रहा है. इंडस्ट्री के लिए एक बाहरी व्यक्ति के रूप में, मैं अनजाने में एक ऑब्जर्वर बन गयी. जिससे मैं अभी की स्थिति में बदलाव ला सकती हूं.'' उनका कहना है कि पहले उनके पास परिवर्तन लाने के लिए आत्मविश्वास नहीं था, लेकिन इच्छा हमेशा से रही है. एक बच्चे के रूप में भी, मैं हमेशा इस बारे में उत्सुक थी कि चीजें एक निश्चित तरीके से क्यों की जाती हैं. मैं कभी उन चीजों से संतुष्ट नहीं होती, जो मुझे थाली में सौंपी जा रही हैं.
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